Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    अमेरिका-यूरोप का 'डबल स्टैंडर्ड' देखिए, भारत पर बनाया तत्काल दबाव, लेकिन खुद 2028 तक खरीदेंगे रूस से तेल

    Updated: Tue, 21 Oct 2025 05:41 PM (IST)

    रूस से तेल खरीदी के मुद्दे पर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, टैरिफ को लेकर मनमानी कर रहे हैं। इस बीच यूरोपीय संघ के देशों ने 1 जनवरी, 2028 से सभी रूसी ऊर्जा आयातों पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की है। लेकिन, इसके लिए यूरोपीय देशों ने 2 साल का समय लिया है यानी तत्काल रोक लगाने का कोई इरादा नहीं है।

    Hero Image

    यूरोपीय संघ के देशों ने यूरोपीय आयोग के प्रस्ताव पर मतदान किया।

    नई दिल्ली। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, रूस से तेल खरीदी (Russian Oil Import) के मुद्दे पर भारत और चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगा चुके हैं और अन्य देशों को लगातार रूस से कच्चा तेल नहीं खरीदने को लेकर धमका रहे हैं। इस बीच यूरोपीय संघ के देशों ने यूरोपीय आयोग के प्रस्ताव पर मतदान के बाद 1 जनवरी, 2028 से सभी रूसी ऊर्जा आयातों पर प्रतिबंध लगाने पर सहमति व्यक्त की है। हालांकि, इसके लिए यूरोपीय देशों ने 2 साल का समय लिया है यानी तत्काल रोक लगाने का कोई इरादा नहीं है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कुछ दिन पहले डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने दावा किया था कि भारत रूस से तेल खरीदना धीरे-धीरे बंद कर देगा। हालांकि, भारत सरकार ने इस दावे को खारिज कर दिया। दरअसल, भारत अपनी जरूरत का 87% तेल आयात करता है, जिसमें रूस का हिस्सा 40% तक है, और यह कीमतों के लिहाज से काफी किफायती है।

    यूरोपीय काउंसिल का बयान

    20 अक्टूबर को लक्ज़मबर्ग में आयोजित बैठक के दौरान लगभग सभी यूरोपीय संघ देशों के एनर्जी मिनिस्टर्स ने ड्राफ्ट रेगुलेशन के समर्थन में वोट किया, जो पाइपलाइन तेल और लिक्विड नेचुरल गैस (LNG) दोनों पर लागू होता है। यूरोपीय काउंसिल के एक बयान के अनुसार, यह रेगुलेशन, "रूस द्वारा गैस आपूर्ति को हथियार बनाने" और "यूरोपीय ऊर्जा बाजार पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले यूरोपीय संघ को गैस आपूर्ति में बार-बार व्यवधान" के बाद, रूसी ऊर्जा पर निर्भरता समाप्त करने के लिए यूरोपीय संघ के REPowerEU रोडमैप का एक हिस्सा है।

    काउंसिल ने पुष्टि की है कि रूसी गैस के आयात पर जनवरी 2026 से प्रतिबंध लगा दिया जाएगा, जबकि मौजूदा शॉर्ट टर्म कॉन्ट्रेक्ट्स के लिए जून 2026 से संक्रमण अवधि बनाए रखी जाएगी, जबकि लॉन्ग टर्म कॉन्ट्रेक्ट 1 जनवरी 2028 तक चल सकते हैं।

    डेनमार्क के ऊर्जा मंत्री लार्स आगार्ड, जो वर्तमान में यूरोपीय संघ के अध्यक्ष हैं, ने इस प्रस्ताव को यूरोप को ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र बनाने की दिशा में एक "महत्वपूर्ण" कदम बताया। दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद यूरोपीय संघ के नेताओं ने मार्च 2022 के वर्साय घोषणापत्र में रूस तेल व एनर्जी प्रोडक्ट्स पर निर्भरता को जल्द से जल्द खत्म करने पर सहमति व्यक्त की है।

    ये भी पढ़ें- ट्रंप के दबाव में मुकेश अंबानी ने बदली रणनीति, रूस के बजाय मिडिल ईस्ट से खरीदा क्रूड ऑयल; क्या है रिलायंस का प्लान?

    इसके परिणामस्वरूप, हाल के वर्षों में रूस से यूरोपीय संघ को गैस और तेल के आयात में उल्लेखनीय कमी आई है। 2025 में तेल आयात घटकर 3 प्रतिशत से नीचे आ गया है, फिर भी 2025 में यूरोपीय संघ के आयात में रूसी गैस का हिस्सा अनुमानित 13 प्रतिशत होगा। यूरोपीय परिषद ने स्पष्ट किया है कि इससे यूरोपीय संघ को अपने व्यापार और ऊर्जा सुरक्षा के संदर्भ में गंभीर जोखिमों का सामना करना पड़ रहा है।