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    अमेरिकी जनता पर कहर बरपाएगा ट्रंप का टैरिफ, पड़ेगा सबसे अधिक असर; Goldman Sachs की रिपोर्ट में बड़ा दावा

    Updated: Sat, 16 Aug 2025 01:08 PM (IST)

    Donald Trump Tariffs अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ का असर सबसे अधिक अमेरिकी जनता पर पड़ेगा। यह हम नहीं बल्कि Goldman Sachs की रिपोर्ट कह रही है। भारत पर 50 फीसदी का टैरिफ लगाने वाले डोनाल्ड ट्रंप को नहीं पता कि उनके टैरिफ का दुष्परिणाम क्या होने वाला है।

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    अमेरिकी जनता पर कहर बरपाएगे ट्रंप का टैरिफ पड़ेगा सबसे अधिक असर; Goldman Sachs की रिपोर्ट में बड़ा दावा

    नई दिल्ली। Donald Trump Tariffs: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कई देशों से टैरिफ वसूलना शुरू कर चुके हैं। इसमें भारत भी शामिल है। बीते 8 अगस्त से वह भारत से 25 फीसदी का टैरिफ वसूल रहे हैं। वहीं उन्होंने भारत पर 25 फीसदी का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है। यानी हिंदुस्तान पर कुल 50 फीसदी का टैरिफ लगा है। इस टैरिफ वार के बीच Goldman Sachs की रिपोर्ट सामने आई है, जिसमें यह दावा किया गया है कि इसका असर अमेरिकियों पर पड़ेगा

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    रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी उपभोक्ताओं की टैरिफ संबंधी आशंकाएं जल्द ही सच साबित हो सकती हैं, क्योंकि व्यवसाय टैरिफ मूल्य का अधिक बोझ सीधे खरीदारों पर डालना शुरू कर देंगे।कोर पर्सनल कंज्यूमर एक्सपेंडिचर इंडेक्स — जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति की दर को मापता है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा को शामिल नहीं किया जाता — जून में 2.8% पर था।

    CPI में होगी बढ़ोतरी

    गोल्डमैन के विश्लेषकों ने रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में सीपीई साल-दर-साल बढ़कर 3.2% हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ से अतिरिक्त लागतों को हटाने पर, मुद्रास्फीति की दर 2.4% होती। विश्लेषकों ने कहा कि अब तक टैरिफ ने इस सूचकांक में 0.2% की वृद्धि की है और जुलाई में इसके 0.16% और 2025 के शेष भाग में 0.5% बढ़ने की उम्मीद है।

    अमेरिका के इतने लोग होंगे प्रभावित

    ब्लूमबर्ग के साथ साझा किए गए गोल्डमैन सैक्स के विश्लेषण के अनुसार, जून तक टैरिफ लागत का लगभग 22% उपभोक्ताओं पर डाला जा चुका है। हालांकि, कंपनी ने कहा कि अगर टैरिफ पिछले वर्षों की तरह ही चलते रहे तो यह संख्या बढ़कर 67% हो जाएगी।

    कोर पर्सनल कंज्यूमर एक्सपेंडिचर इंडेक्स — जो अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में मुद्रास्फीति की दर को मापता है, जिसमें खाद्य और ऊर्जा को शामिल नहीं किया जाता जून में 2.8% पर था।

    गोल्डमैन के विश्लेषकों ने रिपोर्ट में कहा कि दिसंबर में सीपीई साल-दर-साल बढ़कर 3.2% हो जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि टैरिफ से अतिरिक्त लागतों को हटाने पर, मुद्रास्फीति की दर 2.4% होती। विश्लेषकों ने कहा कि अब तक टैरिफ ने इस सूचकांक में 0.2% की वृद्धि की है और जुलाई में इसके 0.16% और 2025 के शेष भाग में 0.5% बढ़ने की उम्मीद है।

    यह भी पढ़ें- भारत-चीन टैरिफ पर ट्रंप का मिजाज कैसे हो गया नरम? पुतिन से मुलाकात के बाद कर दिया बड़ा एलान

    टैरिफ़ के कारण मुद्रास्फीति की दर में बढ़ोतरी ऐसे समय में हुई है जब फेडरल रिजर्व के अध्यक्ष जेरोम पॉवेल ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ब्याज दरें कम करने की मांगों को बार-बार खारिज किया है। पावेल के खिलाफ राष्ट्रपति के सबसे हालिया कदम में, उन्होंने केंद्रीय बैंक में एक महत्वपूर्ण पद पर अपने एक आलोचक को नियुक्त किया है।

    ब्याज दरों में बदलाव

    फेडरल रिजर्व ने इस साल 5 बार ब्याज दरों को 4.25% से 4.5% के समान स्तर पर बनाए रखने के लिए मतदान किया है। पावेल ने कहा है कि फेड अधिकारी ब्याज दरों में कटौती करने से पहले अर्थव्यवस्था पर टैरिफ के प्रभाव का बेहतर आकलन करना चाहते हैं। इन फैसलों ने ट्रंप को नाराज़ कर दिया है, उनका तर्क है कि फेड आर्थिक विकास पर अंकुश लगा रहा है।

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