8th Pay Commission: इन 2.75 लाख कर्मचारियों को भी मिलेगा फायदा? पीएम मोदी से किसने की मांग
आठवें वेतन आयोग के शुरू होते ही, सांसद अंबिका जी लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवकों को भी इसमें शामिल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण डाक सेवक शहरी कर्मचारियों के समान सेवाएं देते हैं, फिर भी उन्हें समान वेतन नहीं मिलता। उनका मानना है कि इससे डाक विभाग का मनोबल बढ़ेगा।
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2.75 लाख कर्मचारियों को मिलेगा 8th Pay Commission का फायदा? पीएम मोदी से किसने की मांग
नई दिल्ली| आठवें वेतन आयोग (8th Pay Commission) की तैयारियां शुरू होते ही अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या ग्रामीण डाक सेवक (GDS) को भी इसका फायदा मिलेगा? कर्नाटक से सांसद अंबिका जी लक्ष्मीनारायण वाल्मीकि ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवकों को 8वें वेतन आयोग के दायरे में लाने की मांग की है।
सांसद ने लिखा है कि, "ग्रामीण डाक सेवक ग्रामीण इलाकों में वही जरूरी डाक सेवाएं दे रहे हैं जो शहरी क्षेत्रों में सरकारी कर्मचारी देते हैं। फिर भी उन्हें समान वेतन और सुविधाएं नहीं मिलतीं।"
सांसद ने लेटर में क्या लिखा?
वाल्मीकि ने यह भी कहा कि,
"हर बार डाक सेवकों के लिए अलग कमेटी बनती है, जिसकी वजह से उन्हें केंद्रीय कर्मचारियों जैसी सुविधाएं नहीं मिल पातीं। अब समय आ गया है कि ग्रामीण डाक सेवा (GDS) को भी 8वें वेतन आयोग में शामिल किया जाए। इससे डाक विभाग का मनोबल और दक्षता दोनों बढ़ेंगे।"
GDS को अभी क्यों नहीं मिलता फायदा?
फिलहाल सिर्फ केंद्रीय सरकारी कर्मचारी ही वेतन आयोग की सिफारिशों का लाभ उठा सकते हैं। ग्रामीण डाक सेवक को केंद्रीय सरकारी कर्मचारी नहीं माना गया है, इसलिए उन्हें 7वें या 8वें वेतन आयोग का सीधा फायदा नहीं मिलता।
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7वें वेतन आयोग ने क्या कहा था?
7वें वेतन आयोग की रिपोर्ट में साफ लिखा गया था कि ग्रामीण डाक सेवक केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं हैं। इसलिए उनकी सैलरी और भत्ते का बजट अलग श्रेणी में रखा जाए, "सैलरी हेड" में नहीं। रिपोर्ट में कहा गया था, "ग्रामीण डाक सेवकों पर होने वाला खर्च 'सैलरी' की श्रेणी में नहीं आना चाहिए क्योंकि वे केंद्र सरकार के कर्मचारी नहीं हैं।"
क्या अब बदलाव संभव है?
अब सवाल है कि क्या सरकार 8वें वेतन आयोग में GDS को शामिल करेगी? इस पर अभी कोई आधिकारिक फैसला नहीं हुआ है, लेकिन सांसद की यह मांग ग्रामीण पोस्टल नेटवर्क के लिए बड़ा मुद्दा बन सकती है। अगर ये मांग मानी जाती है, तो देशभर के 2.75 लाख ग्रामीण डाक सेवकों को इसका सीधा फायदा मिलेगा।

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