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    सेलरी ही नहीं आधा दर्जन से अधिक मामलों में कटता है TDS, ITR फाइल करने से पहले जरूर पढ़ लें ये आर्टिकिल

    वित्त वर्ष 2024-25 अथवा असेसमेंट वर्ष 2025-26 के लिए ITR file करने का समय आ गया है। रिटर्न फाइलिंग से पहले आपके लिए यह जान लेना बेहतर होगा कि पूरे साल में आपने जितने लेन-देन किए उस पर कितना टैक्स कटा है। इसे TDS कहते हैं। इस आर्टिकल में हम आपको टीडीएस के बारे में हर तरह की जानकारी दे रहे हैं।

    By Jagran News Edited By: Sunil Kumar Singh Updated: Sat, 07 Jun 2025 12:01 PM (IST)
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    इनकम टैक्स return filing से पहले समझिए TDS के बारे में हर जानकारी

    नई दिल्ली। अगर आप इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR Filing 2025) करने जा रहे हैं तो आपके लिए टैक्स डिडक्शन एट सोर्स यानी टीडीएस (TDS) को जानना जरूरी है। इस आर्टिकल में हम आपको बता रहे हैं कि टीडीएस क्या होता है, यह किन मामलों में लागू होता है, टीडीएस फाइलिंग के नियम क्या हैं, नियम का पालन नहीं करने पर क्या होता है। (income tax return tips)

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    क्या होता है TDS

    जब कोई व्यक्ति, संस्था या कंपनी किसी को पेमेंट करती है तो टैक्स काटकर पेमेंट करने का नियम है। यह पेमेंट सैलरी, किराया, कमीशन आदि के रूप में हो सकता है। हालांकि एक निश्चित रकम से अधिक पेमेंट करने पर ही TDS काटने का प्रावधान है। टीडीएस काटने वाले व्यक्ति या संस्था को टैक्स की रकम सरकार के पास जमा करनी पड़ती है। टैक्सपेयर जब इनकम टैक्स रिटर्न (ITR) फाइल करता है तो उस समय टीडीएस को एडजस्ट किया जाता है।

    किन मामलों में काटा जाता है TDS

    सैलरी (धारा 192), ब्याज (धारा 194A), किराया (धारा 194I), प्रोफेशनल फीस (धारा 194J), कमीशन या ब्रोकरेज (धारा 194H), प्रॉपर्टी की खरीद-बिक्री (धारा 194 IA) या डिविडेंड (धारा 194) जैसे ट्रांजैक्शन में TDS काटने का प्रावधान है। टीडीएस काटने वाला टैक्सपेयर को अगर सैलरी देता है तो उसे Form 16 देना होगा। नॉन-सैलेरी पेमेंट के लिए फॉर्म 16A दिया जाता है।

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    कहां देख सकते हैं टीडीएस की डिटेल

    जिस टैक्स पेयर का टीडीएस काटा जाता है वह उसकी डिटेल फॉर्म 26AS या AIS में देख सकता है। इनकम टैक्स रिटर्न फाइल (ITR filing) करते समय टैक्सपेयर की जो टैक्स लायबिलिटी बनती है उसमें वह टीडीएस को एडजस्ट कर सकता है।

    हर तिमाही टीडीएस जमा करना जरूरी

    टीडीएस काटने वाले को हर तिमाही टीडीएस रिटर्न फाइल करना जरूरी है। इसके लिए फॉर्म 24Q, 26Q आदि का इस्तेमाल किया जाता है। अगर टीडीएस काटने वाले ने हर तिमाही टैक्स की रकम सरकार के पास जमा नहीं की या देर से जमा की, तो उस पर धारा 234E के तहत जुर्माना लग सकता है।

    कितना काटा जाता है टीडीएस

    टीडीएस काटने की दर क्या होगी यह पेमेंट टाइप और जिसे पेमेंट दिया जा रहा है उस पर निर्भर करता है। यह व्यक्ति और फर्म के लिए अलग-अलग है। उदाहरण के लिए अगर कंपनी आपको सैलरी देती है तो आपकी सालाना इनकम के ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स काटा जाएगा। जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा जाना है अगर उसने अपना पैन नहीं दिया तो 20% या उससे अधिक दर से टीडीएस कटेगा।

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    निल डिडक्शन का भी प्रावधान

    टीडीएस में निल डिडक्शन सर्टिफिकेट का भी प्रावधान है। जिस व्यक्ति का टीडीएस काटा गया है अगर उसकी वास्तविक टैक्स लायबिलिटी टीडीएस की तुलना में कम है, तो वह धारा 197 के तहत कम टीडीएस या निल टीडीएस के लिए आवेदन कर सकता है। अगर आप पर कोई टैक्स लायबिलिटी नहीं बनती है, फिर भी टीडीएस कटा है तो आप उसका रिफंड (TDS refund process) क्लेम कर सकते हैं।