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    Rohini Acharya: 'उनके भाई चुप हैं, इसका मतलब...'; रोहिणी ने परिवार से तोड़ा नाता; JDU ने लालू को घेरा

    Updated: Sat, 15 Nov 2025 05:36 PM (IST)

    रोहिणी आचार्य के बयानों से बिहार की राजनीति में उथल-पुथल है। उन्होंने परिवार से नाता तोड़ लिया है। जिससे राजनीतिक चर्चा तेज हो गई है। जेडीयू ने इस मुद्दे पर लालू प्रसाद यादव को घेरा है, और परिवार में कलह को उनकी राजनीतिक विफलता का परिणाम बताया है।

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    पिता लालू यादव के साथ रोहिणी आचार्य। फाइल फोटो

    एजेंसी, पटना। बिहार चुनाव 2025 में राजद के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद रोहिणी आचार्य ने राजनीति छोड़ने का फैसला लिया है। इसी के साथ, रोहिणी ने परिवार से भी नाता तोड़ लिया है। रोहिणी ने खुद एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी साझा की। रोहिणी के बयान के बाद अब जदयू नेता नीरज कुमार का बयान सामने आया है।

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    रोहिणी आचार्य के राजद और परिवार छोड़ने पर जदयू नेता नीरज कुमार ने कहा, "उनके भाई चुप हैं, इसका मतलब है कि घाव गहरा है।"

    नीरज कुमार ने आगे कहा, जिस बेटी ने लालू जी के प्राण की रक्षा की... आज अगर उसके मन में टीस पैदा हुई है, वो करहा रही है और आप राजनीति में धृतराष्ट्र बन गए हैं। जिस भाई (तेजस्वी यादव) के कलाई पर राखी बांधी वो चुप है, इसका मतलब जख्म गहरा है।

    गौरतलब है कि बिहार विधानसभा चुनावों में राजद की करारी हार के एक दिन बाद पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद की बेटी रोहिणी आचार्य ने शनिवार को घोषणा की कि वह राजनीति छोड़ रही हैं और परिवार से नाता तोड़ लिया है।

    उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, "मैं राजनीति छोड़ रही हूं और अपने परिवार से नाता तोड़ रही हूं। संजय यादव और रमीज ने मुझसे यही करने को कहा था। मैं सारा दोष अपने ऊपर ले रही हूं।"

    बता दें कि संजय यादव राजद से राज्यसभा सांसद (RJD Sanjay Yadav) हैं और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे और उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव के सबसे भरोसेमंद सहयोगियों में से एक हैं। रमीज को तेजस्वी का पुराना दोस्त बताया जाता है जो पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश के एक राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखते हैं।

    उल्लेखनीय है कि कुछ साल पहले अपने पिता को किडनी डोनेट करने के कारण चर्चा में रहीं आचार्य ने पिछले साल सारण से लोकसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था।

    ऐसी अटकलें लगाई जा रही थीं कि वह लालू के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव को पार्टी से निकाले जाने से नाखुश थीं। हालांकि, विधानसभा चुनावों के दौरान वह तेजस्वी के लिए प्रचार करती नजर आई थीं।

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