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    बिहार का पहला विश्वविद्यालय, जहां डिजिटल हुई लाइब्रेरी; बिना लाइब्रेरियन के इश्यू हो जाएगी किताब

    Updated: Mon, 18 Aug 2025 04:13 PM (IST)

    डॉ. राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का पुस्तकालय डिजिटल हो गया है। यह बिहार का पहला डिजिटल स्वचालित पुस्तकालय है। आरएफआईडी और माइलाफ्ट तकनीक से पुस्तकें इशू कराना और वापस करना आसान होगा। छात्र मोबाइल से भी पुस्तकें पढ़ सकते हैं। कुलपति ने छात्रों को सुविधा देने के लिए यह कदम उठाया है।

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    विश्वविद्यालय का पुस्तकालय डिजिटल स्वचालित तकनीक से हुआ लैस

    संवाद सूत्र, पूसा। डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय पूसा का केंद्रीय पुस्तकालय अब पूर्णतया डिजिटल हो गया है। बिहार में डिजिटल स्वचालित तकनीक से लैस यह पहला विश्वविद्यालय है।

    विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पीएस पांडेय ने कहा कि पुस्तकालय में आरएफआईडी तथा माइलाफ्ट तकनीक लागू कर दी गई है। आरएफआईडी एक वायरलेस पहचान तकनीक है, जो रेडियो तरंगों के माध्यम से पुस्तकों की पहचान और ट्रैकिंग करती है।

    उन्होंने कहा कि इसके उपयोग से पुस्तकालय से पुस्तकों को इशू (निर्गत ) कराना और वापस करना एक तेज सटीक और स्वचालित तकनीक से होती है। छात्रों को अब पुस्तकालय सहायक के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। वे सीधे सेल्फ से पुस्तकों को सेल्फ चेक इन और चेक आउट मशीन की सहायता से ले सकते हैं और वापस कर सकते हैं।

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    इसके अतिरिक्त पुस्तकालय अब छात्रों को हर समय हर जगह उपलब्ध हो इसके लिए माइलाफ्ट तकनीक को भी शुरू कर दिया गया है। माइलाफ्ट तकनीक को माइ लाईब्रेरी आन फिंगरटिप्स भी कहते हैं।

    इसके शुरू हो जाने से छात्र विश्वविद्यालय की सभी पुस्तकों को डिजिटल फार्म में अपने मोबाइल के माध्यम से भी पढ़ सकते हैं। विश्वविद्यालय के पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा ने कहा कि इस तरह की अत्याधुनिक तकनीक ज्यादातर विदेशी विश्वविद्यालयों में ही है।

    कुलपति की विशेष इच्छा थी कि विश्वविद्यालय पुस्तकालय को पूर्णतया डिजिटल कर दिया जाए ताकि छात्र जब चाहें और जहां चाहे, पढ़ सके। उन्होंने कहा कि इस तकनीक से पुस्तकालय के रखरखाव के खर्च में भी कमी होगी और छात्रों को भी अधिक फायदा होगा।

    इसके अतिरिक्त पुस्तकालय में सहायकों की आवश्यकता भी कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय में इस वक्त पांच लाख से अधिक पुस्तकें हैं तथा दुनिया के सबसे बेहतरीन जर्नल्स का आनलाइन डाटाबेस मौजूद हैं।

    उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसी सुविधा और ऐसे शोध जर्नल कही भी उपलब्ध नहीं है। कुलसचिव डॉ मृत्यु्जय कुमार ने विश्वविद्यालय के लाइब्रेरी को डिजिटल और अत्याधुनिक बनाने के लिए कुलपति डॉ पीएस पांडेय और विश्वविद्यालय पुस्तकालय अध्यक्ष डॉ राकेश मणि शर्मा को बधाई दी। उन्होंने कहा कि आने वाले समय में इसकी पहचान दुनिया भर में स्थापित होगी।