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    भितरघात की आग में झुलसते दिग्गज, नए योद्धा मुद्दों की तलवार भांज रहे!

    Updated: Thu, 30 Oct 2025 12:56 PM (IST)

    रोहतास के नोखा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी सरगर्मी बढ़ गई है। उम्मीदवार मतदाताओं को लुभाने में लगे हैं, पर असंतुष्टों को मनाना मुश्किल है। भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे मुद्दे चर्चा में हैं, लेकिन दलों में अंतर्कलह भी जारी है। नए उम्मीदवार पुराने दिग्गजों के लिए चुनौती बन रहे हैं, वहीं टिकट न मिलने से नाराज नेता अलग खिचड़ी पका रहे हैं। वरिष्ठ नेता सुलह की कोशिश कर रहे हैं, पर राजनीतिक पंडितों को संदेह है।

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    भितरघात की आग में झुलसते दिग्गज

    उदय पाण्डेय, राजपुर (रोहतास)। विधानसभा चुनाव की तारीख जैसे जैसे नजदीक आ रही है। वैसे वैसे नोखा विधानसभा में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ने लगी है। चुनावी रण में ताल ठोक रहे दल व निर्दलीय उम्मीदवार अपने समर्थकों के साथ चुनावी दौरा के दौरान गांव में पहुंच मतदाता को सब्जबाग दिखा अपने पक्ष में रिझाने लगे हैं।

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    दल व प्रत्याशी से नाखुश चल रहे लोगों का मान-मनौव्वल होने लगा है। लेकिन मन है कि मानता नहीं ।जिसे ले चुनावी अखाड़े में एक दुसरे से दो दो हाथ करने के लिए उतरे प्रत्याशी के माथे से पसीना छुटने लगा है।चाय की दुकान हो या गांव की चौक चौराहे वहां पर बैठे लोग एक दूसरे को हराने व जिताने का गुणा गणित समझा रहे है।

    भ्रष्टाचार, पलायन, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात

    अपने ही दल के नेता व कार्यकर्ता घात प्रतिघात का खेल खेलने लगे हैं। जिसे ले इस बार नोखा विधानसभा का चुनाव काफी दिलचस्प दिखने लगा है । इस बार नए लडाके भी मैदान में कूद लोगों के बीच भ्रष्टाचार, पलायन, बेरोजगारी जैसे मुद्दों की बात कर मतदाता को अपने पक्ष में करने पर उतारू हैं।

    नए लड़ाके पुराने दिग्गजों के अंदर चल रहे अंतर्कलह व भितरघात का लाभ उठाने को ले एड़ी चोटी की जोर लगा रहे हैं। पुराने धुरंधर जितना चिंतित नए लड़ाके से नहीं हैं उससे अधिक अपने ही दल के लोगों से परेशान हैं। 

    उम्मीदवारों को अंतर्कलह व भितरघात से अपना कोर वोट खिसकने का भय सताने लगा है। टिकट न मिलने से नराज नेता अंतर्ध्यान हो गए हैं। अपने दल के साथ न रह अलग-अलग खिचड़ी पकाने में जुटे हैं। 

    जो दलों के प्रत्याशी के समक्ष बड़ी चुनौती बनी हुई है।हलाकी दल के बरीय लोग असंतुष्ट चल रहे नेता व कार्यकर्ता को मनाने में जुटे हुए हैं। मना लेने की बात भी कह रहे है। लेकिन राजनीतिक पंडितों को यह बात गले नहीं उतर रहा।घात प्रतिघात के इस खेल में किसे नुकसान व किसे मिलेगा लाभ यह तो आने वाला समय ही बताएगा।