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    Exclusive: NCDEX के कमोडिटी से स्टॉक एक्सचेंज बनने की प्रॉसेस, टाइमलाइन और ब्रेक इवेन; CEO ने सबकुछ बता दिया

    Updated: Thu, 14 Aug 2025 03:51 PM (IST)

    NCDEX MD Arun Raste Interview देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज एनसीडीईएक्स के लिए लंबे समय बाद अच्छी खबर आई है। सेबी ने कंपनी को इक्विटी ट्रेडिंग शुरू करने की अनुमति दे दी है। पांच साल से 7 प्रमुख एग्री उत्पादों के वायदा कारोबार पर जारी प्रतिबंध के बीच इस फैसले को एनसीडीईएक्स के लिए संजीवनी के तौर पर देखा जा रहा है।

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    देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज NCDEX को सेबी से इक्विटी एक्सचेंज शुरू करने की अनुमति मिल गई है।

    देश के सबसे बड़े एग्री कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) को इक्विटी बाजार नियामक सेबी से इक्विटी एक्सचेंज शुरू करने की अनुमति मिल गई है। कंपनी ने इक्विटी एक्सचेंज स्थापित करने के लिए काम भी शुरू कर दिया है। इसमें फंडिंग जुटाना और नई भर्तियां करना भी शामिल है। NCDEX के एमडी एवं सीईओ अरुण रस्ते का पांच साल का कार्यकाल अगले साल जून में समाप्त हो रहा है। वह अपने रिटायरमेंट से पहले इक्विटी एक्सचेंज शुरू करना चाहते हैं। जागरण बिजनेस के एडिटर स्कन्द विवेक धर ने इक्विटी एक्सचेंज बनने की प्रक्रिया, उसकी टाइमलाइन, फंडिंग, ब्रेक इवेन और बिजनेस स्ट्रेटेजी को लेकर रस्ते से बात की।

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    आपको सेबी से इक्विटी एक्सचेंज शुरू करने की अनुमति मिल गई है। यहां से एक्सचेंज शुरू करने की प्रक्रिया क्या होगी?

    इक्विटी में कारोबार शुरू करने के लिए हमें तीन चीजों की जरूरत है। पहली चीज है टेक्नोलॉजी, दूसरा है लोग और तीसरा फंडिंग। आज के दौर में ट्रेडिंग पूरी तरह डिजिटल है, इसलिए एक्सचेंज का सिस्टम माइक्रोसेकंड में ऑर्डर प्रोसेस करने में सक्षम होना चाहिए। विशेषकर हाई-फ्रीक्वेंसी ट्रेडिंग (HFT) और अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग के लिए लो-लेटेंसी सिस्टम अनिवार्य है। इसके साथ ही सिस्टम ऐसा हो कि जब लाखों यूजर्स एक साथ ट्रेड करें (जैसे IPO के समय), तो क्रैश न हो। हैकर्स और मैनिपुलेशन से बचाव के लिए एडवांस्ड साइबर सिक्योरिटी सिस्टम जरूरी है। प्राकृतिक आपदाओं या तकनीकी खराबी के समय डिजास्टर रिकवरी साइट बनाना अनिवार्य है।

    लोगों की बात करें तो अभी कमोडिटी में आईपीओ जैसी चीज नहीं होती, इसलिए हमारे पास कोई लिस्टिंग डिपार्टमेंट नहीं है। हमें एक लिस्टिंग टीम बनानी होगी। टेक्निकल टीम की नियुक्ति करनी होगी, जिसमें सॉफ्टवेयर डेवलपर्स, डेटा साइंटिस्ट और नेटवर्क इंजीनियर्स आदि होंगे। SEBI और अन्य रेगुलेटरी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विशेषज्ञ नियुक्त करने होंगे।

    जहां तक फंडिंग की बात है, हम 500 करोड़ रुपए की फंडिंग जुटा रहे रहे हैं। यह फंडिंग इंस्टीट्यूशनल निवेशकों, प्राइवेट इक्विटी फंड्स और बड़े ब्रोकरेज हाउसेस के जरिए की जाएगी। हम 25-30 लोगों के पास जाएंगे। अगले एक-दो महीनों में यह काम पूरा कर लिया जाएगा। हमारी जो कमोडिटीज की 150 करोड़ रुपए की बैलेंस शीट है, उसको हम टच ही नहीं कर रहे हैं।

    इक्विटी ट्रेडिंग के लिए कितने नए कर्मचारियों की भर्ती करने की योजना है?

    चूंकि हम पहले से एक एक्सचेंज हैं, तो हमें बहुत अधिक नई भर्तियां करने की जरूरत नहीं है। जैसे चीफ फाइनेंस ऑफिसर हो गए या CHRO, वह हमारे पास पहले से हैं। इसी तरह, हमें कंप्लायंस, रिस्क और सर्विलांस में भी भर्ती की जरूरत नहीं है, ऑपरेशंस में भी जरूरत नहीं है। लिस्टिंग जैसे कुछ नए डिपार्टमेंट के लिए नई हायरिंग होगी। हम लगभग 100 नए कर्मचारियों की भर्ती करेंगे, जिनमें से 60-70 मुंबई में बैठेंगे। बाकी दिल्ली, कोलकाता और अन्य शहरों के लिए होंगे। छह से 9 महीनों के बीच यह हायरिंग कर ली जाएगी।

    एनएसई और बीएसई के अपने क्लीयरिंग कॉरपोरेशन हैं। क्या आपको भी अपना अलग क्लीयरिंग कॉरपोरेशन बनाना होगा?

    सेबी ने क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की इंटर ऑपरेबिलिटी शुरू कर दी है। अब जो भी नए स्टॉक एक्सचेंज बनेंगे उन्हें नया क्लीयरिंग कॉरपोरेशन नहीं बनाना होगा। वे पुराने की सेवाएं ले सकेंगे। हम भी इन दोनों क्लीयरिंग कॉरपोरेशन की सेवाएं लेंगे।

    मौजूदा एक्सचेंज NSE और BSE के साथ प्रतिस्पर्धा कैसे करेंगे?

    हमारी रणनीति "ब्लू ओशन" पर आधारित है, यानी उन सेगमेंट्स पर फोकस करना जहां प्रतिस्पर्धा कम है। हमारे पास पहले से ही कमोडिटी एक्सचेंज का नेटवर्क है, जिसमें हजारों ब्रोकर्स छोटे शहरों में काम करते हैं। इन्हीं ब्रोकर्स को हम इक्विटी ट्रेडिंग से जोड़ेंगे। उदाहरण के लिए राजस्थान के हनुमानगढ़ या मध्य प्रदेश के इंदौर जैसे शहरों में हमारे ब्रोकर्स पहले से मौजूद हैं, जिन्हें अब इक्विटी ट्रेडिंग की सुविधा देंगे। हम छोटे और मध्यम उद्यमों (SMEs) को लिस्टिंग के लिए प्रोत्साहित करेंगे। इसके अलावा, हम कृषि से जुड़े व्यवसायों को इक्विटी मार्केट से जोड़ेंगे, क्योंकि यह सेगमेंट अभी अंडरटैप्ड है।

    अभी तो सारी कंपनियां एनएसई और बीएसई पर लिस्टेड हैं। आप जब एक्सचेंज शुरू करेंगे तो आपके क्लाइंट उन कंपनियों में कैसे ट्रेड करेंगे?

    SEBI के नियमों के तहत कुछ परमिटेड टू ट्रेड कंपनियां होती हैं, जिनकी ट्रेडिंग दूसरे एक्सचेंज पर भी की जा सकती है। ज्यादातर अच्छी कंपनियां इसमें आ जाती हैं। इससे पहले ही दिन से हजारों कंपनियों के शेयर ट्रेडिंग के लिए हमारे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होंगे।

    आपके इक्विटी एक्सचेंज में डेरिवेटिव ट्रेडिंग भी होगी या सिर्फ कैश में कारोबार होगा?

    पहले चरण में हम कैश सेगमेंट पर फोकस करेंगे, 2-3 महीने बाद डेरिवेटिव्स भी लॉन्च करेंगे।

    आपका इक्विटी एक्सचेंज कब तक शुरू हो जाएगा?

    SEBI से इन-प्रिंसिपल अप्रूवल मिल चुका है। हमारी तैयारी पूरी होने के बाद फाइनल इंस्पेक्शन और टेस्टिंग होगी। हमारा लक्ष्य अगले 6-9 महीनों में लाइव होना है, बशर्ते टेक्नोलॉजी इंटीग्रेशन और कंप्लायंस प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी हो। हमारी पूरी कोशिश होगी कि जून 2026 से पहले इक्विटी एक्सचेंज पर ट्रेडिंग शुरू हो जाए।

    अभी आपका नाम नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (NCDEX) है। इक्विटी शुरू करने के बाद क्या आप नाम बदलेंगे?

    अभी तक निर्णय नहीं हुआ है, लेकिन हम मौजूदा ब्रांड को बनाए रखने के पक्ष में हैं। हमारा मौजूदा ब्रांड NCDEX कमोडिटी मार्केट में मजबूत पहचान रखता है। BSE ने इस मामले में हमें एक रास्ता भी दिखाया है। उन्होंने अपना नाम बांबे स्टॉक एक्सचेंज से BSE कर लिया। हम भी कुछ ऐसा कर सकते हैं।

    इक्विटी ट्रेडिंग के बिजनेस का ब्रेक इवेन कब तक आने का अनुमान है?

    हमारा खर्च ज्यादा नहीं है और इक्विटी ट्रेडिंग में संभावनाएं काफी बेहतर हैं। ऐसे में बिजनेस शुरू होने के पहले साल के भीतर ही हम ब्रेक इवेन पर आ जाएंगे।