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    SIP के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं, तो याद रखें पांच सबक

    पिछले कुछ समय से शेयर मार्केट में शानदार तेजी देखने को मिल रही है। इसमें ज्यादातर शेयरों ने शानदार रिटर्न दिया है। लेकिन मार्केट में तेजी के बाद मंदी का दौर भी आता है। एक सामान्य निवेशक के लिए इस तरह के उतार-चढ़ाव का अंदाजा लगाना काफी मुश्किल होता है। ऐसे लोगों के लिए सिप बेस्ट ऑप्शन है। हालांकि सिप में कई चीजों का ध्यान रखना जरूरी है।

    By Suneel Kumar Edited By: Suneel Kumar Updated: Sat, 10 Aug 2024 11:25 AM (IST)
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    सिप को कभी शॉर्ट टर्म के रिटर्न से जज न करें।

    बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। पिछले कुछ साल में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करने वालों की तादाद काफी तेजी से बढ़ी है। शहरों के साथ गांव में भी यह चलन आम हो गया है, जहां लोग पहले बचत या रिटायरमेंट के लिए परंपरागत तौर पर बैंक एफडी या फिर पोस्ट ऑफिस की योजनाओं में निवेश करते थे।

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    हालांकि, सिप के जरिए म्यूचुअल फंड में निवेश करते वक्त कुछ लोग बड़ी सामान्य गलतियां करते हैं। इससे उन्हें लंबी अवधि में उतना अधिक रिटर्न नहीं मिल पाता, जितना मिलना चाहिए। आइए जानते हैं कि सिप क्या होती है, इसके क्या फायदे हैं और सिप करते समय किन बातों का ख्याल रखना चाहिए।

    सिप क्या होती है

    पिछले कुछ समय से शेयर मार्केट में शानदार तेजी देखने को मिल रही है। इसमें ज्यादातर शेयरों ने शानदार रिटर्न दिया है। लेकिन, हमेशा ऐसा नहीं होता। मार्केट में तेजी के बाद मंदी का दौर भी आता है और उस वक्त शेयरों में तगड़ी गिरावट भी आती है। एक सामान्य निवेशक के लिए इस तरह के उतार-चढ़ाव का अंदाजा लगाना और उसके आधार पर निवेश के फैसले लेना काफी मुश्किल होता है। ऐसे लोगों के लिए सिप बेस्ट ऑप्शन है।

    सिप करने के फायदे

    सिप करने से आपको कंपाउंडिंग की जादुई शक्ति का फायदा मिलता है। इसका मतलब कि आपका निवेश से मिलने वाली अतिरिक्त रकम को भी निवेश किया जाता है और इससे आपको लंबी अवधि में तगड़ा रिटर्न मिलता है। सिप में आपको एवरेजिंग का भी फायदा मिलता है। जैसे कि सिप में फंड हाउस ने कोई शेयर महंगे में खरीदा। जब मार्केट में गिरावट आएगी, तो वही शेयर सस्ता भी हो जाएगा। इससे आपकी एवरेज कॉस्ट बेहतर हो जाएगी।

    याद रखें ये सबक

    • अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार ही सिप की रकम तय करें। इसका मतलब कि अगर आपके आर्थिक तौर पर मुश्किल से मुश्किल हालात आ जाएंगे, तब भी आप अपनी सिप को जारी रख सकेंगे।
    • सिप को कभी शॉर्ट टर्म के रिटर्न से जज न करें। कुछ महीनों के हिसाब से तो बिल्कुल नहीं। सिप हमेशा लॉन्ग टर्म में ही अच्छा रिटर्न देती है, तो इसे प्लान भी उसी तरीके से करें।
    • आपको एक से अधिक सिप विचार करना चाहिए। एक फंड में निवेश करने से जोखिम अधिक रहता है। आपको डेट, इक्विटी और अन्य एसेट क्लास में संतुलित करके निवेश करना चाहिए।
    • आपको सिप करते समय एक्सपेंस रेशियो जरूर चेक करना चाहिए। अगर एक्सपेंस रेशियो अधिक है, तो आपका रिटर्न कम हो सकता है। एंट्री और एग्जिट के साथ-साथ अतिरिक्त शुल्कों का भी ध्यान रखें।
    • अपने सिप की नियमित समीक्षा करना भी जरूरी है। अगर आपका फंड प्रतिस्पर्धियों और मार्केट के मुकाबले ज्यादा वक्त अच्छा प्रदर्शन न करे, तो उसे बदलने पर भी विचार करना चाहिए।

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