Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    जनसुराज प्रमुख प्रशांत किशोर पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिन के मौन उपवास पर बैठे

    By Sunil TiwariEdited By: Ajit kumar
    Updated: Thu, 20 Nov 2025 03:20 PM (IST)

    Bihar Politics: जन सुराज के प्रमुख प्रशांत किशोर पश्चिम चंपारण के भितिहरवा गांधी आश्रम में एक दिवसीय मौन उपवास पर बैठे। उन्होंने इस उपवास के लिए गांधी आश्रम को चुना, जिसके पीछे ऐतिहासिक महत्व है। उनके इस कदम का उद्देश्य अभी तक स्पष्ट नहीं है, पर यह जन सुराज अभियान से जुड़ा हो सकता है।

    Hero Image

    Bihar Politics: मौन उपवास से पहले उन्होंने आश्रम स्थित गांधी की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। जागरण 

    जागरण संवाददाता, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। Bihar Politics: बिहार में बदलाव के संकल्प के साथ भितिहरवा गांधी आश्रम से पदयात्रा आरंभ करने के बाद भी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में प्रशांत किशोर को करारी हार मिली।

    इसके बाद जनसुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को भितिहरवा आश्रम में 24 घंटे के लिए सामूहिक उपवास शुरू किया है। महात्मा गांधी की कर्मभूमि पर उन्होंने आत्मचिंतन शुरू किया है।

    इसके लिए भितिहरवा गांधी आश्रम के पास टेंट लगा है। काफी संख्या में कार्यकर्ता भी पहुंचे हैं। बता दें कि प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर 2022 को यहीं से पूरे बिहार के लिए पदयात्रा शुरू की थी। उसी गांधी की कर्मभूमि पर लौटकर वे अपने राजनीतिक प्रयासों और परिणामों की समीक्षा कर रहे हैं।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    d6355d26-33bd-4ada-adbc-f5d82306f9c9

    उन्होंने कहा है कि जिस दल को साढ़े तीन प्रतिशत वोट मिला हो उसकी हार के कारणों पर गंभीरता से विचार होना चाहिए। उन्होंने माना है कि व्यवस्था परिवर्तन के लक्ष्य के साथ जनसुराज आंदोलन शुरू किया गया था, लेकिन न तो व्यवस्था परिवर्तन हो सका और न ही सत्ता परिवर्तन।

    उन्होंने कहा कि बिहार की राजनीति में थोड़ी बहुत भूमिका जरूर बनी है, लेकिन जनता का विश्वास हासिल करने में वे सफल नहीं रहे। उन्होंने स्वीकार किया है कि प्रयास, विचार और जनता तक बात पहुंचाने के तरीके में उनसे कोई चूक हुई होगी।

    हालाकि उन्होंने चुनाव जीतने वाले सभी प्रत्याशियों को बधाई देते हुए कहा कि अब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और भाजपा नेताओं की जिम्मेदारी है कि वे जनता से किए वादों को पूरा करें, भ्रष्टाचार खत्म करें, रोजगार उपलब्ध कराएं और पलायन रोकें।