Bihar Vidhan sabha Chunav : बिहार की सियासत में यूपी के गांवों की बढ़ी दिलचस्पी
बिहार में दूसरे चरण के चुनाव के साथ राजनीतिक माहौल गर्म है, जिसका असर उत्तर प्रदेश के सीमावर्ती इलाकों तक देखा जा रहा है। वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र से सटे यूपी के गांवों में लोग इस बात पर चर्चा कर रहे हैं कि बिहार में किसकी सरकार बनेगी। विकास, नेतृत्व और जाति आधारित राजनीति पर बहस जारी है, क्योंकि चुनाव परिणाम का असर दोनों राज्यों के लोगों पर पड़ेगा।

यूपी के कुशीनगर के तमकुही रोड चाय की दुकान पर चर्चा करते लोग । जागरण
विनोद राव, बगहा । दूसरे चरण को लेकर राजनीतिक माहौल गर्म है। चुनावी हलचल सिर्फ बिहार तक सीमित नहीं है, उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे इलाकों तक पहुंच गई है। वाल्मीकिनगर विधानसभा की सीमा यूपी के कुशीनगर जिले की पडरौना, तमकुही राज, खड्डा और महराजगंज की सिसवा विधानसभा सीट से लगी है।
हर जगह बस एक ही चर्चा है इस बार बिहार में किसकी सरकार बनेगी। कोई विकास को मुद्दा मान रहा तो कोई नेतृत्व की शैली पर बहस कर रहा है। चाय की दुकानों से लेकर चौपाल तक राजनीतिक चर्चा का दौर जारी है। हर कोई अपने तर्कों के साथ बिहार की सियासत का समीकरण समझाने में जुटा है।
यूपी के तमकुही रोड स्थित चाय की दुकान पर चुनावी चर्चा चल रही थी। मोहम्मद हसन अली और अब्बास अली आपस में बात कर रहे थे कि अब बदलाव जरूरी है। वहीं बैठे संजय मद्देशिया, सकलदेव सहनी और शारदा निषाद कहने लगे कि मौजूदा सरकार को दोबारा मौका मिलना चाहिए। उन्होंने विकास कार्य किए हैं और जनता को उसका लाभ मिला है।
यूपी के पनियहवा के डीए पांडेय बोल पड़े, बिहार में सड़कों की स्थिति पहले से बेहतर हुई है और भ्रष्टाचार पर भी कुछ हद तक लगाम लगा है। जिस सरकार ने विकास की दिशा में काम किया है, उसे आगे बढ़ाने का मौका मिलना चाहिए। गंभीरता से सबकी बातें सुन रहे खड्डा के दिवाकर सिंह कहने लगे इस बार जाति आधारित राजनीति का असर कम रहेगा। लोगों का झुकाव अब विकास की राजनीति की ओर बढ़ रहा है।
चाय की दुकान पर गर्म चर्चा, युवा कर रहे राजनीतिक मंथन
नौरंगिया में चाय की दुकान पर बैठे टुनटुन, नीरज सिंह और उनके साथ करीब आधा दर्जन लोग भी चुनावी गणित बैठा रहे थे। कुछ युवा एनडीए के कामकाज की सराहना कर रहे थे तो कोई महागठबंधन के नेता को आगे बढ़ते की बात कर रहे थे।
शैलेश यदुवंशी कहते हैं, कुछ प्रत्याशी भी हैं जो बेबाक स्वभाव के कारण जनता के और करीब हैं। वे अपनी बात सीधे जनता के सामने रखते हैं। यूपी और बिहार के सीमावर्ती क्षेत्रों में लोगों की बातों से स्पष्ट हो रहा है कि बिहार का चुनाव परिणाम उनके सामाजिक और आर्थिक जीवन पर भी असर डाल सकता है।

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