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    तेजस्वी यादव क्या नेता प्रतिपक्ष बन पाएंगे? टूटे 'सपने' की सियासी चर्चाओं के बीच पढ़िए नियम

    By Vyas ChandraEdited By: Vyas Chandra
    Updated: Sat, 15 Nov 2025 05:50 PM (IST)

    Bihar Chunav 2025: बिहार की राजनीति में तेजस्वी यादव के नेता प्रतिपक्ष बनने की संभावनाओं पर चर्चा हो रही है। नियमों के अनुसार, किसी भी पार्टी को यह पद पाने के लिए विधानसभा में कम से कम 10% सीटें जीतनी होती हैं। राजद की वर्तमान स्थिति और अन्य दलों की भूमिका इस मामले में महत्वपूर्ण होगी।

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    राजद नेता तेजस्‍वी यादव। जागरण आर्काइव

    डिजिटल डेस्‍क, पटना। बिहार विधानसभा का यह चुनाव राष्‍ट्रीय जनता दल के लिए बेहद निराशाजनक रहा है। पार्टी महज 25 सीटों पर सिमट गई।

    तेजस्‍वी यादव अपनी राघोपुर सीट बचाने में सफल तो रहे लेकि‍न उनकी पार्टी के धुरंधर धराशायी हो गए। यह राजद के इतिहास का दूसरा सबसे खराब प्रदर्शन है।

    इससे पूर्व 2010 में राजद को 22 सीटें मिली थीं। उस चुनाव में 168 सीटों पर लड़ने वाला राजद नीतीश कुमार की लहर में पस्‍त हो गया था।

    तेजस्वी नेता प्रत‍िपक्ष की कुर्सी पर भी बैठ पाएंगे या नहीं?

    ऐसे में अब सबकी उत्‍सुकता यह जानने के लिए बनी हुई है कि चुनावों से पहले मुख्‍यमंत्री बनने का सपना देखने वाले तेजस्‍वी यादव क्‍या नेता प्रत‍िपक्ष की कुर्सी पर भी बैठ पाएंगे या नहीं?

    नियमानुसार उन्‍हें यह कुर्सी मिल सकती है। बिहार में नेता प्रतिपक्ष बनने के लिए संबंधित पार्टी के पास विधानसभा में कुल सदस्‍यों की तुलना में कम से कम 10 प्रत‍िशत विधायक होने चाहिए।

    इस हिसाब से देखा जाए तो इस समय विपक्ष सबसे बड़ी पार्टी राजद ही है। उसके पास विधानसभा के कुल सदस्‍यों 243 के हिसाब से 25 विधायक है।

    2010 के बाद दूसरी सबसे बड़ी हार

    बता दें कि बिहार के एग्‍ज‍िट पोल में एनडीए को बड़े बहुमत का अनुमान जताया गया था, लेकिन इतने प्रचंड बहुमत की उम्‍मीद किसी को नहीं थी।

    साल 2020 में राजद 75 सीटें जीता था, लेकिन PM मोदी और सीएम नीतीश के नेतृत्‍व में एनडीए की सुनामी ने साल 2025 में राजद को महज 25 सीटों पर समेट दिया।

    महागठबंधन के अन्‍य दल 10 सीट ही ला पाए। इनमें कांग्रेस की छह और वाम दलों व अन्‍य की चार सीटें हैं। इस चुनाव से पूर्व जिस तरह कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने बिहार में अभियान चलाया। 

    राहुल गांधी की मछली पकड़ने वाली तस्‍वीर भी वायरल हुई थी। प्र‍ियंका गांधी समेत कांग्रेस के कई वरिष्‍ठ नेताओं ने भी राज्‍य में चुनाव प्रचार क‍िया। 

    विधानसभा की बदली तस्वीर दिखेगी

    इस बार विधानसभा की तस्‍वीर भी बदली दिखेगी। पूर्व में सत्ता पक्ष को विपक्ष बराबरी की टक्‍कर दे रहा था, लेकिन इस बार वैसी स्‍थ‍ित‍ि नहीं होगी।

    किसी मुद्दे पर सरकार का विरोध भी उतना प्रभावी नहीं हो पाएगा, जैसा पिछले विधानसभा सत्र में देखने को मिल रहा था।

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