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    फूलों की खेती से मालामाल होंगे किसान, शिवहर में आधुनिक तकनीक का प्रशिक्षण

    By Neeraj Kumar Edited By: Ajit kumar
    Updated: Wed, 10 Dec 2025 01:56 PM (IST)

    floriculture training Sheohar: शिवहर कृषि विज्ञान केंद्र में फूलों की वैज्ञानिक खेती पर प्रशिक्षण आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य किसानों को आधुनिक तक ...और पढ़ें

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    flower farming Bihar: कृषि विज्ञान केंद्र में फूलों की उन्नत खेती को लेकर एक दिवसीय प्रशिक्षण का हुआ आयोजन। फाइल फोटो  

    संवाद सहयोगी, शिवहर। Sheohar farmers floriculture: कृषि विज्ञान केंद्र, शिवहर द्वारा फूलों की वैज्ञानिक एवं उन्नत खेती विषय पर एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

    कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य जिले के किसानों, प्रगतिशील उद्यान प्रेमियों एवं ग्रामीण युवाओं को फूलों की आधुनिक खेती से संबंधित वैज्ञानिक तकनीकों, प्रजातियों और यांत्रिक विधियों की जानकारी उपलब्ध कराना था, ताकि वे फूल उत्पादन के क्षेत्र में अधिक लाभ अर्जित कर सकें।

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    कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्र की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. अनुराधा रंजन कुमारी ने की। डा. रंजन ने अपने संबोधन में उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में फूलों की मांग स्थानीय बाजारों से लेकर राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर तक तेजी से बढ़ रही है।

    ऐसे में वैज्ञानिक पद्धति से फूलों की खेती करके किसान न केवल अपनी आय में वृद्धि कर सकते हैं बल्कि कृषि के विविधीकरण में भी महत्वपूर्ण योगदान दे सकते हैं। उन्होंने जलवायु, मिट्टी के चयन, उर्वरक प्रबंधन, सिंचाई पद्धति तथा रोग-कीट नियंत्रण पर विस्तृत जानकारी दी।

    जबकि उद्यान वैज्ञानिक डा. संचिता घोष ने गेंदा फूल की उन्नत प्रजातियों, रोपण तकनीक, पौध उत्पादन, पौधों की दूरी, पोषण प्रबंधन एवं फूल तुड़ाई के वैज्ञानिक समय पर विस्तार से जानकारी प्रदान की।

    उन्होंने बताया कि गेंदा एक महत्वपूर्ण व्यावसायिक फूल है, जिसकी खेती पूरे वर्ष की जा सकती है। इसकी विविध प्रजातियां जैसे अफ्रीकन एवं फ्रेंच गेंदा व्यापारिक दृष्टि से अत्यंत लाभदायक हैं।

    डा. घोष ने विशेष रूप से ल्यूटीन पिगमेंटेशन के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि गेंदा फूल से प्राप्त ल्यूटीन पिगमेंटेशन का उपयोग मुर्गी पालन उद्योग में मुर्गियों के भोजन में किया जाता है।

    इससे अंडों में प्राकृतिक पीला रंग बढ़ता है, जो बाजार में अधिक मूल्य दिलाने में सहायक होता है। इस प्रकार गेंदा फूल न केवल सजावटी उपयोग में बल्कि औद्योगिक एवं पोषण संबंधी उपयोग में भी अत्यंत उपयोगी है।

    कृषि अभियंत्रण वैज्ञानिक डा. सौरभ शंकर पटेल ने फूलों की खेती में उपयोग होने वाले आधुनिक यंत्रों तथा तकनीकों का विस्तृत प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि वर्तमान समय में खेत की तैयारी, रोपाई, गुड़ाई, सिंचाई तथा कटाई की प्रक्रियाओं को यंत्रीकृत करके न केवल श्रम की बचत की जा सकती है, बल्कि उत्पादन क्षमता भी बढ़ाई जा सकती है।

    उन्होंने ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर प्रणाली, प्लास्टिक मल्चिंग, पावर वीडर तथा अन्य यंत्रों के उपयोग से होने वाले लाभों की विस्तारपूर्वक चर्चा की।कार्यक्रम में प्रतिभागियों ने वैज्ञानिकों से सीधे संवाद कर अपनी जिज्ञासाओं का समाधान भी प्राप्त किया।

    किसानों ने फूलों की खेती को आय बढ़ाने के एक व्यावहारिक विकल्प के रूप में अपनाने में गहरी रुचि दिखाई।
    प्रशिक्षण कार्यक्रम सिया राम राय, बलिराम राय, रामनरेश महतो, हरि किशोर राय, नरेश राय व शैलेंद्र भगत सहित 35 किसानों ने भाग लिया। कार्यक्रम का संचालन उत्साहपूर्ण वातावरण में हुआ और प्रतिभागियों ने इसे अत्यंत लाभकारी बताया।