Samrat Choudhary: मुंगेर के छोटे-से गांव से निकले हैं सम्राट चौधरी, बिहार BJP के 'पोस्टर ब्वॉय' की कहानी
सम्राट चौधरी को बिहार भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है। एनडीए सरकार में उनके योगदान को देखते हुए यह निर्णय लिया गया। वे पहले राजद और जदयू में भी रहे। 2025 के चुनाव में उन्होंने तरापुर से शानदार जीत दर्ज की। उनके पिता शकुनी चौधरी भी राजनीति में सक्रिय थे। चौधरी का राजनीतिक सफर विवादों से भरा रहा है।

सम्राट चौधरी। PTI
डिजिटल डेस्क, पटना। तरापुर से प्रचंड जीत हासिल करने वाले सम्राट चौधरी को आज फिर सर्वसम्मति से बिहार भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया है। तमाम आरोप-प्रत्यारोप को किनारे करते हुए एनडीए सरकार की बड़ी जीत में महत्वपूर्ण योगदान का फल उन्हें मिलना ही था।
57 वर्षीय कोइरी (कुशवाहा) समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चौधरी, नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उपमुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदार हैं। भाजपा की ओबीसी छवि को मजबूत करने वाले इस तेजतर्रार नेता का राजनीतिक सफर उतार-चढ़ाव वाला रहा है।
राजद, जदयू से निकलकर भाजपा पहुंचे
चौधरी ने 1990 में राजनीति में कदम रखा और राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से शुरुआत की। 1999 में वे राबड़ी देवी सरकार में कृषि मंत्री बने, लेकिन नवंबर 1999 में उन्हें पद से हटा दिया गया, क्योंकि उनकी उम्र 25 वर्ष से कम होने का विवाद सामने आया।
2000 और 2010 में वे परबत्ता सीट से विधायक चुने गए और 2010 में विपक्ष के मुख्य सचेतक बने। 2014 में वे जनता दल यूनाइटेड में शामिल हुए और जीतन राम मांझी सरकार में शहरी विकास एवं आवास मंत्री भी रहे।

2017 के बाद भाजपा में उदय
2017-2018 में सम्राट चौधरी ने भाजपा का दामन थामा और तेजी से संगठन में आगे बढ़े। वे बिहार भाजपा के उपाध्यक्ष और अध्यक्ष दोनों बने। 2020 में विधान परिषद सदस्य चुने गए।
मंत्री पद: 2021-2022 में उन्होंने पंचायती राज मंत्री का पद संभाला।
विपक्ष का नेतृत्व: अगस्त 2022 से अगस्त 2023 तक वे बिहार विधान परिषद में विपक्ष के नेता थे।
प्रदेश अध्यक्ष: मार्च 2023 से जुलाई 2024 तक उन्होंने बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में पार्टी को नेतृत्व दिया। इसी दौरान उन्होंने पगड़ी पहनने की कसम खाई थी कि जब तक भाजपा सत्ता में नहीं लौटेगी, तब तक नहीं उतारेंगे।

2024 में उपमुख्यमंत्री और 2025 की प्रचंड जीत
जनवरी 2024 में भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वे उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य, शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाला। 2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पैतृक सीट तरापुर से 1,22,480 वोटों के साथ शानदार जीत दर्ज की और आरजेडी के अरुण कुमार को 45,843 वोटों के बड़े अंतर से हराया।
आज फिर से भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद वे बिहार की राजनीति में लव-कुश (कुर्मी-कोइरी) गठजोड़ को मजबूत करने वाले प्रमुख ओबीसी चेहरे के रूप में स्थापित हो चुके हैं, जो एनडीए की मजबूती में निर्णायक भूमिका निभाएंगे।
पिता शकुनी भी दशकों तक विधायक रहे
सम्राट चौधरी का जन्म 16 नवंबर 1968 को मुंगेर जिले के लखनपुर गांव में हुआ था। वे कोइरी जाति से आते हैं। उनका परिवार दशकों से बिहार की राजनीति का केंद्र रहा है। उनके पिता शकुनी चौधरी सात बार विधायक और सांसद रह चुके हैं, जबकि मां पार्वती देवी 1995 में तरापुर से विधायक थीं।
चौधरी ने अपनी स्कूली शिक्षा गृहनगर में पूरी की। हालांकि, उन्होंने उच्च शिक्षा के तौर पर मदुरै कामराज विश्वविद्यालय से डॉक्टर ऑफ लिटरेचर (डी.लिट.) की डिग्री का उल्लेख किया है, लेकिन 2010 के चुनावी हलफनामे में खुद को 7वीं कक्षा तक पढ़ा बताने और 2025 में प्रशांत किशोर द्वारा डिग्री की प्रामाणिकता पर सवाल उठाने के कारण उनकी शिक्षा हमेशा विवादों में रही है। उनकी पत्नी ममता कुमारी एक अधिवक्ता हैं और उनके दो बच्चे हैं।
कई विवादों में भी फंसे
- आयु विवाद: 1999 में मंत्री पद से हटना और वेतन वापसी का आदेश।
- आपराधिक मामले: उन पर चुनाव में अनुचित प्रभाव (धारा 171एफ), सरकारी आदेश की अवज्ञा (धारा 188), चोट पहुंचाने और दंगा से संबंधित आरोप दर्ज हैं।
- विवादास्पद बयान: 2023 में उनका बयान कि भारत 1947 में नहीं, बल्कि 1977 में जेपी की संपूर्ण क्रांति से आजाद हुआ, सुर्खियों में रहा था।
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