JP Associates को खरीदने की दौड़ में फिर अदाणी आए सबसे आगे, मजबूत दावेदार वेदांता को पछाड़ा
अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JP Associates acquisition) को दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से खरीदने की दौड़ में सबसे आगे है। वेदांता समूह को पीछे छोड़ते हुए, अदाणी ने सबसे ऊंची बोली लगाई है। जेएएल रियल एस्टेट, सीमेंट और ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में कारोबार करती है। ऋणदाताओं की समिति अदाणी की योजना को स्वीकृति दे सकती है, जिससे जेएएल के पुनरुद्धार की उम्मीद है।

अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड दिवाला प्रक्रिया के जरिये जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JP Associates acquisition) का अधिग्रहण करने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बन सकती है।
नई दिल्ली। अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड दिवाला प्रक्रिया के जरिये जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (JP Associates acquisition) का अधिग्रहण करने के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाली कंपनी बन सकती है। सूत्रों ने यह जानकारी दी। खनन क्षेत्र की बड़ी कंपनी वेदांता समूह ने सितंबर की शुरुआत में अदाणी समूह को पीछे छोड़ते हुए 12,505 करोड़ रुपये की सबसे बड़ी बोली लगाकर बढ़त हासिल की थी।
यह नीलामी जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) के लिए की गई थी, जिसका कारोबार रियल एस्टेट, सीमेंट, ऊर्जा, होटल और सड़क निर्माण जैसे क्षेत्रों में फैला हुआ है।
डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड, जिंदल पावर लिमिटेड और पीएनसी इन्फ्राटेक लिमिटेड ने इस नीलामी प्रक्रिया में बोली नहीं लगाई। बाद में ऋणदाताओं ने बोली मूल्य बढ़ाने और प्राप्ति को अधिकतम करने के लिए इन पांचों कंपनियों के साथ बातचीत की, जिसके बाद 14 अक्टूबर को इन पांच बोलीदाताओं ने सीलबंद लिफाफों में नई हस्ताक्षरित समाधान योजनाएं प्रस्तुत कीं।
डालमिया दूसरे और वेदांता तीसरे स्थान पर
सूत्रों के अनुसार, जेएएल की ऋणदाताओं की समिति (सीओसी) ने पिछले सप्ताह इन व्यापक समाधान योजनाओं पर विचार-विमर्श करने तथा उनकी व्यवहार्यता का मूल्यांकन करने के लिए बैठक की थी। उन्होंने बताया कि सीओसी ने तय मानकों के आधार पर सभी समाधान योजनाओं का मूल्यांकन किया। इस प्रक्रिया में अदाणी एंटरप्राइजेज लिमिटेड की योजना को सबसे ऊंचा दर्जा दिया गया, जबकि डालमिया सीमेंट (भारत) लिमिटेड दूसरे और वेदांता लिमिटेड तीसरे स्थान पर रहे।
सूत्रों ने बताया कि अब समाधान योजना को अगले दो सप्ताह में सीओसी द्वारा मतदान के लिए रखा जा सकता है। सूत्रों के अनुसार यह समझा जा रहा है कि डालमिया की योजनाओं में भुगतान जेएएल और विकास प्राधिकरण यमुना एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (वाईईआईडीए) के बीच लंबित मामले पर उच्चतम न्यायालय के फैसले पर निर्भर है।
अदाणी ने पहले भुगतान करने का दिया प्रस्ताव
अदाणी समूह ने ऋणदाताओं को दो साल के भीतर भुगतान का प्रस्ताव दिया है, जबकि वेदांता ने पांच साल में किस्तों में भुगतान की बात कही है। पिछले महीने जेपी एसोसिएट्स के पूर्व प्रवर्तकों ने भी बैंकों के साथ समझौते की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने धन के स्रोत के बारे में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी। सूत्रों के अनुसार, इस तरह के प्रस्ताव अक्सर दिवाला समाधान प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए दिए जाते हैं।
इससे पहले, प्रवर्तकों ने इस प्रक्रिया पर आपत्ति जताई थी और स्थगन प्राप्त करने का प्रयास किया था, जिसे अदालतों ने स्वीकार नहीं किया था। सूत्रों ने बताया कि योजनाओं और सभी हितधारकों के साथ व्यवहार के समग्र मूल्यांकन के आधार पर, अब यह उम्मीद की जा रही है कि सीओसी जेएएल के समाधान और पुनरुद्धार के लिए अडानी एंटरप्राइजेज लिमिटेड के पक्ष में मतदान कर सकती है।
जेएएल, जिसका रियल एस्टेट, सीमेंट निर्माण, आतिथ्य, और इंजीनियरिंग एवं निर्माण क्षेत्र में व्यावसायिक हित है, को राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण, इलाहाबाद पीठ के 3 जून, 2024 के आदेश के माध्यम से कॉर्पोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (सीआईआरपी) में शामिल किया गया था। समूह ने ऋणों के भुगतान में चूक के बाद जेएएल को दिवालियेपन की कार्यवाही में ले जाया गया था।
एक हजार से अधिक घर खरीदार फंसे
वित्तीय लेनदारों के लगभग 60,000 करोड़ रुपये के दावे को समाधान पेशेवर ने स्वीकार कर लिया है। जेएएल की विभिन्न परियोजनाओं में एक हजार से अधिक घर खरीदार फंसे हुए हैं। भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अध्यक्षता वाले ऋणदाताओं के एक संघ से जेएएल के संकटग्रस्त ऋणों को प्राप्त करने के बाद, राष्ट्रीय संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनी लिमिटेड (एनएआरसीएल) दावेदारों की लिस्ट में सबसे ऊपर है। इस साल अप्रैल में, 25 कंपनियों ने जेएएल के अधिग्रहण में रुचि दिखाई थी। हालांकि, जून में, जेएएल ने घोषणा की कि उसे दिवाला प्रक्रिया के माध्यम से कंपनी के अधिग्रहण के लिए बयाना राशि सहित पांच बोलियां मिली हैं।
अदाणी एंटरप्राइजेज, डालमिया सीमेंट, वेदांता समूह, जिंदल पावर और पीएनसी इंफ्राटेक ने जेएएल के अधिग्रहण के लिए बोलियां प्रस्तुत की थीं। सितंबर में, सीओसी ने चुनौती प्रक्रिया आयोजित की, जिसमें वेदांत सबसे ऊँची बोली लगाने वाली कंपनी के रूप में उभरी।
जेएएल के पास ग्रेटर नोएडा में जेपी ग्रीन्स, नोएडा में जेपी ग्रीन्स विशटाउन का एक हिस्सा (दोनों राष्ट्रीय राजधानी के बाहरी इलाके में) और जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी जैसी प्रमुख रियल एस्टेट परियोजनाएं हैं, जो आगामी जेवर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास है।
इसके दिल्ली-एनसीआर में तीन वाणिज्यिक/औद्योगिक कार्यालय स्थान भी हैं, जबकि इसके होटल डिवीजन में दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में पांच संपत्तियां हैं।
जेएएल के मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार सीमेंट प्लांट हैं, और मध्य प्रदेश में कुछ पट्टे पर चूना पत्थर की खदानें हैं। हालांकि, सीमेंट प्लांट गैर-परिचालन हैं। इसने जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग लिमिटेड, जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड और कई अन्य कंपनियों सहित सहायक कंपनियों में भी निवेश किया है।

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