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    'बिहार के लोगों को सरकार ने या तो मजबूर बनाया या फिर मजदूर', राहुल गांधी ने नीतीश कुमार पर किए कड़े प्रहार

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 08:18 AM (IST)

    राहुल गांधी ने बिहार में एक चुनावी रैली में कहा कि यहां के लोग अपनी मेहनत से शहरों की तकदीर बदलते हैं, पर बिहार की क्यों नहीं? उन्होंने भाजपा-जदयू पर युवाओं से अवसर छीनने का आरोप लगाया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के मुद्दों पर नीतीश कुमार को घेरा और बिहार के गौरव और वर्तमान की बदहाली के बीच एक राजनीतिक नैरेटिव बनाने की कोशिश की।

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    राहुल गांधी ने नीतीश कुमार पर कसा तंज। (फोटो- एक्स)

    सुनील राज, पटना। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने बिहार की एक चुनावी सभा में कहा कि यहां के लोग जहां भी जाते हैं, अपनी मेहनत और काबिलियत से शहरों की तकदीर बदल देते हैं।

    फिर उन्होंने प्रश्न किया कि आखिर बिहार की तकदीर क्यों नहीं बदल रही? उन्होंने कहा कि पिछले 20 सालों से भाजपा-जदयू ने बिहार के युवाओं से हर अवसर, हर उम्मीद छीन कर उन्हें या तो मजबूर बनाया है, या मजदूर।

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    गुरुवार को नालंदा और शेखपुरा में दो चुनावी रैलियों में राहुल गांधी ने शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार का मुद्दा उठाकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को कठघरे में खड़ा किया।

    राहुल का हमला केवल भाजपा-जदयू सरकार की आलोचना नहीं, बल्कि महागठबंधन की नई चुनावी रणनीति का संकेत भी है। उनका बयान भावनात्मक और विकासात्मक, दोनों मोर्चों पर जनता से जुड़ने का प्रयास था। साथ ही यह बेरोजगारी पर चोट और बिहार के गर्व और आत्मसम्मान के सवाल को भी उभारने की उनकी एक कोशिश थी।

    न शिक्षा सुधरी न स्वास्थ्य

    कांग्रेस जानती है कि पलायन और बेरोजगारी बिहार की राजनीति के दो मुख्य मुद्दे हैं और अगर इन्हें सही ढंग से भुनाया गया तो भाजपा-जदयू गठबंधन की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। नीतीश कुमार को निशाने पर लेते हुए कहा कि वर्तमान सीएम के 20 साल के शासन में न शिक्षा सुधरी और न स्वास्थ्य।

    उन्होंने आरोप लगाया कि इलाज के लिए बिहार के लोगों को अभी भी दिल्ली जाना पड़ता है। एम्स में बिहार के लोगों की भीड़ लगी रहती है। उन्होंने सवाल किया कि यदि दिल्ली में उपचार हो सकता है तो बिहार में क्यों नहीं? शिक्षा-व्यवस्था पर कहा कि यहां ना तो कायदे की एक यूनिवर्सिटी है और न कॉलेज। उनका यह हमला नीतीश के 'विकास पुरुष' की छवि पर सीधा प्रहार है।

    नालंदा के विश्वविख्यात विश्वविद्यालय का जिक्र करके उन्होंने बिहार की गौरवशाली बौद्धिक परंपरा की याद दिलाई, तो स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का मुद्दा उठाकर उन्होंने जमीनी हकीकत को भी जनता के सामने रखा।

    राहुल गांधी के भाषण से लगता है कि वे बिहार के अतीत के गौरव और वर्तमान की बदहाली के बीच एक राजनीतिक नैरेटिव तैयार कर रहे हैं। इसका फायदा महागठबंधन को उन सीटों पर मिल सकता है जहां नीतीश के खिलाफ नाराजगी तो है, लेकिन भाजपा को लेकर भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है।

    राहुल गांधी का यह भाषण महागठबंधन की ओर से एक टोन सेट करने वाला राजनीतिक अभियान माना जा रहा है। कुल मिलाकर, राहुल का हमला केवल राजनीतिक बयानबाजी नहीं, बल्कि एक सोच-समझी कवायद है। बिहार की राजनीति को बदलाव बनाम ठहराव के फ्रेम में ढालने की कोशिश भी।

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