Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Bihar Expressway : सुपौल में सड़कों के सहारे दिल्‍ली की राह खोज रहा NDA, अब इन छह हाइवे से और चमकेगी किस्‍मत

    Updated: Mon, 29 Apr 2024 12:14 PM (IST)

    Supaul News सुपौल में सड़कों के सहारे राजग दिल्‍ली की राह आसान बनाने में जुटा हुआ है। एक वक्‍त था जब यह इलाका पिछड़ा था और अब उतनी ही तेजी से इसका विकास हो रहा है। आने वाले समय में भी सुपौल होकर छह हाइवे गुजरनी है। ग्रामीण सड़क स्टेट हाइवे की बात छोड़ दें यहां राष्ट्रीय राजपथ का जाल बिछा हुआ है।

    Hero Image
    Bihar News : ईस्ट-वेस्ट-काॅरिडोर की फाइल फोटो- जागरण मीडिया

    भरत कुमार झा, सुपौल। आवागमन और यातायात के मामले में सुपौल का अतीत जितना पिछड़ा माना गया वर्तमान उतना ही समृद्ध होता जा रहा है। सुपौल होकर कुल छह हाइवे गुजरनी है। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी ने अपने कार्यकाल में कोसी में फोरलेन के निर्माण को स्वीकृति प्रदान कर सिल्चर से पोरबंदर की दूरी को कोसी के रास्ते सहज और सुलभ बना दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    बिहार के दस जिलों से होकर गुजरेगा इस एक्‍सप्रेस-वे का रूट

    विद्यापति से मंडन मिश्र, जानकी से भारती, फणीश्वरनाथ रेणु से नागार्जुन की धरती का मिलन हो गया। एक ही संस्कृति थी जिसे कोसी ने दो फाड़ कर दिया था। लगभग 78 वर्षों से दो भागों में विभक्त मिथिला का एकीकरण हो गया।

    निर्माण के बाद एनएच 57 कोसी के इस पिछड़े क्षेत्र के लिए लाइफ लाइन साबित हो गया। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर से बिहार से गुजरते हुए, पश्चिम बंगाल में सिलीगुड़ी तक एक और एक्सप्रेस-वे के निर्माण का प्रस्ताव रखा।

    आर्थिक रूप से पिछड़े इस राज्य बिहार को एक और एक्सप्रेस-वे की सौगात मिलने जा रही है। दरअसल गोरखपुर से सिलीगुड़ी जाने वाले एक्प्रेस-वे का रूट बिहार के 10 जिलों में निर्धारित किया गया है। इन सड़कों के सहारे एनडीए दिल्ली की राह आसान बनाने में जुटा है। मतदाताओं के बीच इसे प्रचारित किया जा रहा है।

    यहां बिछा है नेशनल हाईवे का जाल

    ग्रामीण सड़क, स्टेट हाइवे की बात छोड़ दें यहां राष्ट्रीय राजपथ का जाल बिछा हुआ है। वह दिन बीते काफी समय नहीं हुआ है जब कोसी का यह क्षेत्र दुर्गम माना जाता था।

    पगडंडियों से होकर लोग पैदल आवाजाही करते थे। शादी-विवाह के मौकों पर या विशेष लोगों के आगमन पर या फिर सामान ढोने के लिए बैलगाड़ी या घोड़ागाड़ी का उपयोग होता था।

    किसी के बीमार होने पर खटिया पर टांग कर शहर ले जाना लोगों की मजबूरी होती थी। भूले से किसी गांव में जीप जैसी सवारी आ जाती थी तो बच्चे उसके पीछे दौड़ते-दौड़ते धूल-धूसरित हो जाते थे। घर की महिलाएं पर्दे की ओट से इसे जाते देखती थीं।

    सड़कों के विस्‍तार ने दी सुपौल को नई पहचान

    एनडीए के लोग प्रचार के दौरान बताते हैं कि सड़कों के विस्तार ने जहां इस क्षेत्र को नई पहचान दी है वहीं व्यापार आदि में दिन दूनी रात चौगुनी प्रगति हो रही है। बाहर के लोगों को कोसी को करीब से देखने का और यहां के लोगों को बाहरी दुनिया को देखने का मौका मिला है।

    संबंधों का विस्तार हो रहा है। यहां के किसानों की दशा बदलने लगी है। शिक्षा ग्रहण करने के लिए बच्चे दूर जाने लगे हैं, इससे जीवन स्तर में बदलाव आया है। अब तो सुदूर गांवों की भी स्थिति यह है कि उसकी गलियों की कनेक्टेविटी सड़क से है।

    गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे का रूट

    गोरखपुर-सिलीगुड़ी एक्सप्रेस-वे सबसे पहले गोपालगंज में प्रवेश करेगा, इसके बाद सीवान, छपरा, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, सहरसा, पूर्णिया, किशनगंज होते हुए सिलीगुड़ी जाएगा। यह न सिर्फ बिहार को यूपी और बंगाल के बीच न केवल आवागमन आसान करेगा बल्कि व्यापार के नए रास्ते भी इससे खुलेंगे।

    परसरमा से अररिया के बीच फोरलेन भी तैयार

    राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 327 ई. के परसरमा से अररिया तक चौड़ीकरण यानि फोरलेन हो जाने का रास्ता साफ हो गया है। केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने इसकी सहमति दे दी है। फोरलेन हो जाने से सुपौल और आसपास के जिलों के लोगों को बंगाल एवं नार्थ-ईस्ट जाने में सहूलियत होगी। बंगाल की दूरी लगभग 80 किलोमीटर कम हो जाएगी।

    सड़कों के जरिए खुल रहे विकास के नए रास्‍ते

    राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 106 वीरपुर-बीहपुर पथ, भारतमाला परियोजना की सड़क 527 ए. जो उच्चैठ भगवती स्थान मधुबनी से महिषी तारा स्थान सहरसा तक जाती है तथा 327 ए. सुपौल-भपटियाही सरायगढ़ सड़क जो ईस्ट-वेस्ट-कारिडर सड़क से मिलती है का सीधा संपर्क राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 327 ई. से है।

    सुपौल एवं मधुबनी जिले के बीच भेजा घाट पर कोसी नदी में नया पुल भारतमाला परियोजना अंतर्गत बन रहा है। इस पुल के बन जाने से दरभंगा एवं मधुबनी जिले की कोसी क्षेत्र से संपर्कता बढ़ेगी। फलस्वरूप सुपौल-अररिया पथ पर यातायात दबाव बढ़ेगा।

    इस सड़क का महत्व इस बात से भी है कि यह विभिन्न व्यापारिक गतिविधियों जैसे बांस, मखाना, मक्का, चावल आदि अनाज की ढुलाई तथा राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टिकोण से ईस्ट-वेस्ट-कारिडोर का विकल्प है। यह सड़क अभी राष्ट्रीय उच्च पथ के टू लेन मानक पर बना हुआ है, परंतु भविष्य में इस पर यातायात का भारी दबाव बढ़ने की संभावना है।

    वर्तमान में ईस्ट-वेस्ट-कारिडोर का अररिया से गलगलिया तक चौड़ीकरण करने की कार्रवाई भारतमाला परियोजना अंतर्गत की जा रही है। राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 327 ई. के अररिया से परसरमा तक चौड़ीकरण यानि फोरलेन हो जाने से सुपौल, मधेपुरा, अररिया, मधुबनी, दरभंगा एवं सहरसा जिला के लोगों को बंगाल एवं नार्थ-ईस्ट जाने में लगभग 80 किमी की बचत होगी। फिलहाल सड़कों के रास्ते विकास के बनते नए पथ की जानकारी मतदाताओं को दी जा रही है। यह कैसे संभव हुआ और किसने संभव किया यह भी बताया जा रहा है।

    ये भी पढ़ें:

    Shambhavi Choudhary : 'शादी के खिलाफ था...', बेटे-बहू के बारे में क्या बोले पूर्व IPS? शांभवी पर दिया ये रिएक्शन

    Patna में धड़ाधड़ बढ़ती जा रही बिजली की मांग, अलर्ट पर फ्यूज कॉल सेंटर; आज भी शहर के इन हिस्‍सों में होगा पावर कट