Loan Against Share: शेयर के बदले ले सकते हैं लोन, जानें क्या है पूरा प्रोसेस
हमें कई बार लोन (Loan) लेना पड़ जाता है। ऐसे में सबसे पहला ध्यान हमारा पर्सनल लोन (Personal Loan) पर जाता है। लेकिन कई लोगों को नहीं पता है कि अगर वह शेयर बाजार में पैसा लगाते हैं तो वह स्टॉक के बदले में लोन (Loan Against Share) भी ले सकते हैं। अगर आप भी शेयर बाजार में निवेश करते हैं तो यह आर्टिकल आपके लिए है।
बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। कभी कोई आपात स्थिति आ जाए तो ऐसे में लोन (Loan) हमारे लिए काफी अहम रोल निभाता है। लोन का सोचते ही सबसे पहले पर्सनल लोन (Personal Loan) का ख्याल आता है। लेकिन, जो निवेशक शेयर बाजार में निवेश करते हैं वह स्टॉक के बदले में लोन (Loan Against Share) के बारे में नहीं जानते हैं। जी हां, आप भी शेयर के बदले लोन ले सकते हैं। यह भी एक तरह का फाइनेंशियल टूल है जिसके जरिये आप अपने खर्चों को पूरा कर सकते हैं। हम आपको नीचे इसी के बारे में बताएंगे।
क्या है शेयरों के बदले लोन (Loan Against Share - LAS)
शेयरों के बदले लोन (Loan Against Share - LAS) में निवेशक को सिक्योर तरीके से लोन दिया जाता है। देश के कई बैंक और नॉन-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियां (NBFCs) यह सुविधा देता है। इसमें लोन की राशि शेयरों के बाजार के मूल्य का 50 फीसदी तक सीमित होता है। हालांकि, इस लोन को लेने के बाद भी निवेशक के पास उनके शेयरों पर मालिकाना हक बना रहता है।
निवेशक ने जब लोन लिया है और उस वक्त लाभांश (Dividend) मिल रहा है तो निवेशक को उसका लाभ मिलता है। इस लोन में केवल लेंडर डीमैट अकाउंट में शेयर को pledge के रूप में चिह्नित करता है। इसके अलावा निवेशक चाहे तो लोन को एक बार की राशि या फिर ओवरड्राफ्ट करवा सकता है। यह ऑप्शन उधारकर्ता को लचीलापन देता है।
ये डॉक्यूमेंट्स है जरूरी
- केवाईसी डॉक्यूमेंट्स के लिए पैन कार्ड (Pan Card) और आधार कार्ड (Aadhaar Card)
- डीमैट अकाउंट स्टेटमेंट्स
- आयु प्रमाणपत्र के लिए बैंक स्टेटमेंट्स, सैलरी स्लिप, आईटी रिटर्न्स
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क्या है पात्रता मापदंड
शेयरों के बदले लोन का लाभ केवल उन निवेशकों को मिलेगा जिनके बाद लेंडर द्वारा सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरर्स हो। कई संस्था म्यूचुअल फंड्स या बॉंड्स जैसे अन्य सिक्योरिटीज पर भी लोन की सुविधा देती है।ये हैं शर्तें
इसमें पर्सनल लोन की तुलना में ब्याज दर काफी कम होती है। इस तरह के लोन का टेन्योर एक से तीन साल का होता है। इसमें फेक्सिबल रिपेमेंट यानी उधारकर्ता ब्याज का भुगतान लोन की राशि के भुगतान के साथ कर सकता है।
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