बिहार पुलिस ने आर्केस्ट्रा कारोबार पर कसा शिकंजा, नर्तकियों की कमी से बुकिंग पर असर
सारण जिले में आर्केस्ट्रा के नाच-गाने का चलन घटने से महिला डांसरों की आय में वृद्धि हुई है। पहले प्रतिस्पर्धा के कारण उन्हें कम पैसे मिलते थे, लेकिन अ ...और पढ़ें
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सारण में महिला डांसर। फाइल फोटो
संजय कुमार ओझा, लहलादपुर (सारण)। जनता बाजार इलाके में चल रहे आर्केस्ट्रा कारोबार पर सारण पुलिस की निरंतर छापेमारी का असर अब स्पष्ट रूप से दिखने लगा है। जिस क्षेत्र में कुछ समय पहले तक रातभर मंच, संगीत और नृत्य का शोर सुनाई देता था, वहां अब यह गतिविधियां काफी सीमित हो गई हैं। पुलिस की बढ़ी सख्ती के कारण आर्केस्ट्रा में काम करने वाली नर्तकियों की संख्या अचानक घट गई है।
लगातार छापेमारी का असर दिखा
बताया जा रहा है कि पुलिस कार्रवाई और गिरफ्तारी की आशंका के चलते सैकड़ों नर्तकियों ने काम छोड़ दिया और अपने-अपने घरों को लौट गईं, जिसके परिणामस्वरूप अनेक आयोजकों को बुकिंग रद करनी पड़ी।
स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कदम समाज के हित में है तथा प्रशासन की यह कार्रवाई महिलाओं की गरिमा और सामाजिक मर्यादा की सुरक्षा के लिए जरूरी थी। अधिकांश लोग चाहते हैं कि इसी प्रकार की सख्ती आगे भी कायम रहे।
मेहनताना तीन गुना तक बढ़ा
नर्तकियों की अचानक कमी से आर्केस्ट्रा संचालकों के सामने मुश्किलें काफी बढ़ गई हैं। जो नर्तकियां अभी भी काम करने के लिए तैयार हैं, उन्होंने अपना मेहनताना दो से तीन गुना तक बढ़ा दिया है। पहले जहां एक नर्तकी को एक कार्यक्रम के लिए एक से दो हजार रुपये मिलते थे, वहीं अब यह दर पांच हजार या उससे अधिक तक पहुंच गई है।
मांग अधिक और उपलब्धता कम होने के कारण कई संचालकों के व्यवसाय पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। कुछ ने आर्थिक नुकसान से बचने के लिए काम सीमित कर दिया है, जबकि कुछ समूह बंद करने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
279 लड़कियां मुक्त, 93 गिरफ्तार
हाल के दिनों में सारण पुलिस ने कई स्थानों पर लगातार छापेमारी चलाते हुए आर्केस्ट्रा से जुड़ी 279 लड़कियों को पिछले एक वर्ष में मुक्त कराया है। इस धंधे में शामिल 93 लोगों को गिरफ्तार किया गया तथा कई मामलों में पाक्सो एक्ट सहित गंभीर धाराएं भी लगाई गईं।
पुलिस का कहना है कि यह अभियान महिलाओं के सम्मान और सुरक्षा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से शुरू किया गया था। कार्रवाई के बाद कई संचालक फरार बताए जा रहे हैं, वहीं कुछ ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर कानूनी प्रक्रिया अपनाने का रास्ता चुना। पुलिस ने साफ किया है कि ऐसा अभियान आगे भी जारी रहेगा, ताकि अवैध गतिविधियों पर रोक कायम रह सके और कानून का भय बना रहे।
आजीविका पर भी पड़ा असर
इस बीच, इस कड़ी कार्रवाई का दूसरा पक्ष भी सामने आया है। जनता बाजार और आसपास के इलाकों में आर्केस्ट्रा व्यवसाय प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से करीब 15 से 20 हजार लोगों की आजीविका का साधन था। नर्तकियों के हटने और कारोबार में गिरावट के चलते बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार होने की स्थिति में पहुंच गए हैं।
विशेष रूप से विवाह और आयोजन सीजन में इसका गंभीर असर देखा जा रहा है। पहले से तय कई कार्यक्रम बीच में ही रद्द कर दिए गए, जबकि कुछ संचालक बुकिंग लेकर बिना जानकारी दिए क्षेत्र छोड़कर भाग निकले। इससे आयोजकों और साटेदारों को आर्थिक नुकसान हुआ तथा कई मामलों में साटा फेल होने की शिकायतें भी मिली हैं।
बुकिंग रद, विवाद बढ़ा
स्थिति तनावपूर्ण होने के कारण कई जगहों पर संचालकों व बुकिंग कराने वालों के बीच बहस, विवाद और झड़प की नौबत तक बन गई। इसके बावजूद अधिकतर लोगों का मानना है कि सामाजिक मूल्यों की रक्षा और महिलाओं के सम्मान को ध्यान में रखते हुए यह कदम आवश्यक था।
लंबे समय से आर्केस्ट्रा के नाम पर अश्लीलता, शोषण और अनैतिक गतिविधियों को लेकर स्थानीय लोगों में असंतोष था। दैनिक जागरण ने लगातार इस विषय पर रिपोर्ट प्रकाशित कर समस्या को उजागर किया था, जिसके परिणामस्वरूप प्रशासन की सक्रियता बढ़ी और अब ठोस कार्रवाई शुरू हुई।
पुलिस का रुख साफ है कि आने वाले दिनों में भी अभियान इसी तरह चलता रहेगा, ताकि कोई भी व्यक्ति कानून और सामाजिक मर्यादा के विरुद्ध आर्केस्ट्रा को उपयोग में न ला सके। समाज में आशा व्यक्त की जा रही है कि यह पहल महिलाओं के सम्मान को सुरक्षित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी और भविष्य में व्यवसाय मर्यादित दायरे में रहकर ही संचालित होगा।

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