Bihar Politics: इस सीट पर चुनाव में उतरे महागठबंधन के 2 प्रत्याशी, CPI ने तेजस्वी पर दागा सवाल
बिहार की राजनीति में महागठबंधन के दो प्रत्याशियों के एक ही सीट से चुनाव लड़ने पर विवाद हो गया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस घटनाक्रम से महागठबंधन की एकता पर असर पड़ सकता है, जिसका प्रभाव बिहार चुनाव 2025 पर दिख सकता है।

तेजस्वी यादव।
सुरेंद्र तिवारी, करगहर (रोहतास)। महागठबंधन के नेता भले ही सफाई देते रहे हैं, लेकिन गठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। महागठबंधन से कांग्रेस व सीपीआई के प्रत्याशियों के मैदान में अडिग रहने से करगहर विधानसभा क्षेत्र में लड़ाई बहुकोणीय हो गई है। कांग्रेस ने भी अपने वर्तमान विधायक को मैदान में उतारकर साबित किया है कि महागठबंधन के वही उम्मीदवार हैं, जबकि सीपीआई ने भी अपना उम्मीदवार उतारकर प्रचार-प्रसार तेज कर दिया है।
चार दिन पूर्व राजद सांसद सुधाकर सिंह ने महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी को उम्मीदवार बताया, जबकि सीपीआई ने सुधाकर सिंह के बयान को दरकिनार करते हुए उन्हें भाजपा और आरएसएस का सहयोगी बता डाला।
सीपीआई ने कहा कि रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अपने भाई को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को महागठबंधन का प्रत्याशी बताया है। सीपीआई नेताओं ने कहा कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव प्रेस कॉन्फ्रेंस करके यह स्पष्ट करें कि गठबंधन का उम्मीदवार कौन है।
सीपीआई नेताओं का दावा है कि तेजस्वी यादव के हरी झंडी देने के बाद ही सीपीआई ने अपना प्रत्याशी उतारा है। कांग्रेस एवं सीपीआई तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं और महागठबंधन का प्रत्याशी बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में महागठबंधन के मतदाता उहापोह की स्थिति में फंसे हुए हैं कि आखिर महागठबंधन का प्रत्याशी किसको माना जाए। ऐसे में महागठबंधन का कमजोर होना लाजमी है।
सीपीआई के विधानसभा क्षेत्र में उतरने से कांग्रेस एवं एनडीए को नुकसान होने की बात कहीं जा रही है। कांग्रेस एवं जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी ब्राह्मण समाज से आते हैं, जबकि सीपीआई के प्रत्याशी वैश्य समाज से आते हैं। इसके अलावा, जदयू से पूर्व विधायक और बसपा से पूर्व मंत्री रामधनी सिंह के पुत्र कुर्मी समाज से आते हैं।
जन सुराज पार्टी से फिल्म अभिनेता एवं भोजपुरी गायक को मैदान में उतारा गया है। एक निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा भी जोर-शोर से प्रचार किया जा रहा है, जो कुर्मी बिरादरी से आते हैं। सभी अपने-अपने तरीके से प्रचार प्रसार जोर-शोर से कर रहे हैं। कुल मिलाकर करगहर विधानसभा क्षेत्र में बहु कोणीय मुकाबला होने की बात कही जा रही है।
जातीय समीकरण की बात करें, तो पूरे दमखम के साथ मैदान में उतरने वाले कुर्मी बिरादरी से तीन, ब्राह्मण समाज से दो और वैश्य समाज से एक उम्मीदवार मैदान में हैं। पासवान, राजपूत एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस चुनाव में जन सुराज के आने से जातीय फैक्टर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है।
बताते चलें कि जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर करगहर विधानसभा क्षेत्र के कोनार गांव के रहने वाले हैं। इस कारण उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 3,30,118 मतदाताओं को रिझाने के लिए 11 उम्मीदवार मैंदान में है। इस बार के चुनाव में यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि किस बिरादरी के मतदाता स्पष्ट रूप से किसके पक्ष में मतदान करेंगे।

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