करगहर में पिता की विरासत बचाने मैदान में उतरे दो बेटे, रितेश पांडेय से मिल रही कड़ी टक्कर
करगहर विधानसभा क्षेत्र में दो उम्मीदवार अपने पिताओं की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाने के लिए मैदान में हैं: उदय प्रताप सिंह (बसपा) और संतोष कुमार मिश्रा (कांग्रेस)। वशिष्ठ सिंह (जदयू) तीसरी बार चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि फिल्म स्टार रितेश रंजन पांडेय (जसुपा) पहली बार चुनावी मैदान में उतरे हैं। मुकाबला दिलचस्प होने की उम्मीद है, क्योंकि कई उम्मीदवार और भीतरघात का खतरा भी है।

रितेश पांडेय से मिल रही कड़ी टक्कर
सुरेन्द्र तिवारी करगहर (रोहतास)। करगहर विधानसभा क्षेत्र में दो ऐसे प्रत्याशी हैं जो पिता की राजनीतिक विरासत सम्भालने में जुटे हैं। बिहार सरकार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री रामधनी सिंह के पुत्र उदय प्रताप सिंह दूसरी बार बसपा के टिकट पर मैंदान में उतरे हैं।
रामधनी सिंह दिनारा विधानसभा क्षेत्र से चार बार विधायक रहे तथा परिसीमन के बाद करगहर विधानसभा क्षेत्र से पहले विधायक बनने के बाद बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए। दूसरे तरफ कांग्रेस के कद्दावर नेता बिहार सरकार के पूर्व मंत्री पंडित गिरीश नारायण मिश्र के पुत्र विधायक संतोष कुमार मिश्रा दूसरी बार मैंदान में उतारे गए हैं। सभी दलों के प्रत्याशी मैंदान में उत्तर चुके हैं।
तीसरी बार मैदान में वशिष्ठ सिंह
बिहार सरकार के दोनों पूर्व मंत्रियों को अपने- अपने समय में कद्दावर नेता माने जाते थे।एक साधारण किसान का बेटा वशिष्ठ सिंह 2015 में पहली बार विधायक बने, 2020 में कांग्रेस विधायक संतोष कुमार मिश्रा से पराजित हो गए तथा इस बार तीसरी बार मैदान में उतरे हैं।
संगीत की दुनिया में हलचल मचाने वाले फिल्म स्टार रितेश रंजन पांडेय पहली बार विधानसभा चुनाव में राजनीतिक पारी की शुरुआत की है। सभी दलों के प्रत्याशी लगभग सभी हम उम्र के हैं।
तोष कुमार मिश्रा का अंतिम दिन नामांकन
तीन दलों के प्रत्याशी क्रमशः जसुपा से रितेश रंजन पांडेय, बसपा से उदय प्रताप सिंह एवं जदयू से पूर्व विधायक वशिष्ठ का नामांकन हो चुका है। एक निर्दलीय प्रत्याशी कल्याणपुर के पैक्स अध्यक्ष एवं दो भ्रष्ट अधिकारियों को जेल भेजवाने वाले गोवर्धन सिंह ने भी नामांकन दाखिल कर चुके हैं। जबकि विधायक संतोष कुमार मिश्रा का अंतिम दिन 20 अक्टूबर को नामांकन होना है।
अभी तक करगहर विधानसभा क्षेत्र से कुल छः लोगों ने नामांकन दाखिल किया है। इस बार विधानसभा का चुनाव इस महीने में रोचक कहा जा सकता है कि कोई भी दल का प्रत्याशी किसी जाति का शत प्रतिशत वोट लेने का दावा नहीं कर सकता।
टिकट से वंचित नेता कर सकते हैं भीतरघात
नए दल जसुपा के आने से चतुष्कोणीय मुकाबला फिलहाल होता दिखाई दे रहा है। निर्दलीय प्रत्याशी कई राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों का खेला बिगाड़ सकते हैं। दूसरी ओर टिकट मिलने से वंचित कई नेता भीतरघात कर सकते हैं। भीतर घात किसके लिए फायदेमंद होगा यह कहना मुश्किल है।
बीते पैक्स चुनाव का भी असर विधानसभा चुनाव में पड़ सकता है। सभी प्रत्याशी अपना-अपना गुणा गणित लगाने में जुट गए हैं। इस बार दीपावली एवं छठ पर्व के बाद द्वितीय चरण में होने वाले मतदान में मतदान की प्रतिशतता बढ़ने की संभावना है।
चुकी अन्य प्रदेशों में काम करने वाले लोग अधिकतर दिवाली एवं छठ में घर वापस आ जाते हैं। वैसी स्थिति में वे मतदान के बाद ही अन्य प्रदेशों में लौट सकते हैं। अन्य प्रदेशों में काम करने वाले लोगों द्वारा किए गए मतदान का लाभ भी प्रत्याशियों को मिलेगा। अधिकांश मतदाताओं की चुप्पी प्रत्याशियों के लिए सिरदर्द बनता जा रहा है।
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