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    Bihar School News: बिहार के सरकारी स्कूल में 1 से 12वीं तक के परीक्षा पैटर्न में बदलाव, जानिए नया नियम

    Updated: Sat, 15 Mar 2025 11:25 AM (IST)

    बिहार के सरकारी स्कूलों में परीक्षा पैटर्न में बदलाव किया गया है। अब शिक्षा विभाग ने नई जानकारी दी है। प्राथमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने एक महत्वपूर्ण पत्र जारी किया है जिसमें सभी प्रधानाध्यापक और बीईओ को संबोधित किया गया है। हालांकि पत्र के विषय और विवरण के बारे में जानकारी नहीं दी गई है।

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    बिहार के सरकारी स्कूल में परीक्षा के नियम में किया गया बदलाव (जागरण)

    जागरण संवाददाता, सुपौल। बिहार में अब सरकारी व सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों में पहली से 12वीं कक्षा तक में अध्ययनरत विद्यार्थियों को मासिक परीक्षा नहीं देनी होगी। इसको लेकर प्राथमिक शिक्षा एवं समग्र शिक्षा अभियान के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी प्रवीण कुमार ने सभी प्रधानाध्यापक समेत बीईओ को पत्र जारी किया है। पत्र में उन्होंने कहा है कि परीक्षा प्रणाली में कई बदलाव किए गए हैं।

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    छात्रों के लिए अब मासिल परीक्षा नहीं होगी, केवल साप्ताहिक परीक्षा होगी

    इसमें कैलेंडर वर्ष 2025 से विद्यालयों में विद्यार्थियों के लिए मासिक परीक्षा का आयोजन नहीं होगा। आंतरिक मूल्यांकन के तहत साप्ताहिक परीक्षा प्रत्येक सोमवार को होगी। सोमवार को अवकाश रहने पर परीक्षा इसके अगले कार्य दिवस में ली जायेगी। परीक्षा का आयोजन विद्यालय स्तर पर होगा। आंतरिक मूल्यांकन के बाद विद्यार्थी व अभिभावक को मूल्यांकन से अवगत कराया जायेगा।

    पहली से 12 वीं कक्षा पर होगा लागू

    अब पहली से आठवीं कक्षा तक में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए त्रैमासिक, अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा एससीईआरटी व नवमी से बारहवीं कक्षा तक में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए त्रैमासिक, अर्धवार्षिक व वार्षिक परीक्षा बिहार विद्यालय परीक्षा समिति द्वारा ली जायेगी। इस प्रकार अब मासिक परीक्षा की जगह पहली से 12वीं कक्षा तक के छात्र छात्राओं के लिए त्रैमासिक परीक्षा होगी।

    पत्र में कहा गया है कि निरीक्षण में पाया जा रहा था कि मासिक परीक्षा संबंधी मूल्यांकन कार्य में खानापूर्ति की जा रही थी। परीक्षा का आयोजन व काापी की जांच में कई अनियमितता पायी गयी थी। इसी कारण मासिक परीक्षा को स्थगित कर त्रैमासिक परीक्षा का निर्णय लिया गया है।

    इस वजह से लिया गया फैसला

    इससे विद्यालय प्रबंधन को परीक्षा आयोजन से लेकर कांपी जांच करने तक का पर्याप्त समय मिल सकेगा। इस मूल्यांकन की प्रक्रिया में महीने भर के पाठ्यक्रम को पूरा करने का टास्क स्कूलों को दिया जाता था।

    इसके बाद परीक्षा का आयोजन किया जाता रहता था, परंतु पाठ्यक्रम पूरा करने से लेकर परीक्षा के आयोजन व कांपी जांच में खानापूर्ति किये जाने का साक्ष्य निरीक्षी अधिकारियों को मिल रहा था। इसी फीडबैक के आधार पर विभाग ने यह निर्णय लिया है। अब शिक्षा विभाग के इस निर्णय से छात्रों को भी आसानी होगी।

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