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    करगहर में टूटा महागठबंधन!, कांग्रेस- सीपीआई उतारे अलग-अलग उम्मीदवार

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 01:29 PM (IST)

    बिहार के करगहर में महागठबंधन में फूट पड़ गई है। कांग्रेस और सीपीआई ने अलग-अलग उम्मीदवार उतारने का फैसला किया है, जिससे गठबंधन में तनाव बढ़ गया है। सीटों के बंटवारे पर सहमति न बनने के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है, जिसका असर महागठबंधन की एकता पर पड़ सकता है।

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    करगहर में टूटा महागठबंधन

    सुरेन्द्र तिवारी, करगहर (रोहतास)। महागठबंधन के नेता अपनी पूरी सफाई भले ही देते रहे हैं। लेकिन महागठबंधन में सब कुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा है। महागठबंधन से कांग्रेस एवं सीपीआई के प्रत्याशियों के मैदान में अडिग रहने से करगहर विधानसभा क्षेत्र में लड़ाई बहुकोणीय हो गई है। 

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    कांग्रेस ने भी अपने वर्तमान विधायक को मैदान में उतारकर साबित किया कि महागठबंधन के यही उम्मीदवार हैं। जबकि सीपीआई ने भी अपना उम्मीदवार मैदान में उतारकर प्रचार प्रसार तेज कर दिया है। 

    चार दिन पूर्व राजद सांसद सुधाकर सिंह ने महागठबंधन की ओर से कांग्रेस प्रत्याशी को उम्मीदवार बताया जबकि सीपीआई ने सुधाकर सिंह के बयान को दरकिनार करते हुए उन्हें भाजपा और आरएसएस का सहयोगी बता डाला। 

    भाई को लाभ पहुंचाने का आरोप

    कहा कि रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में अपने भाई को लाभ पहुंचाने के लिए उन्होंने कांग्रेस उम्मीदवार को महागठबंधन का प्रत्याशी बताया है। सीपीआई नेताओं ने कहा कि महागठबंधन के नेता तेजस्वी यादव प्रेस कांफ्रेंस करके यह स्पष्ट करें कि महागठबंधन का उम्मीदवार कौन है। 

    सीपीआई नेताओं का दावा है कि तेजस्वी यादव के हरी झंडी देने के बाद ही सीपीआई ने अपना प्रत्याशी उतारा है। कांग्रेस एवं सीपीआई तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री के रूप में प्रोजेक्ट कर रहे हैं और महागठबंधन का प्रत्याशी बता रहे हैं। ऐसी स्थिति में महागठबंधन के मतदाता उहापोह की स्थिति में फंसे हुए हैं कि आखिर महागठबंधन का प्रत्याशी किसको माना जाए। 

    कांग्रेस एवं एनडीए को नुकसान होने की संभावना

    ऐसी स्थिति में महागठबंधन का कमजोर होना लाजमी है। सीपीआई के विधानसभा क्षेत्र में उतरने से कांग्रेस एवं एनडीए को नुकसान होने की बात कहीं जा रही है। कांग्रेस एवं जन सुराज पार्टी के प्रत्याशी ब्राह्मण समाज से आते हैं जबकि सीपीआई के प्रत्याशी वैश्य समाज से आते हैं। 

    इसके अलावा जदयू से पूर्व विधायक और बसपा से पूर्व मंत्री रामधनी सिंह के पुत्र कुर्मी समाज से आते हैं। जन सुराज पार्टी से फिल्म अभिनेता एवं भोजपुरी गायक को मैंदान में उतारा गया है। एक निर्दलीय प्रत्याशी द्वारा भी जोर शोर से प्रचार विगत एक साल से किया जा रहा है जो कुर्मी बिरादरी से आते हैं। 

    कुर्मी बिरादरी से तीन उम्मीदवार 

    सभी अपने-अपने तरीके से प्रचार प्रसार जोर-शोर से कर रहे हैं। कुल मिलाकर करगहर विधानसभा क्षेत्र में बहु कोणीय मुकाबला होने की बात कही जा रही है। जातीय समीकरण की बात करें तो पूरी दमखम के साथ मैदान में उतरने वाले कुर्मी बिरादरी से तीन, ब्राह्मण समाज से दो और वैश्य समाज से एक उम्मीदवार मैदान में हैं। 

    पासवान, राजपूत एवं अत्यंत पिछड़ा वर्ग के मतदाता इस चुनाव में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस चुनाव मेंजन सुराज के आने से जातीय फैक्टर पूरी तरह ध्वस्त हो चुका है। जन सुराज पार्टी के पहली बार मैदान में उतरने से मुकाबला रोचक हो गया है। 

    बताते चलें कि जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर करगहर विधानसभा क्षेत्र के कोनार के रहने वाले हैं। इस कारण उनकी भी प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। 3,30,118 मतदाताओं को रिझाने के लिए 11 उम्मीदवार मैंदान में है। इस बार के चुनाव में यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा है कि किस बिरादरी के मतदाता स्पष्ट रूप से किसके पक्ष में मतदान करेंगे। यानी यूं कहे कि सभी प्रत्याशियों का कुछ न कुछ मत हर जाति में है।