बीरा 91 में बवाल? नाम बदलते ही डगमगाया कारोबार, आखिर क्यों बियर कंपनी के मालिक को हटाने की उठ रही मांग
बीरा 91 बनाने वाली कंपनी बी9 बेवरेजेज गंभीर संकट (Bira 91 crisis) में है। नाम बदलते ही कंपनी को कई बाधाओं का सामना करना पड़ रहा है। 250 से अधिक कर्मचारियों ने CEO अंकुर जैन (Ankur Jain) को हटाने की मांग की है। कर्मचारियों का आरोप है कि उन्हें पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है और कंपनी ने टीडीएस का भुगतान भी नहीं किया है। विस्तार से जानते हैं कि कंपनी पर क्या-क्या आरोप लगे हैं और इस पर मालिक का क्या कहना है।

नई दिल्ली। मशहूर क्राफ्ट बियर ब्रांड बिरा 91 (Bira 91) बनाने वाली कंपनी बी9 बेवरेजेज (B9 Beverages) इन दिनों गंभीर संकट से गुजर रही है। बीरा 91 बियर ब्रांड की मूल कंपनी के नाम में मामूली कानूनी बदलाव ने इसके लिए नियामक और परिचालन संबंधी कई बाधाएं खड़ी कर दी हैं।
कंपनी के 250 से अधिक कर्मचारियों ने बोर्ड, निवेशकों और कर्जदाताओं को पत्र लिखकर नेतृत्व में बदलाव की मांग की है। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, कर्मचारियों ने कंपनी के फाउंडर और CEO अंकुर जैन को मैनेजमेंट से हटाने की भी अपील की है।
नाम परिवर्तन से अराजकता फैली?
समस्या तब शुरू हुई जब कंपनी ने 2023/24 में अपना कानूनी नाम B9 बेवरेजेज प्राइवेट लिमिटेड से बदलकर B9 बेवरेजेज लिमिटेड कर दिया, और उसमें से 'प्राइवेट' शब्द हटा दिया। इस बदलाव के दूरगामी परिणाम हुए।
निवेशक डी मुथुकृष्णन ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि ''बीरा 91 पिछले दशक की सफल स्टार्ट-अप कहानियों में से एक थी। यह एक लोकप्रिय क्राफ्ट बियर ब्रांड है। वे बहुत अच्छी तरह से आगे बढ़ रहे थे। हकीकत आपकी कल्पना से भी ज़्यादा अजीब है। एक प्रक्रियागत चूक के कारण पूरी कंपनी डूब गई है, और अब फाउंडर को कंपनी के कर्मचारियों द्वारा कंपनी छोड़ने के लिए मजबूर किया जा रहा है।''
Bira 91 was one of the successful start-up stories of last decade. It is a popular craft beer brand. They were growing so well. Reality is strange than what you can imagine. A procedural goof up has lead to whole company being collapsing and the founder now being forced even to…
— D.Muthukrishnan (@dmuthuk) October 10, 2025
उन्होंने आगे कहा "इसके बाद तो बवाल मच गया। सभी राज्यों ने तुरंत बीरा 91 की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया और नए नाम को एक अलग इकाई मान लिया।
क्यों उठी नेतृत्व में बदलाव की मांग?
कर्मचारियों की ओर से लिखे गए एक याचिका पत्र में आरोप लगाया गया है कि कंपनी में कॉर्पोरेट गवर्नेंस की भारी कमी, पारदर्शिता का अभाव और कर्मचारियों की सैलरी में लगातार देरी जैसे गंभीर मुद्दे हैं। इसके अलावा कंपनी पर कई वेंडर्स के बकाये और कर्जदाताओं के केस भी चल रहे हैं, जिससे कंपनी की वित्तीय हालत और बिगड़ती जा रही है।
सैलरी और टैक्स में बड़े उल्लंघन
ईकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कई कर्मचारियों को पिछले छह महीनों से वेतन नहीं मिला है और नवंबर 2024 से भत्तों का भुगतान भी लंबित है। इतना ही नहीं, करीब 50 कर्मचारियों ने दावा किया है कि कंपनी ने उनके टीडीएस (TDS) का भुगतान भी पिछले वित्तीय वर्ष में नहीं किया। वहीं, प्रॉविडेंट फंड (PF) का आखिरी योगदान मार्च 2024 में किया गया था।
एक कर्मचारी ने बताया कि करीब 500 कर्मचारियों का वेतन और भत्ते बकाया हैं, जिसकी कुल राशि लगभग ₹50 करोड़ तक पहुंच चुकी है। कंपनी में कई बार छंटनी भी हो चुकी है और कर्मचारियों की संख्या 700 से घटकर 260 रह गई है।
इस पूरे मामले पर फाउंडर अंकुर जैन ने क्या कहा
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए अंकुर जैन ने स्वीकार किया कि कर्मचारियों के वेतन में देरी हुई है। उन्होंने कहा, ''यह सच है कि हमारे ऊपर कर्मचारियों के बकाया हैं जो 3 से 5 महीने तक के हैं। इनमें टैक्स देनदारी की देरी भी शामिल है।'' हालांकि, उन्होंने कहा कि कंपनी को ऐसी किसी याचिका की जानकारी नहीं है और बोर्ड तक ऐसी कोई सूचना नहीं पहुंची है। उन्होंने बताया कि सितंबर में उत्पादन रोक दिया गया था, लेकिन उम्मीद है कि यह अक्टूबर में दोबारा शुरू होगा।
अंकुर जैन ने बीते 18 महीनों को 'व्यवसाय के लिए चुनौतीपूर्ण' बताया और कहा कि इस दौरान कंपनी के नाम में बदलाव, नीतियों में फेरबदल और फंडिंग में देरी के चलते कैश फ्लो पूरी तरह रुक गया।
कंपनी में निवेशकों की स्थिति
रिपोर्ट के अनुसार, अंकुर जैन और उनके परिवार के पास जून 2025 तक कंपनी में 17.8% हिस्सेदारी है, जबकि जापानी कंपनी किरीन होल्डिंग्स (Kirin Holdings) के पास 20.1% की सबसे बड़ी हिस्सेदारी है। कर्मचारियों ने यह याचिका किरिन, पीक XV पार्टनर्स और कर्जदाता एनीकट कैपिटल (Anicut Capital) को भी भेजी है।
नतीजा क्या होगा?
फिलहाल कंपनी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कर्मचारियों का आक्रोश और वित्तीय अनियमितताएं साफ तौर पर दिखा रही हैं कि बिरा 91 की स्थिति गंभीर है। अगर जल्द ही समाधान नहीं निकला, तो यह भारत के सबसे चर्चित बीयर ब्रांड्स में से एक के लिए भविष्य संकट में डाल सकता है।
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