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    ‘नीली स्याही’ ने दिया ‘लाल नक्सलवाद’ को करारा जवाब, थरुहट में लोकतंत्र का नया चेहरा

    Updated: Thu, 13 Nov 2025 02:08 PM (IST)

    वाल्मीकिनगर विधानसभा क्षेत्र, जो कभी नक्सलवाद से प्रभावित था, अब लोकतंत्र का गढ़ बन गया है। 'नीली स्याही' की ताकत ने 'लाल आतंकवाद' को जवाब दिया है। महिलाओं की रिकॉर्ड भागीदारी के साथ, मतदान प्रतिशत में वृद्धि हुई है, जो डर पर जीत और विकास की आकांक्षा को दर्शाती है। थरुहट के लोग अब ईवीएम की ताकत से विकास चाहते हैं।

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    थरुहट में लोकतंत्र का नया चेहरा

    अर्जुन जायसवाल, हरनाटांड़। कभी नक्सल प्रभावित इलाका कहलाने वाला वाल्मीकिनगर विधानसभा का थरुहट क्षेत्र अब लोकतंत्र की मजबूत बुनियाद बन चुका है। जहां कभी गोलियों की तड़तड़ाहट और ‘लाल आतंकवाद’ के साए में सन्नाटा पसरा रहता था। वहीं अब ‘नीली स्याही’ की ताकत से मतदाता जवाब दे रहे हैं।

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    ईवीएम में गूंज रही जनतंत्र की यह आवाज साबित कर रही है कि डर नहीं, अब विकास की बात होगी। थरूहट और गंडक पार के दियारा का वह इलाका, जिसे कभी लोग ‘मिनी चंबल’ कहकर पहचानते थे, इस बार मतदान के जोश से सराबोर दिखा। 

    जहां पहले शाम के चार बजे तक ही मतदान समाप्त हो जाता था, वहीं इस बार सूर्यास्त तक लंबी कतारें लगी रहीं। लोग सुबह से ही लोकतंत्र के इस पर्व में शामिल होने पहुंचे।

    महिलाओं की भागीदारी ने रचा नया इतिहास

    इस चुनाव में महिलाओं की भागीदारी ने इस जनजागरूकता को और भी ऐतिहासिक बना दिया। वाल्मीकिनगर विधानसभा में इस बार रिकार्ड एक लाख 19 हजार 538 महिलाओं ने मतदान किया है।

    गोनौली के मलकौली, सखुअनवा, गोड़ार, शिवनाहा, देवरिया तरुअनवा के बरवाकला, कुनई, भेलाही, जिमरी मैनाहां और हरनाटांड़ जैसे इलाकों में सुबह से ही भारी भीड़ उमड़ी रही। जो इलाके पहले नक्सली प्रभाव और मतदान बहिष्कार की वजह से शांत रहते थे,। वहां अब लोकतंत्र का उत्सव मनाया गया।

    मलकौली गांव की पानमती देवी कहती हैं कि पहले हम डरते थे कि कहीं नक्सली कुछ कह न दें, लेकिन अब कोई डर नहीं है। अब हम खुलकर वोट देने आते हैं। 

    सुदामी देवी कहती हैं कि पहले महिलाएं बूथ तक नहीं जाती थीं, इस बार हम सबने समूह बनाकर वोट दिया। हमारा वोट ही हमारी आवाज है।

    11.50 प्रतिशत की बढ़ोतरी ने डर की दीवार तोड़ी

    इस बार इन इलाकों में न केवल अधिक संख्या में मतदान केंद्र बनाए गए। बल्कि सुरक्षा व्यवस्था और जनजागरूकता अभियानों ने भी लोगों का आत्मविश्वास बढ़ाया। 

    अब हर गांव में राजनीतिक चर्चा आम हो चली है। वो लोग जो पहले घरों में दुबके रहते थे, अब गर्व से कहते हैं कि हमने वोट दिया है और अपनी सेल्फी इंटरनेट मीडिया प्लेटफार्म पर भी खूब शेयर कर रहे हैं।

    गौरतलब है कि 2020 के विधानसभा चुनाव में वाल्मीकिनगर का मतदान प्रतिशत 58.9 था। वहीं अब 2025 में यह 11.48 प्रतिशत बढ़कर 70.38 तक पहुंच गया है। 

    यह केवल आंकड़ा नहीं, बल्कि उस मानसिक परिवर्तन की कहानी है, जिसने डर को हराकर लोकतंत्र को मजबूत किया है। आज थरुहट के लोग साफ संदेश दे रहे हैं कि अब बंदूक नहीं, इवीएम की ताकत से होगा विकास।