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    सिवान में मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा से ग्रामीणों में आक्रोश, महंत ने आमरण अनशन की दी चेतावनी

    Updated: Thu, 21 Aug 2025 11:35 AM (IST)

    मंदिर के महंत हरिनारायण दास ने इस मामले की लिखित शिकायत अंचलाधिकारी एवं थाना अध्यक्ष भगवानपुर हाट को दी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई कर मंदिर की भूमि को कब्जे से मुक्त नहीं कराया तो मैं आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर हो जाऊंगा।

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    बिलासपुर बाजार स्थित राम जानकी मंदिर एवं खड़े महंत

    संवाद सूत्र, भगवानपुर हाट (सिवान)। प्रखंड के ग्राम बिलासपुर स्थित पौराणिक राम जानकी मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जे की सूचना से ग्रामीणों में गहरा आक्रोश फैल गया है। ग्रामीणों का आरोप है कि मंदिर की पवित्र भूमि पर जबरन निर्माण कार्य कराया जा रहा है, जिससे गांव का माहौल तनावपूर्ण हो गया है। लोगों का कहना है कि स्थिति पर समय रहते नियंत्रण नहीं हुआ तो कभी भी बड़ी घटना घट सकती है।

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    ग्रामीणों का आरोप...मंदिर भूमि पर जबरन निर्माण

    गांव के लोगों ने आरोप लगाया कि बिट्टू कुमार राम नामक व्यक्ति ने गांव की ही एक विधवा महिला मीना देवी से रजिस्ट्री कराकर मंदिर की भूमि पर जबरन निर्माण शुरू करा दिया है। जैसे ही यह खबर फैली, गांव में आक्रोश की लहर दौड़ गई और लोग इस कदम को धार्मिक आस्था पर हमला बताने लगे।

    महंत ने दी आमरण अनशन की चेतावनी

    मंदिर के महंत हरिनारायण दास ने इस मामले की लिखित शिकायत अंचलाधिकारी एवं थाना अध्यक्ष भगवानपुर हाट को दी है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि प्रशासन ने शीघ्र कार्रवाई कर मंदिर की भूमि को कब्जे से मुक्त नहीं कराया, तो मैं आमरण अनशन पर बैठने को मजबूर हो जाऊंगा। आवश्यकता पड़ने पर प्राण त्याग दूंगा, लेकिन मंदिर की जमीन पर अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं करूंगा।

    1963 में मिली थी मंदिर को जमीन

    ग्रामवासियों ने बताया कि यह जमीन मंदिर के रख-रखाव के लिए वर्ष 1963 में गौतम मिश्रा द्वारा दान स्वरूप रजिस्ट्री की गई थी। तभी से यह भूमि श्री ठाकुर जी मंदिर बिलासपुर के नाम निबंधित है। इसी भूमि पर गांव का बाजार भी लगता है, जिससे होने वाली आय से मंदिर के रख रखाव एवं पूजा पर खर्च किया जाता है।

    मामला न्यायालय में है विचाराधीन

    ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर की जमीन से जुड़ा यह विवाद कोई नया नहीं है। पूर्व में जब मंदिर भूमि की रजिस्ट्री का प्रयास हुआ था, तब महंत द्वारा इस संबंध में भूमि सुधार उप समाहर्ता, महाराजगंज के न्यायालय में वाद दायर किया गया था, जो आज भी विचाराधीन है।

    ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, प्रशासन से कार्रवाई की मांग

    ग्रामीणों का कहना है कि मंदिर की भूमि पर कब्जे का प्रयास गांव की आस्था और धार्मिक परंपरा पर सीधा हमला है। यदि प्रशासन ने समय रहते ठोस कदम नहीं उठाया, तो स्थिति बिगड़ सकती है।गांव वालों ने चेतावनी दी कि यदि कब्जाधारियों पर सख्त कार्रवाई नहीं हुई तो आंदोलन की राह पर चलने को मजबूर होंगे।

    ग्रामीणों की एकजुट मांग है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर मंदिर की जमीन को कब्जे से मुक्त कराए और दोषियों पर कठोर कार्रवाई करें।

          कहते है सीओ

    महंत को इस मामले में अनशन जैसी बड़ी निर्णय नहीं लेनी चाहिए। मामला भूमि सुधार उप समाहर्ता के न्यायालय में विचाराधीन है । निर्णय आने का प्रतीक्षा करनी चाहिए।

    धीरज कुमार पांडेय, सीओ