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    बाढ़ ने छीनी शिवहर के किसानों की उम्मीद; धान की फसल डूबी, मुआवजे की आस टूटी

    Updated: Mon, 20 Oct 2025 12:21 AM (IST)

    शिवहर में बाढ़ से किसानों की धान की फसल बर्बाद हो गई है, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ है। किसानों को सरकार से मुआवजे की उम्मीद थी, लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है। फसल बर्बाद होने से किसानों के सामने आर्थिक संकट गहरा गया है और उनके जीवन यापन का कोई साधन नहीं बचा है।

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    मौसम की मार से धान से लगी किसानों की उम्मीदें खत्म। फोटो जागरण

    संवाद सहयोगी, शिवहर। लोग जब दशहरा मना रहे थे तो किसान अपने खेतों को बारिश से बर्बाद होते देख रहे थे और आज जब लोग दीपावली मना रहे है, तो किसान बर्बादी का मातम मना रहे है। धान से बची उनकी उम्मीदें खत्म हो चुकी है।

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    इलाके में 28 सितंबर से लेकर चार अक्टूबर तक बाढ़ और बारिश के सितम ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। जब भी सैकड़ों एकड़ में लगी धान की फसल पानी में डूबी हुई है, जबकि हजारों एकड़ में लगी फसल बर्बाद हो चुकी है।

    कृषि विभाग की टीमें क्षति का आकलन कर रही है। कई इलाकों में आकलन बाद सौंपी गई रिपोर्ट में पूरी फसल बर्बाद होने के बाद भी विभाग उसे 33 प्रतिशत से कम मान रहा है।

    33 प्रतिशत से कम क्षति पर कोई मुआवजा का प्रावधान नहीं है। लिहाजा किसानों में मायूसी है। आदर्श आचार संहिता का हवाला देकर अधिकारी कुछ बोलने से बच रहे है। जबकि किसान संपूर्ण जिले को बाढ़ प्रभवित घोषित करने की मांग कर रहे है।

    बताते चलें कि इस साल शिवहर में सामान्य से काफी कम बारिश हुई। नदी व तालाब तक सूख गए थे। विपरित परिस्थितियों में किसानों ने दो-दो बार धान की रोपाई की।

    महंगे दर पर डीजल खरीदकर फसलों को सिंच धान से लगी उम्मीदें बरकरार रखी थी। खेतों में उम्मीदों की बाली लग भी गई। बाली तैयार होती इसके पहले ही फसलों को मौसम की नजर लग गई।

    तेज हवा के साथ हुई बारिश में न केवल धान की फसल बल्कि पूरी पूंजी ही डूब गई। जो कुछ उम्मीदें बची थी वह बाढ़ ने खत्म कर दी। पिपराही, तरियानी व पुरनहिया में बाढ़ व बरसात ने तबाही मचाई है तो डुमरी कटसरी में बरसात ने।

    फसलों की हुई बर्बादी के बाद अब मुआवजे की मांग उठने लगी है। कृषि विभाग की टीमें क्षति का आकलन करने में जुटी है। लेकिन मुआवजे के प्रावधान का जो पैमाना है उससे किसानों की क्षति की भरपाई संभव नहीं है।

    किसान अरुण कुमार बताते है कि बाढ़ और बारिश ने किसानों की मेहनत पर पानी फेर दिया है। इलाके की 80 प्रतिशत धान की फसल बर्बाद हो गई है।