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    भारत की बड़ी जीत, FATF की रिपोर्ट में पहली बार स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म को मिली जगह; जानिए कैसे बेनकाब हुआ पाक

    Updated: Wed, 09 Jul 2025 02:22 PM (IST)

    आतंकवाद के खिलाफ भारत के स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म की अवधारणा को एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट (FATF report 2025) में पहली बार शामिल किया है। इसका मतलब है कि कोई राष्ट्र अपनी नीति के तहत आतंकवादी संगठनों को आर्थिक सहायता मुहैया कराता है। इस कॉन्सेप्ट को भारत पहले ही पेश कर चुका है। अब इसे पहली बार इंटरनेशनल संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने भी अपनी रिपोर्ट में जगह दी है।

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    FATF की रिपोर्ट में पहली बार स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म को मिली जगह

    नई दिल्ली। आतंकवादी समूह के फंडिंग पर नजर रखने वाली इंटरनेशनल संस्था फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट ((FATF report 2025) में पहली बार स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म को जगह दी है। भारत पहले ही इस कॉन्सेप्ट की अवधारणा को पेश कर चुका है। एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान के प्रमुख आतंकवादी संगठनों को किस तरह से फंडिंग मिलती है।

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    हम इस पर आगे बढ़ें पहले यह समझ लेते हैं कि आखिर स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म है क्या? दरअसल, जब कोई भी राष्ट्र आतंकवादियों को आर्थिक रूप से मदद करता है तो वह स्टेट स्पॉन्सर्ड कहलाता है। इसे दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य प्रायोजित आतंकवाद का अर्थ है कि कोई राज्य राज्य नीति के तहत आतंकवादी गतिविधियों को सक्रिय रूप से वित्त पोषित करता है।

    भारत ने पहले ही इस अवधारणा को किया था पेश

    पाक समर्थित आतंकवादी संगठन भारत में कई दफा अपना नापाक मंसूबों को अंजाम दे चुके हैं। बिना पाकिस्तान की मदद से ये आतंकवादी संगठन अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हुए है। भारत ने 2022 की अपनी एक रिपोर्ट धन शोधन और आतंकवादी वित्तपोषण में स्टेट स्पॉन्सर्ड टेररिज्म की अवधारणा को उजागर किया था। अब इस पर इंटरनेशनल संस्था की भी मुहर लग चुकी है। FATF की रिपोर्ट भारत की अवधारणा को मजबूत करने का काम किया है।

    ऐसे फंडिंग जुटाते हैं आतंकवादी संगठन

    आतंकवादी समूह की वित्तपोषण पर नजर रखने वाली संस्था एफएटीएफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि पाकिस्तान के आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद और लश्करे-ए-तैयबा को किस तरह से फंडिंग मिलती है। या फिर ये किस तरह से फंड इकठ्ठा करते हैं।  

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    FATF ने अपनी रिपोर्ट में कई तरीके बताए हैं, जैसे इन आतंकवादी संगठनों को नॉन प्रॉफिट संस्थाओं के जरिए पैसे दिए जाते हैं।  अल-कायदा और आईएसआईएल जैसे समूह दुनिया भर के समुदायों से धन जुटाने के लिए ज़कात के धर्मार्थ सिद्धांत का फायदा उठाते हैं। हवाला के जरिए भी ये आतंकवादी संगठन फंड जुटाने का काम करते हैं।