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    पंचायत सरकार भवन है या जलमहल... गलत स्थल चयन से डूबा सारण में करोड़ों का प्रोजेक्ट

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 12:06 PM (IST)

    मांझी प्रखंड के कौरुधौरु पंचायत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण गलत स्थल चयन के कारण बाधित है। साढ़े तीन करोड़ की लागत से बना भवन पानी से घिरा है जिससे निर्माण कार्य रुक गया है। ग्रामीणों का कहना है कि यह भवन मछली और सांपों का डेरा बन गया है।

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    पंचायत सरकार भवन या जलमहल, गलत स्थल चयन से डूबा करोड़ों का प्रोजेक्ट

    संजय सिंह, जागरण दाउदपुर (सारण)। मांझी प्रखंड के कौरुधौरु पंचायत में पंचायत सरकार भवन का निर्माण विभागीय लापरवाही व गलत स्थल चयन की भेंट चढ़ गया है। लगभग साढ़े तीन करोड़ रुपये की लागत से गुर्दाहा कला गांव के समीप यह भवन महीनों से पानी से घिरा हुआ है। बरसात का पानी छह से आठ फीट तक भर जाने के कारण निर्माण कार्य पूरी तरह ठप हो चुका है।

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    ग्रामीणों का कहना है कि यह भवन पंचायत कार्यों के लिए नहीं, बल्कि मछली और सांपों का स्थायी डेरा बनकर रह जाएगा। आखिर क्या सोच कर इसे यहां बनाया जा रहा है। यह चवर इलाका छह माह पानी से घिरा रहता है। अगर यह बनकर चालू भी हो जायेगा तो यहां कर्मी व लोग कैसे आयेंगे व जायेंगे। अगर इसकी सही जांच हो तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आयेगा। यह सरकारी पैसे का पूरी तरह से दुरूपयोग है।

    नाव से पहुंचने की मजबूरी

    निर्माण स्थल चारों ओर से दह पुरैना के पानी से घिरा हुआ है। हालात इतने बदतर हैं कि भवन तक पहुंचने के लिए संवेदक को नाव का सहारा लेना पड़ता है। काम बंद होने के बाद अब सिर्फ एक मुंशी पानी पार कर भवन की देखरेख करता है। ग्रामीण बताते हैं कि बारिश के मौसम में तीन-चार महीने तक यहां सिर्फ नाव से ही आवाजाही संभव है। सरकार की ओर से नाव की कोई व्यवस्था नहीं की गई है। मजबूरी में लोग केले के पेड़ से नाव बनाकर जान जोखिम में डालते हैं, ताकि खेतों में काम करने और मवेशियों का चारा लाने का रास्ता बना सकें।

    सांप और मछलियों का डेरा

    स्थानीय लोगों का कहना है कि चारों ओर पानी भरने से भवन परिसर में जहरीले सांप और जलीय जीवों ने डेरा जमा लिया है। उनकी आशंका है कि अधिक बारिश होने पर एक मंजिला भवन में भी पानी घुस जाएगा। ऐसे में करोड़ों की लागत से बन रहा यह भवन पंचायत गतिविधियों के बजाय खतरनाक जीवों का बसेरा साबित होगा।

    विभाग पर गंभीर लापरवाही का आरोप

    ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने विभाग पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि सड़क के नजदीक पर्याप्त भूमि उपलब्ध थी, जहां भवन आसानी से बनाया जा सकता था, लेकिन विभागीय अधिकारियों ने गलत रिपोर्ट के आधार पर दह पुरैना के बीच स्थल चुन लिया। हैरानी की बात यह है कि भवन तक पहुंचने के लिए कोई संपर्क मार्ग भी अधिग्रहित नहीं किया गया।

    बोले गांव के लोग

    उमेश महतो का कहना है कि 552 बीघा में फैले दह पुरैना चंवर का यह इलाका छह महीने तक पानी में डूबा रहता है। सरकारी विभाग की गलत रिपोर्ट और जल्दबाजी में किए गए चयन की वजह से पूरे प्रखंड को नुकसान उठाना पड़ रहा है। तंज कसते हुए इस परियोजना को विफल करार दिया।

    ग्रामीण मंगल महतो ने कहा कि यह भवन पंचायत का नहीं, बल्कि बिच्छू और मछली का घर बनकर रह जाएगा। सड़क के किनारे पर्याप्त भूमि थी, लेकिन विभाग ने पानी से घिरे दह पुरैना को चुनकर करोड़ों का नुकसान कर दिया।

    इंद्रदेव महतो का कहना है कि बरसात के बाद भी यहां पानी रहता है। यह पूरा चवर इलाका है। यह स्थल कैसे चयनित हो गया, यह जांच का विषय है

    पंचायत प्रतिनिधियों का गुस्सा

    निर्णय को दिशाहीन और गैर-जिम्मेदाराना बताया। उनका कहना है कि पंचायत से कोई राय नहीं ली गई। उन्होंने मांग की कि तुरंत भवन को संपर्क पथ से जोड़ा जाए।

    उदय शंकर सिंह, कौरुधौरु पंचायत के मुखिया प्रतिनिधि 

    जब तक लगभग एक हजार मीटर लंबी सड़क का निर्माण नहीं होगा, तब तक यह भवन बेकार है। उनके अनुसार सरकारी भूमि भी उपलब्ध है, लेकिन विभाग आंख मूंदकर काम कर रहा है।

    जयप्रकाश सिंह, पूर्व मुखिया

    नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रतिनिधि होते हुए भी उनसे कोई सुझाव नहीं लिया गया। उन्होंने स्पष्ट कहा कि जहां सालोंभर पानी भरा रहता है, वहां पंचायत भवन बनाने का मतलब है पंचायत कार्यों में स्थायी बाधा खड़ी करना।

    वीणा देवी,पंचायत की मुखिया

    सीओ द्वारा चिन्हित किये गये जमीन पर ही पंचायत सरकार भवन बन रहा है। वहां आवागमन के लिये सड़क भी बनाया जाएगा। जमीन उपलब्ध हो गया है।

     मृत्युंजय कुमार,पंचायती राज पदाधिकारी