Home Loan की EMI कम रखना चाहते हैं? ये पांच टिप्स आएंगे काम
Reduce Home Loan EMI घर खरीदने के लिए ज्यादातर लोग होम लोन लेते हैं। लेकिन उन्हें ज्यादा समय तक होम लोन की ईएमआई चुकाने में दिक्कत होती है। इस EMI पर उन्हें हर महीने अपनी कमाई का बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ता है। आइए जानते हैं कि आप किस तरह से होम लोन की EMI कम कर सकते हैं।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। होम लोन लेने के बाद सबसे बड़ी चिंता होती है उसकी मासिक किस्त यानी EMI चुकाने की। चूंकि, होम लोन की रकम काफी बड़ी होती है, तो इसकी ईएमआई भी काफी लंबे वक्त तक चलती है। इसलिए हर कोई चाहता है कि उसका ईएमआई का बोझ कम ही रहे। आइए जानते हैं EMI कम करने के पांच टिप्स।
होम लोन का डाउन पेमेंट अधिक करें
आपको घर खरीदने से पहले डाउन पेमेंट के लिए एक बड़ी रकम जुटा लेनी चाहिए। आपका जितना अधिक डाउन पेमेंट करेंगे, EMI का बोझ उतना ही कम हो जाएगा। आपको मकान की कुल कीमत का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा डाउन पेमेंट करना चाहिए। जैसे कि अगर आप 40 लाख का घर ले रहे हैं, तो 10 लाख रुपये डाउन पेमेंट करें।
प्री-पेमेंट से भी घटेगी होम लोन की ईएमआई
आपको जब भी एकमुश्त अतिरिक्त पैसा मिले, तो उससे होम लोन का प्री-पेमेंट कर दें। इससे लोन का प्रिंसिपल अमाउंट कम होगा। इससे EMI के साथ कर्ज की अवधि भी घटेगी। लोन की अवधि कम होने से आपकी टेंशन कम होगी, और आपको बैंक को ब्याज भी कम चुकाना पड़ेगा।
होम लोन ट्रांसफर कराना भी अच्छा विकल्प
अगर आपका री-पेमेंट रिकॉर्ड अच्छा है, तो आप किसी ऐसे लेंडर के पास लोन ट्रांसफर करा सकते हैं, जो कम ब्याज दर दे रहा है। होम लोन बैलेंस ट्रांसफर काफी अच्छा विकल्प है। लेकिन, लोन ट्रांसफर करने से पहले आपको अतिरिक्त लागत के बारे में जरूर पता कर लेना चाहिए। इसमें प्रोसेसिंग फीस और फोरक्लोजर फीस जैसे चार्ज शामिल होते हैं।
होम लोन ओवरड्राफ्ट सुविधा का इस्तेमाल करें
आप होम लोन ओवरड्राफ्ट सुविधा ले सकते हैं। इसमें आप अपनी EMI के अलावा भी अपने होम लोन अकाउंट में अतिरिक्त रकम जमा करवा सकते हैं। अकाउंट में अतिरिक्त रकम रखने से आपके ब्याज की रकम और लोन की अवधि घट जाएगी। यह लोन जल्दी खत्म करने में भी मददगार साबित हो सकता है।
फ्लोटिंग रेट लोन चुनना भी अच्छा ऑप्शन
आप होम लोन लेते वक्त फ्लोटिंग रेट का विकल्प चुन सकते हैं। इस लोन में ब्याज दर बाजार की स्थितियों के अनुसार बदलती रहती है। अगर ब्याज दर कम होती है, तो आपकी ईएमआई भी कम हो जाएगी। हालांकि, इसमें नीतिगत ब्याज दर बढ़ने के साथ ईएमआई बढ़ने का जोखिम भी रहता है।
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