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    क्या बैंक लॉकर में सेफ है आपका Gold? चोरी हुआ तो किसकी होगी गारंटी? आपकी सोच से अलग है नियम

    Updated: Tue, 11 Nov 2025 12:32 PM (IST)

    सोने की बढ़ती कीमतों के बीच, लोग इसे विभिन्न रूपों में जमा कर रहे हैं, जिनमें बैंक लॉकर (Gold in Bank Locker) भी शामिल हैं। बैंक लॉकर में सुरक्षा कड़ी होती है, लेकिन बैंक डिफ़ॉल्ट रूप से लॉकर में रखे सामान का बीमा नहीं करते हैं। सुप्रीम कोर्ट के अनुसार, लापरवाही के मामलों में बैंक मुआवजा देने के लिए जिम्मेदार है।

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    बैंक लॉकर में गोल्ड रखने के नियम क्या हैं

    नई दिल्ली। इस समय सोने की कीमतें (Gold Price Today) लगातार बढ़ रही हैं। सोने को लोग अलग-अलग तरह से जमा करते आ रहे हैं। जैसे कि ज्वैलरी, बार-सिक्के या फिर आज के दौर का नया तरीका डिजिटल गोल्ड। कुछ लोग बैंक लॉकर में भी गोल्ड रखना पंसद करते हैं, क्योंकि ये ऑप्शन उन्हें सेफ लगता है। हालांकि भारत में लॉकर प्रोटेक्शन के नियम ज्यादातर लोगों की समझ से थोड़ा अलग हैं।
    बैंक आपको गोल्ड और अन्य प्राइवेट चीजें (Bank Locker For Gold) रखने के लिए जगह तो देते हैं, लेकिन वे डिफॉल्ट रूप से लॉकर में रखे सामान का इंश्योरेंस नहीं करते। इसलिए, बैंक लॉकर में अपनी कोई भी कीमती चीज रखने से पहले ये जानना जरूरी है कि क्या कवर होता है और क्या नहीं।

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    लॉकर में रखे सामान की जिम्मेदारी किसकी?

    बैंक लॉकर में सिक्योरिटी बहुत टाइट रहती है। वहां कैमरों के अलावा लिमिटेड एक्सेस, टू-की ऑपरेशन और समय-समय पर जांच शामिल है। बैंक लॉकर एरिया को मेंटेन रखता है और यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी बिना इजाजत के अंदर न आ पाए।
    बता दें कि सन 2005 के सुप्रीम कोर्ट के एक बड़े फैसले के अनुसार लॉकर को मेंटेन करने और साबित हुई लापरवाही के मामलों में कस्टमर्स को मुआवजा देने की जिम्मेदारी बैंक की है। लापरवाही में कमजोर सिक्योरिटी या स्टाफ की गलती की वजह से चोरी आदि शामिल हैं।

    इन चीजों की जिम्मेदारी नहीं लेता बैंक

    ध्यान रहे कि बेहतर रेगुलेशन के बावजूद, लॉकर में रखे गोल्ड या ज्वैलरी को बैंक डिफॉल्ट रूप से कवर नहीं करते। असल में उन्हें नहीं पता होता कि आपने अंदर क्या रखा है। इसीलिए वे अंदर रखी चीजों का इंश्योरेंस नहीं करते हैं।
    प्राकृतिक आपदा, आग या चोरी (जो लापरवाही की वजह से न हुई हो) पर बैंक जिम्मेदार नहीं होता। कई कस्टमर को लगता है कि लॉकर में रखे सामान का हम चार्ज देते हैं तो बैंक की जिम्मेदारी ऑटोमैटिक बनती है। पर ऐसा नहीं है।

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    आपकी भी होती है जिम्मेदारी

    जब भी आप लॉकर सर्विस लेते हैं तो उसके साथ एक एग्रीमेंट आता है, जिसमें क्लियर मेंशन होता है कि बैंक की जिम्मेदारी क्या-क्या है। एग्रीमेंट के तहत आपको भी नियमों का पालन करना होता है। जैसे कि लॉकर को तय समय के अंदर इस्तेमाल करना, किराया लगातार देना और अकाउंट को एक्टिव रखना।
    अगर आप इन नियमों को सही से फॉलो करते हैं तो आपको सारे अधिकार मिलते हैं। एग्रीमेंट के ही अनुसार बैंक अब बार-बार लिखित नोटिस दिए बिना और इंतजार किए बिना लॉकर नहीं तोड़ सकते।

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