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    फादर हेनरी फर्नान्डो ने कहा- मृत्यु जीवन का अंत नहीं शुरुआत, आत्मा सदैव अमर

    By Sandesh Tiwari Edited By: Ajit kumar
    Updated: Mon, 08 Dec 2025 03:02 PM (IST)

    ईसाई समुदाय ने आल सोल्स डे पर पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक याद किया। परिवारों ने कब्रिस्तान जाकर कब्रों पर फूल चढ़ाए, मोमबत्तियां जलाईं और प्रार्थना की। ...और पढ़ें

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    आल सोल्स डे पर पूर्वजों को किया नमन, परिवार के लिए मांगी दुआएं। जागरण

    संवाद सहयोगी जागरण, बेतिया (पश्चिम चंपारण)। इसाई सुमदाय के लोगों ने रविवार को आल सोल्स डे पूरी श्रद्धा के साथ मनाया। हर परिवार कब्रिस्तान पहुंचा और अपने पूर्वजों को याद करते हुए श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

    पूरा परिवार पूर्वजों की कब्र के समीप घंटों बैठकर उनको नमन किया। साथ ही अपने और परिवार के लिए दुआएं भी मांगी। यहां इसाई समुदाय के लोग परिवार के साथ कब्रिस्तान में पहुंचे लोगों ने अपने पूर्वजों को याद कर उनके क्रब पर श्रद्धा सुमन अर्पित किया।

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    इसके पूर्व श्रद्धालुओं ने अपने-अपने पूर्वजों की कब्र को फूलों से सजाया। कई लोगों ने अपने पूर्वजों के कब्र को फूलों से पाट दिया। फिर पूरे कब्र को कैंडिल की रोशनी से जगमग किया।

    सुगंधित अगरबती जलाए और पूर्वजों के लिए ईश्वर से विशेष प्रार्थना की। दोपहर से ही कब्रिस्तान में लोगों का पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया, जो देर शाम तक चला। इस दौरान बेतिया धर्म प्रांत के बिशप पीटर गोबियस सेबेस्टियन द्वारा मिस्सा पूजा किया गया।

    जिसमें फादर हेनरी फर्नान्डो, फादर आनंद, सहित अन्य पुरोहित ने भाग लिया। इस अवसर पर देश-विदेश से भी बेतिया पल्ली वासियों का आगमन हुआ। दिल्ली, आसनसोल, कोलकाता, गोरखपुर, बेंगलुरु, भोपाल व दुबई से भी लोग प्रार्थना करने पहुंचे।

    वहीं चुहड़ी कब्रिस्तान में सभी उपस्थित जनों को पल्ली पुरोहित ने मृत लोगों की आत्मा की शांति के लिए मिस्सा बलिदान चढ़ाया। कहा कि मृत्यु जीवन का अंत नहीं शुरुआत है। सिर्फ शरीर नष्ट होता है, आत्मा सदैव अमर रहती है।

    परिजन, जो हमारे बीच नहीं हैं, वे आज हमारे दिल व दिमांग में हैं। उनकी यादें हमारे बीच जीवित हैं। बताते चले कि आल सोल्स डे के अवसर पर इसाई समुदाय के लोग भारत के विभिन्न जगहों से बेतिया पहुंचते है और पूर्वजों के कब्र के पास जाकर उनके प्रति श्रद्धा सुमन अर्पित करते है। वे कही भी रहते हो लेकिन अनिवार्य रूप से शहर में आते है और परिवार के साथ कब्रिस्तान में पहुंचकर पूर्वजों को नमन करते है।