Bihar Election 2025: पेड और फेक न्यूज पर प्रशासन की रहेगी पैनी नजर, मीडिया मॉनिटरिंग कमेटी का हुआ गठन
बिहार में 2025 के चुनावों को देखते हुए, पेड और फेक न्यूज पर नियंत्रण रखने के लिए मीडिया मॉनिटरिंग कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी पेड न्यूज और सोशल मीडिया पर गलत सूचनाओं पर नजर रखेगी। प्रशासन का उद्देश्य चुनाव प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखना है। गलत सूचना फैलाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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चुनाव के दौरान पेड व फेक न्यूज पर प्रशासन की रहेगी पैनी नजर। फोटो जागरण
जागरण संवाददाता, छपरा। विधानसभा चुनाव के दौरान सारण जिले में पेड न्यूज और मीडिया से जुड़ी गतिविधियों पर जिला प्रशासन ने कड़ी निगरानी शुरू कर दी है।
चुनाव के दौरान किसी भी प्रकार की भ्रामक, भड़काऊ या भुगतान आधारित खबरों के प्रसारण और प्रकाशन पर रोक लगाने के लिए जिला स्तर पर मीडिया मॉनिटरिंग कमेटी (एमएमसी) का गठन किया गया है।
यह कमेटी प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और इंटरनेट मीडिया पर होने वाले प्रसारणों और समाचारों पर विशेष ध्यान रखेगी, ताकि चुनाव की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनी रहे।
मीडिया प्रमाणन व मॉनिटरिंग समिति कर रही है निगरानी
चुनाव आयोग के निर्देश पर जिले में मीडिया प्रमाणन एवं मॉनिटरिंग समिति (एमएमसी) का गठन किया गया है। यह समिति इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में प्रसारित होने वाले विज्ञापनों की स्वीकृति प्रदान करेगी।
किसी भी टीवी चैनल, केबल नेटवर्क या डिजिटल प्लेटफार्म पर चुनाव संबंधी विज्ञापन प्रसारित करने से पहले एमसीएमसी से अनुमति लेना अनिवार्य है।
समिति इस बात की जांच करेगी कि विज्ञापन में कहीं भड़काऊ, धार्मिक भावना भड़काने वाला या शांति व्यवस्था को प्रभावित करने वाला कोई कंटेंट तो नहीं है।
पेड न्यूज और फेक न्यूज पर होगी कार्रवाई
चुनाव के दौरान समाचार पत्र, टीवी चैनल, केबल नेटवर्क और इंटरनेट मीडिया पर समाचारों की शुचिता बनाए रखना प्रशासन की प्राथमिकता है। यदि किसी भी प्लेटफॉर्म पर पेड न्यूज या फेक न्यूज प्रसारित या प्रकाशित की जाती है तो संबंधित व्यक्ति, चैनल या संस्था पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि किसी भी प्रकार की गलत या भ्रामक जानकारी मतदाताओं तक पहुंचाने की कोशिश को आचार संहिता उल्लंघन माना जाएगा।
विज्ञापन के लिए लेनी होगी पूर्व अनुमति
चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवारों को किसी भी माध्यम में विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने से पहले एमसीएमसी कमेटी से प्री-सर्टिफिकेशन लेना होगा।
भारत निर्वाचन आयोग से पंजीकृत राजनीतिक दलों के उम्मीदवारों को विज्ञापन की स्वीकृति के लिए तीन दिन पहले आवेदन करना होगा, जबकि निर्दलीय या अन्य उम्मीदवारों को सात दिन पहले आवेदन प्रस्तुत करना अनिवार्य है।
कमेटी विज्ञापन की सामग्री की जांच कर दो दिनों के भीतर स्वीकृति या अस्वीकृति का निर्णय देगी। मतदान के पूर्व और मतदान के दिन बिना अनुमति के विज्ञापन प्रकाशित या प्रसारित करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
इंटरनेट मीडिया पर भी रखी जा रही है निगरानी
विधानसभा चुनाव में इस बार इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म जैसे फेसबुक, एक्स (ट्विटर), इंस्टाग्राम, यूट्यूब और व्हाट्सएप पर भी प्रशासन की नजर रहेगी।
किसी भी उम्मीदवार या पार्टी समर्थक द्वारा इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट किए गए प्रचार सामग्री को भी चुनावी प्रचार का हिस्सा माना जाएगा।
जिला प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इंटरनेट मीडिया पर भ्रामक या गलत सूचनाएं फैलाने वालों की पहचान कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
शिकायत के लिए उपलब्ध कराया गया टोल फ्री नंबर
चुनाव आयोग ने पेड न्यूज या भ्रामक प्रचार से संबंधित शिकायतों के लिए टोल फ्री नंबर 1950 जारी किया है। किसी भी मतदाता या नागरिक को यदि किसी मीडिया प्लेटफार्म पर भ्रामक खबर या अनधिकृत विज्ञापन की जानकारी मिलती है, तो वह इसकी शिकायत इस नंबर पर दर्ज करा सकता है।
उप निर्वाचन पदाधिकारी जावेद इकबाल ने बताया कि जिला निर्वाचन पदाधिकारी सह जिलाधिकारी अमन समीर के निर्देश पर गठित कमेटी सक्रिय रूप से कार्य कर रही है। सभी मीडिया माध्यमों की निगरानी की जा रही है ताकि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव संपन्न हो सके।

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