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    39 साल बाद न्याय: 21 की उम्र में जेल, 60 में रिहाई; 1986 की डकैती में साक्ष्य अभाव से बरी

    By VINOD RAOEdited By: Nishant Bharti
    Updated: Sat, 01 Nov 2025 04:52 PM (IST)

    बगहा में 39 साल पुराने डकैती मामले में आरोपी विजय यादव को अदालत ने सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। 1986 में पिपरा गांव में हुई इस डकैती में विजय यादव का नाम शामिल था। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद, अदालत ने उन्हें निर्दोष पाया, जिससे उन्हें 60 वर्ष की उम्र में न्याय मिला। विजय यादव ने अदालत के प्रति आभार व्यक्त किया।

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    39 साल बाद न्याय

    जागरण संवाददाता, बगहा। पुलिस जिले के चौतरवा थाने के पिपरा गांव में 39 साल पुराने डकैती कांड में एक आरोपी को जिला एवं अपर सत्र न्यायाधीश चतुर्थ मानवेंद्र मिश्र की अदालन ने साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया है। यह मामला वर्ष 1986 का है, जब आरोपी विजय यादव की उम्र मात्र 21 वर्ष थी। 

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    अब 60 वर्ष की उम्र में रिहाई मिलने पर उसकी आंखों से आंसू झलक पड़े। उसने अदालत को दिल से धन्यवाद देते हुए कहा कि आखिर उसे वर्षों बाद न्याय मिला।

    1986 में पिपरा गांव में डकैती 

    अभियोजन पदाधिकारी मन्नू राव ने बताया कि वर्ष सात अक्टूबर 1986 में पिपरा गांव में सात से आठ की संख्या में पहुंचे अपराधियों ने एक घर में घुसकर डकैती की थी। ग्रामीणों के हल्ला करने पर अपराधियों ने फायरिंग करते हुए भागने का प्रयास किया। 

    घटना के दूसरे दिन गृहस्वामी शशिकांत दुबे ने चौतरवा थाना में कांड संख्या 100/86 दर्ज कराते हुए विजय यादव सहित कई अन्य लोगों को नामजद किया था।

    खाना खाकर सोने की तैयारी

    पुलिस ने इस प्रकरण की जांच करीब नौ वर्षों तक की और 15 जनवरी 1995 को न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया। आरोप पत्र के अनुसार, घटना की रात वादी अपने परिवार के साथ खाना खाकर सोने की तैयारी कर रहा था, तभी कुछ लोगों ने दरवाजे पर आकर खुद को पुलिस बताते हुए दरवाजा खोलने को कहा। 

    वादी की मां ने खिड़की से झांककर देखा तो पता चला कि वे असल में अपराधी थे, जिन्होंने पीछे के रास्ते से घर में घुसकर गहनों और अन्य कीमती सामान की लूटपाट की।

    महिला से कुछ ग्रामीणों का विवाद

    पुलिस की जांच में यह भी सामने आया कि गांव की एक महिला से कुछ ग्रामीणों का विवाद हुआ था और कथित रूप से उसके गलत आचरण के चलते उसे मारपीट की गई थी। इसी रंजिश में उसने अपराधियों को बुलाकर डकैती की घटना को अंजाम दिलवाया। 

    रिहाई के बाद विजय यादव ने कहा कि उसने जीवन के सबसे अच्छे वर्ष अदालतों और जेल के चक्कर काटते हुए गंवा दिए, लेकिन अब उसे सच्चाई की जीत पर गर्व है। इस मामले में हरदी नदवा के उप मुखिया ने कोर्ट में लिख कर दिया था कि वादी शशिकांत दुबे समेत अन्य लोग उनके पंचायत व पिपरा के निवासी नहीं हैं।

    लगभग चार दशकों तक चले इस मुकदमे के दौरान सबूतों की कमी और गवाहों के असंगत बयानों के कारण अदालत ने विजय यादव पर दोष सिद्ध नहीं पाया। इसके बाद न्यायालय ने उसे ससम्मान बरी कर दिया।