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    सीतामढ़ी के गली-मोहल्लों में पहुंचा लॉटरी का खेल, चाय की दुकानों से लेकर घरों के आंगन तक चल रहा अवैध धंधा

    Updated: Fri, 07 Nov 2025 03:02 AM (IST)

    सीतामढ़ी में शाम होते ही लॉटरी का अवैध कारोबार शुरू हो जाता है। यह खेल चाय-पानी की दुकानों से लेकर घरों तक फैला हुआ है, जिससे कई लोग आर्थिक रूप से तबाह हो रहे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि पुलिस की निष्क्रियता के कारण यह धंधा फल-फूल रहा है।

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     दुकानों के शटर गिरते ही गली-मोहल्लों में शुरू हो गया लाटरी का धंधा चालू। फोटो जागरण

    संवाद सूत्र, सीतामढ़ी। शहर में पुलिस और अवैध लाटरी संचालकों के बीच चूहे-बिल्ली का खेल जारी है। पुलिस की थोड़ी सख्ती देख संचालकों ने दुकानों के शटर तो गिरा दिए लेकिन गली-मोहल्लों में लॉटरी का धंधा चालू कर दिया है।

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    पहले खुलेआम दुकानों पर लॉटरी बेचे जाते थे, अब उन दुकानों के शटर तो गिर गए, मगर खेल अब गुप्त हो गया है। हालात ये हैं कि अब लॉटरी गली-मोहल्लों, ठेलो, चाय-पानी की दुकानों और घरों के आंगन तक खेले जा रहे हैं।

    नगर थाना से महज़ 500 मीटर की दूरी पर भी यह अवैध धंधा चल रहा है और पुलिस की चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। सेटिंग का आरोप अब आम हो चुका है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इसी कारण अब तक न तो दंडात्मक कार्रवाई हो रही और न छापेमारी।

    पहले जहां सिनेमा रोड, जानकी स्थान, स्टेशन रोड, मेहसौल चौक जैसे व्यस्त स्थानों पर खुलेआम टिकटों की बिक्री होती थी। अब वहीं अंधेरा होते ही मकानों की सीढ़ियों और चबूतरों पर यह जुआ चालू हो जाता है।

    एजेंटों का जाल और भी फैल चुका है। बेरोज़गार युवकों को कमीशन का लालच देकर टिकट बिकवाए जाते हैं। कई युवा लत के शिकार होकर नशे, कर्ज और अपराध की ओर बढ़ चुके हैं और उनके परिवार बर्बाद हो रहे हैं।

    त्योहारों के सीज़न में तो इस रैकेट की चांदी हो जाती है। दुर्गापूजा और दीपावली के दौरान लाटरी सिंडिकेट ने भारी स्टाक जमा किया था, जिसे अब गली-कूचों में खपाया जा रहा है। शहर में चर्चा यह भी है कि शुरुआती दबिश के बाद पुलिस ने मुड़कर नहीं देखा, जिससे हालात और बदतर हुए। आदेश, निर्देश और रिपोर्ट मांगने की बातें हो रही हैं।