रामविलास यादव के स्वजनों ने हर संभव प्रयास किया ताकि वे लोकतंत्र के इस महापर्व में अपनी भागीदारी निभा सकें।
कोई उनके सहारे खड़ा था तो कोई उन्हें खटिया पर बैठाकर मतदान केंद्र तक पहुंचा रहा था। कुछ ने लाठी का सहारा देकर उनके चलने में मदद की।
यह नजारा न केवल परिवार की जिम्मेदारी का प्रतीक था, बल्कि लोकतंत्र में मतदान के महत्व को भी उजागर करता है।
परिवार के सदस्यों ने बताया कि रामविलास यादव पिछले कई वर्षों से स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं, लेकिन उन्होंने मतदान का अधिकार गंवाना कभी नहीं चाहा।
आज भी अपने वोट के अधिकार का प्रयोग करने वे उत्सुक थे। यह पूरी प्रक्रिया गांव और आसपास के क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणादायक साबित हुई।
मतदान केंद्र पर मौजूद चुनाव कर्मचारी और अन्य लोग इस दृश्य को देखकर भावुक हो उठे। उन्होंने वृद्ध मतदाता और उनके परिवार को पूरी सहायता प्रदान की।
इस दौरान आसपास के मतदाताओं ने भी बढ़-चढ़कर इस पर प्रशंसा की और कहा कि लोकतंत्र में मतदान केवल अधिकार नहीं, बल्कि दायित्व भी है।
यह घटना एक बार फिर साबित करती है कि चाहे शारीरिक चुनौतियां कितनी भी हों, सच्चे मतदाता अपने कर्तव्य का पालन अवश्य करते हैं।
बूथ संख्या 290 पर यह दृश्य लोकतंत्र की जीवंतता और मतदाता की सक्रियता का सजीव उदाहरण बन गया।
यहाँ की प्रशासनिक व्यवस्था और सुरक्षा के बीच इस प्रकार की संवेदनशील देखभाल ने मतदान प्रक्रिया को और भी सुचारू और सम्मानजनक बनाया।
ऐसे क्षण लोकतंत्र के प्रति लोगों की आस्था और विश्वास को बढ़ाते हैं।
रोहतास के इस बूथ पर 85 वर्षीय रामविलास यादव के खटिया पर मतदान करने का यह दृश्य लोकतंत्र के उत्सव को और भी खास बना गया है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
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