Bihar News: सुपौल में चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था, गर्मी से बेहाल हुए मरीज
त्रिवेणीगंज अनुमंडलीय अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। बुधवार रात ट्रैक्टर की टक्कर में घायल दो युवकों को इमरजेंसी वार्ड में गर्मी से जूझना पड़ा क्योंकि एसी खराब थी। परिजनों ने हाथ के पंखे से हवा की। अस्पताल के कई वार्डों में एसी खराब हैं केवल डॉक्टर और मैनेजर के कमरे में एसी ठीक है। प्रभारी उपाधीक्षक ने छह महीने से एसी खराब होने की बात स्वीकार की।

संवाद सहयोगी, त्रिवेणीगंज (सुपौल)। अनुमंडलीय अस्पताल अपने कारनामों को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है। यहां की स्वास्थ्य व्यवस्था वेंटिलेटर पर है। डॉक्टर और अन्य स्वास्थ्य कर्मी भीषण गर्मी में एसी (एयर कंडीशन) का आनंद लेते हैं और मरीजों की ऐसी की तैसी होती रहती है।
मरीजों को हाथ के पंखे का सहारा होता है। इसकी बानगी बुधवार की रात देखने को मिली। दरअसल बुधवार की रात करीब साढ़े नौ बजे जदिया थाना क्षेत्र के लक्ष्मीनियां से भतनी जाने वाली सड़क में तेज रफ्तार अनियंत्रित ट्रैक्टर की ठोकर से बाइक सवार दो युवक गंभीर रूप से जख्मी हो गए।
जिसके बाद इलाज के लिए अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टरों ने इमरजेंसी में पेशेंट को एडमिट किया और उसका उपचार शुरू किया। इमरजेंसी में भीषण गर्मी से बचाव के कोई संसाधन उपलब्ध नहीं थे।
जिसके कारण अंदर में मरीज व उनके स्वजन के साथ-साथ इलाज कर रहे कर्मी भी गर्मी से बेहाल थे। बाद में गर्मी से राहत दिलाने के लिए जख्मी के स्वजन ने हाथ के पंखे का इस्तेमाल कर रहे थे। जख्मी नप क्षेत्र के डपरखा वार्ड 22 मेढ़िया निवासी रमेश यादव के पुत्र प्रभात कुमार (30) और सागर यादव के पुत्र दिलेश कुमार (30) थे।
घटना की जानकारी देते मरीज के स्वजन ने बताया कि ये दोनों एक बाइक से परसाही से घर लौट रहे थे कि इसी दौरान दुर्घटना का शिकार होकर दोनों व्यक्ति गंभीर रूप से जख्मी हो गए, जिसे अनुमंडलीय अस्पताल लाया गया।
स्वजन ने बताया कि इमरजेंसी में एसी खराब है और गर्म हवा बाहर निकलने की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। जो भी व्यवस्था दिख रही है वह खराब है। गर्मी से राहत के लिए हाथ के पंखा का सहारा है। इमरजेंसी वार्ड में तीन बेड हैं। इसमें एक केबिन फैन लगा हुआ है। इस पंखे से बमुश्किल एक बेड कवर हो पाता है।
मालूम हो कि अस्पताल में प्रसव कक्ष, आपातकालीन कक्ष, मरीज वार्ड में लगी एसी खराब है। यह अलग बात है कि डॉक्टर और मैनेजर के चैंबर की एसी ठीक-ठाक कार्य करती है। मरीजों को पंखा डुलाना पड़ता है।
अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात डॉ. उमेश कुमार मंडल से बात की गई तो उन्होंने कहा कि दोनों जख्मियों को प्राथमिक उपचार के बाद उसकी गंभीर स्थिति को देखते हुए रेफर किया गया है।
मरीजों को भीषण गर्मी से बचाव की समुचित व्यवस्था नहीं रहने के सवाल पर डॉक्टर ने बताया कि यह सवाल प्रभारी से पूछिए। उन्होंने जवाब देना मुनासिब नहीं समझा। वहीं, जब प्रभारी उपाधीक्षक डॉ. इंद्र देव यादव से पूछा गया तो उन्होंने कहा हां छह महीने से खराब है।
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