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    Rohini Acharya : जिस शादी में पटना थम गया था, वही रोहिणी आज बेआवाज़ निकली; 22 साल बाद लालू परिवार में बड़ी दरार

    Updated: Wed, 19 Nov 2025 04:01 PM (IST)

    15 नवंबर 2025 को, लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने सोशल मीडिया पर लिखा कि अब उनका कोई परिवार नहीं है, जिससे राजनीतिक भूचाल आ गया। 2002 में धूमधाम से हुई शादी के बाद, 2022 में किडनी दान करने वाली रोहिणी का यह कदम RJD के भविष्य पर सवाल उठाता है। लालू की चुप्पी और तेजस्वी पर दबाव ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। यह घटनाक्रम पारिवारिक कलह से बढ़कर राजनीतिक संकट की ओर इशारा करता है।

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    लालू परिवार में बढ़ी दरार

    डिजिटल डेस्क, पटना। बिहार की राजनीति में 15 नवंबर 2025 को वह विस्फोट हुआ जिसकी आहट किसी ने नहीं सुनी थी। लालू यादव की वह बेटी, जिसकी शादी पर 2002 में पूरा पटना रुक गया था, वही रोहिणी आचार्य अचानक राबड़ी आवास से बेआवाज़ निकली, और एक X पोस्ट में लिख दिया, 'मेरा अब कोई परिवार नहीं।' इस एक लाइन ने सालों पुराने लालू परिवार की दीवार में पहली बार सार्वजनिक दरार खोल दी।

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    जिस बेटी ने 2022 में अपनी किडनी देकर पिता की जान बचाई, वही रोहिणी आज खुद को 'परिवारहीन' घोषित कर रही थीं। लालू की चुप्पी, राबड़ी की बेबसी और तेजस्वी पर उभरते दबाव ने संकेत साफ कर दिया, यह सिर्फ पारिवारिक तनाव नहीं, RJD के भविष्य, नेतृत्व और 2029 की राजनीति को झकझोरने वाला भूचाल है। 2002 की चमकदार सत्ता-शादी और 2025 की मौन विदाई, दोनों तस्वीरें अब एक-दूसरे की उलटी परछाईं बन चुकी हैं।

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    2002 याद करें 'रोहणी की शादी'

    2002 पटना के दिल में बनी वह शादी जिस पर बिहार की धड़कनें रोक दी गईं, 24 मई 2002, पटना में लू चल रही थी। हवा इतनी गर्म कि खिड़कियां भी खुलने से हिचक रही थीं, लेकिन 20 एकड़ में फैले मुख्यमंत्री और लालू आवास के बीच एक ऐसी शादी हो रही थी जिसने पूरे बिहार को रोक दिया।

    शहर का ट्रैफिक सूना था, दुकानों के बाहर ताले थे, लेकिन पंडालों के बाहर लोगों की भीड़ थी।

    जिस दिन रोहिणी की शादी हुई, उस दिन पटना ने सिर्फ एक शादी नहीं देखी, उसने सत्ता, रसूख और साम्राज्य की एक झलक देखी थी।

    उस शादी में शामिल होने के लिए अधिकारी, व्यापारी, ठेकेदार और बड़े नेता, सब लाइन में खड़े थे। यह कोई सामान्य बारात नहीं थी। दूल्हा समरेश सिंह घोड़ी पर नहीं, Bihar Military Police की स्पेशल बग्घी पर सवार होकर आया था। जिस बग्घी की आवाज़ से गार्ड भी खड़े होकर सलामी देने लगते थे।

    उस समय रोहिणी 24 साल की थीं। बिहार की मुख्यमंत्री राबड़ी देवी की दूसरी बेटी और तेजस्वी? बस 12 साल का, पंडालों में भागता, मेहमानों के बीच नाचता, अपनी बहन की शादी को दिव्य बनाने में व्यस्त एक बच्चा था।

    उस शादी की कीमत सिर्फ पैसे, सामान, या सरकारी संसाधन नहीं थे… उसकी कीमत थी सत्ता पर ‘असीमित शक्ति’ का एहसास का भी था।

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    2022 : पिता को किडनी देकर बनी थी 'महान'

    2022 में रोहणी आचार्या ने अपने पिता को किडनी देकर लोगों के महान बनी लेकिन आज वही बेटी ‘परिवारहीन’ कहलाने लगी है।

    समय बदला। सत्ता बदली। गठबंधन तीन बार टूटा और जोड़ा गया। लेकिन एक चीज़ नहीं बदली, लालू यादव के परिवार का भावनात्मक समीकरण देखने को मिलने लगा है।

    2022 में जब डॉक्टरों ने लालू यादव को किडनी ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी, तो सबसे पहले रोहिणी ने आगे आकर कहा कि मैं अपने पिता को किडनी दूंगी फिर क्या था वो महान बन गई। 
    सिंगापुर में उन्होंने एक किडनी पिता को दे दी। एक बेटी उस पिता के लिए अपनी जिंदगी का एक अंग दे देती है, यही उसकी पहचान बन जाती है।

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    2025: पटना सियासत में सन्नाटा

    15 नवंबर 2025 को दोपहर साढ़े दो बजे एक X पोस्ट ने सब बदल दिया। पोस्ट पढ़ते ही पटना सियासत में सन्नाटा फैल गया, 'मेरा अब कोई परिवार नहीं। मुझे परिवार से निकाल दिया गया है।' —रोहिणी आचार्य

    यह कोई भावनात्मक ट्वीट नहीं था। यह किसी नाराज़ बेटी की प्रतिक्रिया नहीं थी। यह उस परिवार की अंदरूनी दरार का पहला सार्वजनिक दस्तावेज़ था जो बिहार की राजनीति के केंद्र में 30 साल से खड़ा है।

    शाम के 6 बजे राबड़ी आवास का दरवाज़ा खुलता है। भीड़, कैमरे, सुरक्षा…और बीच से निकलती है रोहिणी, बिना बोले, बिना पीछे देखे।

    उस पल में पटना ने एक दृश्य देखा जिस लड़की की शादी में बिहार सज गया था…वही लड़की आज बिना एक गाड़ी, बिना एक समर्थक, बिना एक परिवार के अपनी मां के घर से निकल रही थी।

    यह दृश्य सिर्फ इमोशनल नहीं था। यह राजनीतिक था।और यही पहला बड़ा ट्विस्ट था।

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    2025 : लालू की चुप्पी, राबड़ी के आंसू और तेजस्वी का दबाव से सब कुछ टूटा

    नवंबर 2025 लालू की चुप्पी, राबड़ी के आंसू, तेजस्वी का दबाव, इस घर में कुछ तो टूटा है जब रोहिणी दिल्ली पहुंची, तो रुआंसे गले से बोली...'जब सवाल पूछती हूँ तो कहा जाता है, ससुराल जाओ। मेरे माता-पिता रो रहे थे, पर कुछ कर नहीं पा रहे थे।'

    इस बयान ने पार्टी और परिवार दोनों की किताबें एक साथ खोल दीं। अब सवाल यही है...रोहिणी गई क्यों?

    वह कौन-सी चिंगारी थी जिसने लालू परिवार में विस्फोट कर दिया?

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    तेजस्वी ने कहा—“पार्टी में अनुशासन चाहिए

     तेल सिर्फ रोहिणी पर नहीं गिरा, बल्कि तेल उस गुट पर गिरा है जो लालू परिवार में सत्ता का वारिस तय कर रहा था

    RJD के भीतर, पिछले दो सालों से घरेलू समीकरण में एक चुप्पा संघर्ष चल रहा था, एक तरफ तेजस्वी यादव, जो पार्टी और गठबंधनों का भविष्य बनाना चाह रहे थे।

    दूसरी तरफ रोहिणी, जो जनता के सामने साफ बात और सवाल रखने की हिमायती थीं। तीसरी तरफ राबड़ी देवी, जो अपने बच्चों को साथ देखना चाहती थीं। और चौथी तरफ लालू, जिनकी सेहत ने उन्हें सक्रिय राजनीति से दूर कर दिया था।

    लालू की चुप्पी, राजनीति में एक वाक्य की तरह डर पैदा करती है। लेकिन इस बार वह चुप्पी अलग थी।

    राबड़ी देवी reportedly रोहिणी को रोकना चाहती थीं, लेकिन नहीं रोक सकीं।
    तेजस्वी ने कहा...'पार्टी में अनुशासन चाहिए।' और इससे दरार गहरी हो गई।

    यह सिर्फ परिवार का विवाद नहीं

    यह 2029 की राजनीति में ‘लालू परिवार की ईंट’ गिरने का पहला संकेत है, इसे सिर्फ परिवारिक विवाद मानना भूल होगी। रोहिणी उस RJD समर्थक वोट बैंक में लोकप्रिय थीं जो तेजस्वी की आलोचना करता है, लेकिन लालू के भावनात्मक करिश्मे से जुड़ा है। उनका जाना, 'उनका खुलकर बोलना, और परिवार ने निकाल दिया' कहना, यह RJD की इमेज को उन इलाकों में सीधे प्रभावित करता है जहां परिवार ही राजनीति है।

    RJD के भीतर यह संकट 3 लेयर में

    1. आंतरिक सत्ता संघर्ष
    2. भावनात्मक टूटन
    3. वोट बैंक में भ्रम

    (क्या RJD परिवारिक कलह में फंसी है?)

    सवाल यह है क्या रोहिणी वापस आएंगी? शायद नहीं। क्योंकि उनके बयान में 'वापसी का पुल' कहीं नहीं दिखाई देता।

    तो अब क्या?—इसे समझिए राजनीतिक एक्स-रे की तरह

    (1) यह घटनाक्रम तेजस्वी के लिए खतरा है

    क्योंकि उनके खिलाफ सबसे मजबूत नैतिक हथियार रोहिणी के पास।

    (2) यह RJD की साख को चोट पहुंचा रहा है

    क्योंकि यह पहली बार है जब ‘लालू परिवार’ सार्वजनिक रूप से टूटा है।

    (3) विपक्ष इस मुद्दे को हथियार बनाएगा

    'जो अपनी बेटी को न संभाल पाए, वह प्रदेश क्या संभालेगा?'
    यह लाइन अगले 6 महीने में बहुत सुनी जाएगी।

    (4) लालू की चुप्पी सबसे बड़ा सस्पेंस है

    अंदरूनी सूत्र कहते हैं, लालू रोहिणी के समर्थन में हैं, लेकिन उन्हें राजनीतिक संतुलन बिगड़ने का डर है।

    कहानी का सबसे बड़ा पॉइंट (2002 और 2025 की पूरी कहानी)

    2002: रोहिणी की शादी में पटना की सड़कों से दुकानों तक सत्ता की दहाड़ दिखी।
    2025:रोहिणी जब रोते हुए निकलीं, उसी पटना में किसी ने नजरें भी नहीं उठाईं।

    2002: लालू–राबड़ी सत्ता के शिखर पर थे, आदेश ही कानून था।
    2025: लालू–राबड़ी अपनी बेटी को जाते बस चुपचाप देखते रह गए।

    2002:तेजस्वी बच्चा था,फैसलों से दूर।
    2025:तेजस्वी ही फैसलों का केंद्र बन चुका है।

    2002:रोहिणी सिर्फ लालू की बेटी थीं।
    2025:रोहिणी लालू परिवार की सबसे बड़ी ‘डिसेंट वॉइस’ बन चुकी हैं।