Sonpur Mela: 'जांबाज' पर ठहर जाती हैं नजरें, यूपी से आया शेर सिंह भी खींच रहा ध्यान
बिहार के सोनपुर में लगने वाला मेला पशु व्यापार के लिए प्रसिद्ध है। इस मेले में 'जांबाज' नाम का घोड़ा लोगों का ध्यान आकर्षित कर रहा है। उत्तर प्रदेश से आए शेर सिंह नामक घोड़े को भी लोग खूब पसंद कर रहे हैं, जो अपनी सुंदरता और ताकत के लिए जाना जाता है। घोड़े मालिक अपने जानवरों की विशेष देखभाल कर रहे हैं।

सीतामढ़ी के डा. जितेंद्र का घोड़ा जांबाज। जागरण
संवाद सूत्र, नयागांव (सारण)। एशिया के सबसे पुराने और प्रसिद्ध हरिहरक्षेत्र सोनपुर मेला में इस बार भी परंपरा, रोमांच और पशुप्रेम का शानदार संगम दिख रहा है।
भीड़, शोर और उत्साह के बीच इस मेला की असली पहचान वे लोग बन गए हैं, जिनका जुनून उम्र या पेशे की सीमाओं में नहीं बंधता।
घोड़ा बाजार में सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र हैं सीतामढ़ी के परिहार निवासी सर्जन डॉ. जितेंद्र कुमार यादव और उनका सुपरस्टार घोड़ा ‘जांबाज’।
कद-काठी देख ठहर जाते हैं लोग
172 सेंटीमीटर ऊंचा, मारवाड़ी और सिंधी नस्ल का ‘जांबाज’ जैसे ही दौड़ता है, भीड़ मोबाइल कैमरों से घेर लेती है। उसकी चाल और रफ्तार ने पूरे मेला में उसे शो स्टाॅपर बना दिया है।
डा. जितेंद्र अपने साथ सिर्फ घोड़े ही नहीं, बल्कि सिंधी नस्ल की ‘कोबरा’, पाकिस्तानी बुली और तिब्बती मास्टिफ जैसे विदेशी नस्लों के कुत्ते लेकर भी पहुंचे हैं।
वे कहते हैं आपरेशन थिएटर में मरीजों को बचाने का सुकून जितना मिलता है, उतना ही सुकून मुझे अपने इन जानवरों के बीच मिलता है। ये मेरे लिए परिवार हैं, शौक नहीं।
पिछले 13 वर्षों से वे अपने खर्च पर सोनपुर मेला में भाग ले रहे हैं। उनका कहना है कि यह मेला अब सिर्फ व्यापार का नहीं, बल्कि भावनाओं और संस्कृति का प्रतीक बन गया है।
हालांकि वे यह भी मानते हैं कि अब पशुप्रेमियों के लिए न पर्याप्त व्यवस्था है, न सम्मान, फिर भी दिल का लगाव हर साल उन्हें यहां खींच लाता है।
शेर सिंह भी खींच रहा पशु प्रेमियों का ध्यान
घोड़ा बाजार में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के ज्वालागंज निवासी असगर भाई का घोड़ा ‘शेर सिंह’ भी चर्चा का केंद्र बना हुआ है।
करीब ढाई लाख का शेर सिंह अपनी शानदार बनावट, ऊंचाई और तेज चाल के कारण लोगों का ध्यान खींच रहा है। असगर भाई बताते हैं कि वे हर साल सोनपुर मेला में आते हैं।
उनके लिए यह मेला सिर्फ खरीद-बिक्री का नहीं, बल्कि जुनून और शौक का मंच है। सचमुच, इस बार का सोनपुर मेला यह साबित कर रहा है कि यहाँ हर घोड़े के साथ एक कहानी और हर पशुप्रेमी के साथ एक भावना जुड़ी है।

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