सिवान के सूर्य मंदिर में छठ की भव्यता: 557 समान सिरसोता, आस्था का अद्भुत संगम
सिवान जिले के सिसवन प्रखंड के कचनार गांव में छठ पूजा की तैयारी चल रही है। यहां छठ माता के सिरसोता और सूर्य मंदिर विशेष आकर्षण हैं। मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर सिरसोता स्थापित किया जाता है। ग्रामीणों ने 2015 में मंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर के सामने 557 सिरसोता स्थापित हैं। छठ से पहले गांव भक्तिमय हो जाता है और ग्रामीण तैयारियों में जुट जाते हैं।

व्रती एक साथ देती हैं अर्घ्य
संवाद सूत्र,(सिसवन)सिवान। लोक आस्था के महापर्व छठ को लेकर तैयारियां शुरू हो गई हैं। सिवान के सिसवन प्रखंड के कचनार गांव की छठ पूजा हमेशा जिले में आकर्षण का केंद्र है। यहां छठ माता के सिरसोता के साथ-साथ भगवान सूर्य का मंदिर भी है। ऐसी मान्यता है कि मन्नत पूरी होने पर सिरसोता स्थापित किया जाता है।
सिवान जिला मुख्यालय से करीब 37 किलोमीटर दूर सिसवन प्रखंड के कचनार गांव में एक सूर्य मंदिर है। यहां बनारस से लाई गई भगवान सूर्य की 3 फीट की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर में राम जानकी सहित अन्य देवताओं की भी प्रतिमा लगी है। मंदिर के मुख्य गेट के आगे एक साइज, एक लाइन और एक ही रंग में 557 छठ माता की सिरसोता स्थापित हैं।
मंदिर के ठीक पीछे 3 बीघा में फैला हुआ एक पोखरा है। जहां छठ के दिन काफी संख्या में छठव्रती पूजा अर्चना करते हैं। हालांकि, यहां जो भी आयोजन होता है, सब ग्रामीण ही अपने स्तर से करते हैं।
2015 में ग्रामीणों ने कराया था मंदिर का निर्माण
सिवान जिले का सबसे अनोखे इस सूर्य मंदिर का निर्माण ग्रामीणों ने अपने स्तर से गांव के उमाकांत उपाध्याय की देख रेख में 2011 में शुरू किया था। जो 2015 में बनकर पूर्ण हुआ। मंदिर के ठीक पीछे 3 बीघा में फैला एक पोखरा है।
खास बात है कि मंदिर का पिलर पोखरा में से निकाला है। वहीं, मंदिर के ठीक आगे 557 छठ माता का सिरसोता बनाया गया है। जहां छठ व्रती पूजा-अर्चना करती हैं। भक्तिमय हो जाता है पूरा इलाका ग्रामीण बताते हैं कि छठ से एक सप्ताह पहले ही गांव का माहौल पूर्णतः भक्तिमय हो जाता है।
लोग तैयारियां शुरू कर देते हैं। मंदिर की रंगाई पुताई, साफ-सफाई में गांव के लोग जुटे रहते हैं। छठ माता के सभी सिरसौता को एक रंग में रंगा जाता है। पोखरा फिलहाल जलकुंभी से भरा पड़ा है। लेकिन, छठ के समय ग्रामीण अपने स्तर से पोखरों की सफाई करते हैं। वहीं, छठ में शाम के समय सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन किया जाता है।
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