बिहार की इस सीट पर BJP ने हर बार बदला उम्मीदवार, लेकिन जीत का जलवा फिर भी बरकरार
बिहार विधानसभा की चनपटिया सीट पर इस बार भी मुकाबला दिलचस्प होगा। यह विधानसभा सीट पिछले दो दशकों से भाजपा के कब्जे में रही है। दिलचस्प यह है कि पार्टी ने हर बार अपना उम्मीदवार बदल दिया लेकिन जीत की परंपरा कायम रही। वर्तमान में भाजपा से उमाकांत सिंह विधायक हैं।

मनोज मिश्र, बेतिया। पश्चिमी चंपारण के चनपटिया विधानसभा सीट का मिजाज समझना आसान नहीं है। यह विधानसभा सीट पिछले दो दशकों से भाजपा के कब्जे में रही है। दिलचस्प यह है कि पार्टी ने हर बार अपना उम्मीदवार बदल दिया, लेकिन जीत की परंपरा कायम रही।
भाजपा के लिए यह सीट काफी सुरक्षित सीट मानी जाती है। शुरुआत में इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा था। 1980 में कम्युनिस्ट पार्टी के बीरबल शर्मा ने पहली बार इस सीट पर लाल झंडा फहराया। वे यहां से तीन बार 1980, 1985 और 1995 विधायक चुने गए।
हालांकि, 1990 में उन्हें जनता दल के कृष्ण कुमार मिश्र उर्फ लल्लू मिश्र से मुंहकी खानी पड़ी थी। वर्ष 2000 में कृष्ण कुमार मिश्र ने जनता दल से पाला बदल भाजपा का दामन थाम इस विधानसभा सीट को भगवामय कर दिया।
तब से यह सीट भाजपा के कब्जे में है। 2005 के फरवरी और अक्टूबर के चुनाव में भाजपा ने सतीश चंद्र दुबे पर दांव आजमाया और वे जीत का सिलसिला बरकरार रखे। लेकिन इसके बाद से भाजपा हर चुनाव में अपना उम्मीदवार बदलती रही है।
2010 में भाजपा ने चंद्रमोहन राय को प्रत्याशी बनाया, जिन्होंने आसानी से जीत दर्ज की। 2015 में भी उम्मीदवार बदल भाजपा ने प्रकाश राय को मैदान में उतारा। हालांकि, मुकाबला बेहद कड़ा रहा और वे मात्र 464 वोटों के अंतर यह सीट बचा सके।
वर्ष 2020 के चुनाव में पार्टी ने एक बार फिर उम्मीदवार बदला और उमाकांत सिंह पर दांव लगा दिया। वे कांग्रेस के अभिषेक रंजन को 13,469 वोटों से हराकर विजय अभियान को बरकरार रखने में कामयाब हुए।
पिछले पांच चुनावों में भाजपा ने पांच अलग-अलग चेहरे बदलते हुए भी जीत हासिल की है। दूर दशक के आंकड़ों और जीत की सिलसिला से साफ है कि इस विधानसभा सीट पर पार्टी को अपने संगठन पर भरोसा है। भाजपा स्थानीय समीकरण और जातीय गणित को ध्यान में रखकर जीत सुनिश्चित करती रही है।
ब्राह्मण, यादव, भूमिहार, मुस्लिम का है वर्चस्व
एक समय था जब यह विधानसभा सीट बिहार में ब्राह्मण बहुल सीट माना जाता था। लेकिन परिसीमन के बाद इसमें थोड़ा बदलाव हुआ। अब इस सीट पर ब्राह्मण, यादव, भूमिहार, कोइरी और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
यही वजह रही कि हर बार उम्मीदवार बदलने के बावजूद भाजपा को लाभ मिलता रहा है। यहां भाजपा की मजबूत पैठ है। वर्ष 2025 के चुनाव को लेकर चर्चा शुरू हो गई है।
यह सीट किस दल के खाते में जाएगी अभी यह साफ नहीं है। लेकिन एनडीए और महागठबंधन के विभिन्न घटक दलों के दर्जनों नेता टिकट दावेदारी करना शुरू कर दिए हैं। उनके क्षेत्र में जनसंपर्क अभियान भी शुरू है।
प्रत्याशी बदलने के पुराने ट्रैक रिकॉर्ड की वजह से भाजपा के भी कई नेता क्षेत्र में जनसंपर्क कर रहे हैं। हालांकि, वर्तमान विधायक उमाकांत सिंह की इस बार भी मजबूत दावेदारी है। उन्हें भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व स्थानीय सांसद डॉ संजय जायसवाल का वरदहस्त प्राप्त है।
राजनीतिक हलकों में सवाल है कि क्या भाजपा इस बार भी उम्मीदवार बदलने की परंपरा को जारी रखेगी या वर्तमान विधायक पर ही दांव आजमाएगी। भाजपा जिलाध्यक्ष रूपक श्रीवास्तव का कहना है कि उम्मीदवारों का चयन प्रदेश नेतृत्व करती है। कई तथ्यों को परखने के बाद अंतिम फैसला होता है।
वर्ष 2000 से अब तक चुने गए विधायक
- 2020
- कृष्ण कुमार मिश्र, भाजपा - 2005 (फरवरी) सतीश चंद्र दुबे, भाजपा
- 2005 (अक्टूबर) सतीश चंद्र दुबे, भाजपा
- 2010 चंद्रमोहन राय, भाजपा
- 2015 प्रकाश राय, भाजपा
- 2020 उमाकांत सिंह, भाजपा
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