Bihar Land Online Fraud: जमीन में ऑनलाइन फर्जीवाड़ा, निलंबित सीओ पर कार्रवाई की अनुशंसा
बगहा में मदनपुर के शंकर यादव ने जमीन के ऑनलाइन रिकॉर्ड में फर्जीवाड़े की शिकायत की है। उनकी पैतृक जमीन को किसी और के नाम पर दर्ज कर दिया गया। लोक शिकायत निवारण अधिकारी ने सीओ को सुधार करने और राजस्व कर्मचारी जयप्रकाश राम और निलंबित सीओ निखिल के खिलाफ कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जांच में ऑनलाइन रिकॉर्ड में अवैध बदलाव पाया गया।

संवाद सूत्र, बगहा। अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण कार्यालय में दायर परिवाद में पैतृक जमीन से जुड़े गंभीर फर्जीवाड़े का मामला सामने आया है। परिवादी मदनपुर निवासी शंकर यादव का आरोप है कि उनकी पैतृक भूमि, जिसकी जमाबंदी संख्या 239 एवं 242 पूर्व से दर्ज है और जिस पर उनका शांतिपूर्ण कब्जा चला आ रहा है, उसे ऑनलाइन रिकॉर्ड में बदलकर दूसरे व्यक्ति के नाम जमाबंदी संख्या 67 के रूप में दर्ज कर दिया गया।
मामले की विस्तृत सुनवाई करने के बाद लोक शिकायत निवारण अधिकारी राजीव कुमार ने इसे पद दायित्वों का गंभीर उल्लंघन और आपराधिक कृत्य मानते हुए सीओ को आदेश दिया है कि संशोधित ऑनलाइन जमाबंदी को तत्काल नियमानुसार सुधारें।
साथ ही राजस्व कर्मचारी जयप्रकाश राम और निलंबित सीओ निखिल के विरुद्ध अनुशासनात्मक एवं अन्य आवश्यक कार्रवाई की अनुशंसा बेतिया जिला पदाधिकारी तथा राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग से की गई है। आदेश की प्रति जिला पदाधिकारी, अपर समाहर्ता और अपर मुख्य सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग, पटना को अग्रेतर कार्रवाई के लिए भेज दी गई है।
ऑनलाइन रिकॉर्ड में मनमाने तरीके से खाता–खेसरा एडिट
कार्यालय से लोक प्राधिकार सह बगहा दो सीओ को प्रतिवेदन के लिए नोटिस भेजा गया। उनके द्वारा दिए गए प्रतिवेदन में बताया गया कि मौजा नारायणगढ़ के सर्वे रिकॉर्ड के अनुसार संबंधित भूमि रैवती खाते की है और जमाबंदी संख्या 87 गुराही दुसाध के नाम से पूर्व में ही दर्ज है।
प्रतिवेदन में यह भी उल्लेख किया गया कि ऑफलाइन पंजी दो में खाता, खेसरा और जमाबंदी के आधार अंकित नहीं हैं, जबकि ऑनलाइन अपडेटेड रिकॉर्ड में खाता 32, खेसरा 12 में 62 डीसमिल और खेसरा 200 में 1 एकड़ 82 डिसमिल जमीन अंकित कर दी गई है।
जांच में यह बात सामने आई कि राजस्व कर्मचारी जयप्रकाश राम ने ऑनलाइन खाता–खेसरा में मनमाने तरीके से परिमार्जन किया।
अवलोकन में यह स्पष्ट हुआ कि जमाबंदी संख्या 87 में मूल रूप से छह कट्ठा 10 धुर भूमि दर्ज थी, जिसमें से दाखिल–खारिज संख्या 1124/1975-76 के तहत तीन कट्ठा पांच धुर भूमि घटाकर जमाबंदी संख्या 176 में जोड़ दी गई थी।
इस प्रकार जमाबंदी संख्या 87 में मात्र तीन कट्ठा पांच धुर भूमि ही शेष रहनी चाहिए थी। इसके बावजूद राजस्व कर्मचारी जयप्रकाश राम और तत्कालीन सीओ निखिल द्वारा बिना किसी प्रमाण, साक्ष्य और प्राधिकार के एक एकड़ 82 डिसमिल जमीन अवैध रूप से जोड़ दी गई, जिससे कुल भूमि दो एकड़ 44 डिसमिल दर्शा दी गई।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।