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    मोंथा चक्रवात की बारिश से सिवान में जलजमाव-कीचड़, फसल बर्बाद होने किसानों की बढ़ी मुसीबत

    Updated: Fri, 31 Oct 2025 06:40 PM (IST)

    सिवान में मोंथा चक्रवात के कारण लगातार बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। शहर में जलजमाव और कीचड़ से लोगों को परेशानी हो रही है। सबसे ज्यादा मार किसानों पर पड़ी है, जिनकी धान की फसल बर्बाद होने के कगार पर है। कृषि विभाग किसानों को फसल कटाई रोकने की सलाह दे रहा है ताकि नुकसान कम हो।

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    मोंथा चक्रवात की बारिश से सिवान में जलजमाव-कीचड़

    जागरण संवाददाता, सिवान। जिला मुख्यालय समेत भगवानपुर हाट, आंदर, बड़हरिया, गुठनी, मैरवा, सिसवन, गोरेयाकोठी, पचरुखी, हसनपुरा, रघुनाथपुर, मैरवा समेत विभिन्न प्रखंडों में मोंथा चक्रवात का असर देखा जा रहा है। इन क्षेत्रों में तीन दिनों से रुक-रुककर हो रही वर्षा से जगह-जगह जल जमाव व कीचड़ होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

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    वहीं लोगों का दैनिक कार्य प्रभावित हो रहा है। इस वर्षा से बढ़ी ठंड के कारण लोग गर्म कपड़े का उपयोग करना शुरू कर दिए हैं। सड़क पर जल जमाव व कीचड़ से सड़क पर चलना मुश्किल हो गया है। 

    कीचड़ से लोगों को परेशानी का सामना

    जानकारी के अनुसार शहर के सब्जी मंडी, ललित बस स्टैंड, फतेहपुर बाईपास, स्टेशन रोड, शांति वट वृक्ष, महादेवा, मखदुम सराय, तेलहट्टा बाजार समेत अन्य जगहों पर जल जमाव व कीचड़ से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। 

    वहीं दूसरी ओर वर्षा ने किसानों के सामने संकट खड़ा कर दी है। पहले किसान धान की रोपनी के समय बिचड़ा तैयार करने से लेकर बोआई तक काफी राशि खर्च किए हैं, जिससे उनकी की माली हालात खराब हो गई हैं। अब खेतों में जब धान की फसल तैयार हो गई तब मोंथा चक्रवात से हुई वर्षा ने किसानों के अरमान पर पानी फेर दिया। 

    धान की फसल सड़ने की संभावना

    अधिकांश किसान अपनी धान की फसल की कटाई कर सूखने के लिए खेत में छोड़ दिए था जो इस वर्षा से बर्बाद होने लगी है। इन उपला रहे धान की फसल को किसान ऊंचे स्थान पर सुरक्षित निकालने में लग गए हैं। 

    एक दो दिनों में मौसम ठीक नहीं होता है तो गिले धान की फसल सड़ने के साथ ही साथ जमने लगेंगे जिससे किसानों के सामने निवाले के संकट उत्पन्न हो जाएंगे। हालांकि कृषि विभाग के कर्मी लगातार किसानों से संपर्क कर उन्हें धान की कटनी नहीं करने को कह रहे हैं। ताकि किसान को होने वाले नुकसान को कम किया जा सके।