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    Sonbarsha Assembly Seat 2025: सड़क, पुल-पुलिया में हुआ सुधार; स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब भी समस्या बरकरार

    Updated: Wed, 06 Aug 2025 02:33 PM (IST)

    सहरसा जिले के सोनवर्षा क्षेत्र में चुनाव दस्तक दे रहा है। यहां महाभारतकालीन राजा विराट से जुड़े विराटपुर और चंडिका स्थान जैसे महत्वपूर्ण स्थल हैं। वर्तमान विधायक रत्नेश सादा ने शिक्षा स्वास्थ्य और सुरक्षा के नाम पर वोट मांगा था। बीते वर्षों में सड़क और बिजली के क्षेत्र में विकास हुआ है पर अनुमंडल बनाने की मांग अभी भी अधूरी है।

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    सड़क, पुल-पुलिया में हुआ सुधार; स्वास्थ्य के क्षेत्र में अब भी समस्या बरकरार

    कुंदन, सहरसा। सोनवर्षा पुरातात्विक दृष्टि से अतिमहत्वपूर्ण है। महाभारतकालीन राजा विराट के नाम से जुड़ा विराटपुर, चंडिका स्थान और जलसीमा महादेव मंदिर है। मान्यता है कि यहां पांडवों ने पूजा- अर्चना की थी। विगत तीन विधानसभा चुनाव से यह सीट अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित है। बिहार सरकार के वर्तमान मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री रत्नेश सादा लगातार इस विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।

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    2020 का चुनाव रत्नेश सादा ने गरीबों के उत्थान, रोजी-रोजगार, शिक्षा- स्वास्थ्य क्षेत्र के विकास, महिलाओं की सुरक्षा, बेहतर आवागमन के नाम पर वोट मांगा था। इन बीते पांच वर्षों में इस क्षेत्र में सड़क, पुल- पुलिया, बिजली आदि के क्षेत्र में कई कार्य हुए हैं। गांव से लेकर प्रखंडस्तरीय बाजार तक बदलाव नजर आता है। इससे आमजनों को सहूलियत भी हुई है।

    विधानसभा चुनाव की दस्तक के बाद सोनवर्षा के चुनावी परिदृश्य ने भी तेजी से अपना स्वरूप लेना शुरू कर दिया। एक तरफ सरकार की उपलब्धियों का दावा है तो दूसरी तरफ विपक्ष बदलाव की बात कर रहा है। चुनाव आने के कारण जनता को एकबार फिर सवाल का मौका मिला है। जनता वादों को स्मरण कराकर लगातार प्रतिनिधित्व कर रहे अपने विधायक से जवाब मांगने लगी है।

    अनुमंडल और प्रखंड का लोगों को है इंतजार:

    जिले के पुराने प्रखंड मुख्यालयों में से एक सोनवर्षा को अनुमंडल बनाने और भौगोलिक दृष्टि से दुरूह क्षेत्र वाले महुआ को प्रखंड बनाने की मांग वर्षों से की जा रही है। जहां महुआ के लोगों को अपने आवश्यक कार्य के लिए सोनवर्षा आने-जाने में काफी समय लग जाता है, वहीं अनुमंडल मुख्यालय 25 किलोमीटर सहरसा होने के कारण इस इलाके के लोगों की पीड़ा असहनीय बनी हुई है।

    इसके अलावा स्वास्थ्य के क्षेत्र में सोनवर्षा, बनमा ईटहरी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निर्माण हुआ, लेकिन यहां आज भी चिकित्सकों का अभाव बना है। आज भी यहां मरीज रेफर होते हैं।

    चंडी महोत्सव प्रारंभ कराने की घोषणा पर नहीं हुआ अमल:

    सहरसा जिले में कई महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल हैं। इन सभी के नाम पर महोत्सवों का आयोजन हो रहा है, परंतु महाभारत काल में राजा विराट की राजधानी रहे विराटपुर में अवस्थित चंडी स्थान के लिए घोषणा के बावजूद चंडी महोत्सव का आयोजन नहीं हो सका है और न ही पर्यटकीय महत्व वाले जलसीमा मंदिर का ही विकास कार्य हो सका।

    कई गांवों में आवागमन की सुविधा का अभाव:

    क्षेत्र में बड़े पैमाने पर सड़कों का निर्माण हुआ, परंतु अब भी कई गांव मुख्य सड़क से नहीं जुड़ पाए हैं। विराटपुर से गोलमा होते पतरघट जाने वाली सड़क वर्षों से जानलेवा बनी हुई है। जम्हरा भरना मुसहरी के लोग सड़क के अभाव में बरसात के समय आज भी नारकीय बदहाली झेलने के लिए विवश हैं।

    विधायक ने इन सभी सड़कों के कायाकल्प की घोषणा की थी, जो अब तक धरातल पर नहीं उतर सकी है। सहसौल पंचायत के विश्वनाथपुर टोला के लोग आज भी सड़क से वंचित हैं।

    सोनवर्षा को पहचान दिलाने के लिए हुए कई कार्य:

    सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र में सड़क पुल- पुलिया आदि के कई कार्य हुए हैं। सोनवर्षा मुख्यालय को पहचान दिलाने के लिए भी काम किए गए। विधायक के प्रयास से 2012 में इसे उपजिला का दर्जा दिया गया।

    स्थानीय विधायक ने अनुसूचित जाति- जनजाति कल्याण मंत्री रहते काशनगर में 120 बेड का छात्रावास बनवाया। मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री बनने के बाद विधायक ने यहां निबंधन कार्यालय खुलवाया। सोनवर्षा में एक अनुमंडलीय पुस्तकालय भी खोला गया।

    सोनवर्षा विधायक की घोषणाएं-

    • सोनवर्षा प्रखंड मुख्यालय को अनुमंडल का दर्जा दिलाना
    • महुआ बाजार को प्रखंड मुख्यालय बनाना
    • विराटपुर में चंडी महोत्सव का आयोजन
    • हर गांव में सड़क पुल- पुलिया का निर्माण

    सोनवर्षा विधायक रत्नेश सादा के कार्यकाल की उपलब्धियां:

    • तीन अरब 52 करोड़ की लागत से सोनवर्षा प्रखंड की 27 सड़कों का निर्माण
    • लगभग ढाई सौ करोड़ की लागत से पतरघट की 28 सड़कों का निर्माण
    • व्यापार मंडल के लिए किसान भवनों का निर्माण
    • विद्यालयों व धार्मिक स्थलों में कला मंच का निर्माण

    पांच वर्ष में बढ़े मतदाता:

    सोनवर्षा विधानसभा क्षेत्र (74) में गत चुनाव की तुलना में 15577 मतदाताओं की बढ़ोतरी हुई है। 2020 के चुनाव के समय के कुल मतदाता की संख्या तीन लाख 11 हजार 625 से बढ़कर तीन लाख 27 हजार 202 हो गई है।

    गत चुनाव के समय पुरुष मतदाताओं की संख्या एक लाख 61 हजार 69 थी, जो अब बढ़कर एक लाख 68 हजार 812 और गत चुनाव की अपेक्षा महिला मतदाताओं की संख्या एक लाख 50 हजार 551 से बढ़कर एक लाख 58 हजार 387 हो गई है।

    क्या बोले विधायक?

    मैंने अपने तीनों कार्यकाल में पूरी निष्ठा से क्षेत्र के लिए काम किया है। हालांकि हमारे मन में कई और भी बड़ी योजनाएं है, जिसे अब तक पूरा करने में सफलता नहीं मिली, परंतु हम अपने कार्य से संतुष्ट हैं। गांव- गांव में सड़क पहुंचाने के प्रयास में 90 प्रतिशत सफलता हासिल की की है। आने वाले दिनों में सोनवर्षा राज्य के विकास के मानचित्र पर ऊपरी पायदान पर रहेगा। - रत्नेश सादा, विधायक सह मद्य निषेध एवं निबंधन मंत्री

    क्या बोले प्रतिद्वंद्वी?

    तीन बार मौका मिलने के बाद भी क्षेत्र में कोई उल्लेखनीय कार्य नहीं हुआ। दशकों से सोनवर्षा को अनुमंडल बनाने की मांग उठ रही है। सत्ताधारी दल में रहने और स्वयं दो बार मंत्री बनने के बाद भी क्षेत्र की उपलब्धि शून्य है। सारे दावे धरातल पर खोखले साबित हो रहे हैं। - तारणी ऋषिदेव, कांग्रेस

    क्या बोली जनता?

    विराटपुर के शालेश्वर मिश्र का कहना है कि चंडी स्थान मंदिर का ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व है। हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए आते हैं, लेकिन सरकार द्वारा इस स्थान के विकास के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। क्षेत्र के विधायक रत्नेश सादा लगातार तीन बार जीत चुके हैं। दो बार राज्य सरकार में मंत्री रहे। इसके बावजूद चंडी स्थान को पर्यटन स्थल घोषित कराने की कोई प्रभावी पहल नहीं की। इस बार विकास के वादों के बजाय काम का हिसाब मांगेंगे। चंडी स्थान मंदिर की उपेक्षा इस बार चुनावी मुद्दा बनने जा रहा है। जिससे वर्तमान जनप्रतिनिधि की राह मुश्किल हो सकती है।

    वहीं, बीरेंद्र सिंह का कहना है, चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे किए गए थे। सोनवर्षा राज को अनुमंडल का दर्जा देने और महुआ बाजार को अलग प्रखंड बनाने की घोषणा भी उन्हीं में शामिल है, लेकिन वर्षों बीत जाने के बाद भी न कोई अधिसूचना जारी हुई, न ही कोई ठोस पहल हुई। इन वादों को सिर्फ चुनावी जुमला बना दिया गया है। अब हवा-हवाई वादों का ज़माना नहीं है। इस बार जनता सिर्फ नारों से नहीं, विकास के ठोस काम से तय करेगी कि किसे वोट देना है।

    संतोष कुमार ने कहा कि विधायक सह मंत्री रत्नेश सादा का कार्यकाल अब तक विकास के लिए काफी महत्वपूर्ण रहा। पिछले 15 वर्षों के प्रतिनिधित्व में जो भी घोषणाएं की उसे पूरा करने का काम किया। जो सड़क वर्षों से जर्जर थी, उसे मुख्यमंत्री क्षेत्र विकास योजना से निर्माण करा क्षेत्र वासियों को राहत प्रदान करने का काम किया। प्रखंड में निबंधन कार्यालय की स्थापना दर्जनों बड़ी उपलब्धियों में से एक है।

    सागर कुमार झा ने बताया कि विधायक सह मंत्री के कार्यकाल में अभूतपूर्व विकास का कार्य दिख रहा है। अतलखा- झिटकिया सड़क, विराटपुर-खजुराहा सड़क, देहद-सहसोल-नौनैती मुख्य सड़क का कायाकल्प हुआ। मुख्यमंत्री का गांव को शहर से जोड़ने का सपना अब पूरा हो गया है। सात निश्चय योजना के तहत लोगों को हर घर नल जल, पक्की सड़क, आदि की सुविधा मिली है।