Cibil Score अच्छा होने के बाद भी नहीं मिल रहा लोन? ये हो सकते हैं कारण
आमतौर पर यही समझा जाता है कि एक अच्छे सिबिल स्कोर होने से लोन आसानी से मिल जाएगा। लेकिन ऐसा हमेशा संभव नहीं है। क्योंकि बैंक या कोई भी वित्तीय संस्था सिर्फ सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर देखकर लोन नहीं देती। बल्कि इनकम से जुड़े कई तथ्य भी देखती है। चलिए जानते हैं कि अच्छे सिबिल स्कोर होने के बाद भी लोन क्यों रिजेक्ट हो जाता है।

बिजनेस डेस्क, नई दिल्ली। सिबिल स्कोर या क्रेडिट स्कोर हमारे लोन और क्रेडिट बिल से संबंधित होता है। एक अच्छा क्रेडिट स्कोर लोन मिलना और ब्याज दर कम करने में मदद करता है। लेकिन सिबिल स्कोर के अलावा भी कई तथ्य देखे जाते हैं, जिसके आधार पर लोन अमाउंट, लोन मिलना, ब्याज दर इत्यादि तय होता है।
ये सभी तथ्य हमारी इनकम से जुड़े होते हैं। क्योंकि कोई भी बैंक या वित्तीय संस्था ऐसे लोगों को ही लोन देना पसंद करेगा, जो भविष्य में बिना किसी परेशानी के ईएमआई का भुगतान कर पाएं। इसी भुगतान क्षमता को देखने के लिए सिबिल स्कोर के अलावा इनकम से जुड़े कई तथ्य देखे जाते हैं।
इनकम से जुड़ा क्या-क्या देखा जाता है?
1.स्थिर इनकम है या नहीं?
सबसे पहले कोई बैंक या वित्तीय संस्था ये देखती है कि उधारकर्ता या लोन मांगने वाले के पास कोई स्थिर इनकम सोर्स है या नहीं। क्योंकि अगर किसी की इनकम स्थिर होगी, तो ही आप ईएमआई समय पर चुका पाएंगे।
बैंक ये देखता है कि आवेदनकर्ता की इनकम सोर्स क्या है-
नौकरीपेशा वालों के लिए
- क्या व्यक्ति किसी कंपनी में काम करता है?
- कितने समय से वह ये काम कर रहा है?
- नौकरी से होने वाली मासिक और सालाना इनकम कितनी है?
बिजनेस वालों के लिए
- क्या बिजनेस उधारकर्ता को स्थिर इनकम दे रहा है?
- किस तरह का बिजनेस वह कर रहा है?
- कितने समय से वह ये बिजनेस चला रहा है?
- बिजनेस से होने वाली मासिक और सालाना इनकम कितनी है?
2. डेट टू इनकम रेश्यो
ये रेश्यो भी बैंक या किसी भी वित्तीय संस्थान के लिए महत्वपूर्ण है। ये दर्शाती है कि व्यक्ति की इनकम के मुकाबले वे अभी कितना लोन चुका रहा है। क्या वे और लोन चुकाने में सक्षम है भी या नहीं?
इस रेश्यो को निकालने के लिए फॉर्मूला कुछ इस प्रकार है-
मासिक ईएमआई/ मासिक इनकम x 100
अगर किसी व्यक्ति का Debt to income ratio 40 से 50 फीसदी है, तो बैंक ऐसे व्यक्ति को लोन देने से कतराती है। क्योंकि बैंक या वित्तीय संस्थान का मानना है कि 40 से 50 या इससे ज्यादा रेश्यो वाले लोगों को इससे ज्यादा उधार चुकाने में परेशानी होगी।
3. नौकरी हिस्ट्री क्या है?
बैंक या वित्तीय संस्थान ये भी देखती हैं कि व्यक्ति पहले से किस तरह की नौकरी या बिजनेस करता आया है। क्या वे बार-बार अपनी नौकरी बदल रहा है। या वे एक कंपनी में लंबे समय से हैं। अगर कोई आवेदनकर्ता लंबे समय से किसी बड़ी कंपनी में काम कर रहा है। या सरकारी नौकरी पर है, तो ऐसे लोगों को लोन मिलना आसान होता है।
4. लोन क्यों ले रहे हैं?
आमतौर पर अनसिक्योर्ड लोन (पर्सनल लोन) के मुकाबले सिक्योर्ड लोन मिलना आसान होता है। क्योंकि सिक्योर्ड लोन के तहत बैंक अपने पास गारंटी के लिए Collateral रखता है। वहीं अनसिक्योर्ड लोन में ऐसा कुछ जमा नहीं होता।
बैंक लोन लेने का उद्देश्य भी देखता है। लोन क्यों लिया जा रहा है? किस कार्य के लिए लोन की मांग हो रही है? इस तरह से बैंक सिबिल स्कोर सहित इन तथ्यों को ध्यान में रखते हुए ही किसी भी व्यक्ति को लोन मुहैया करता है। इसके अलावा भी कई और बातों को ध्यान में रखा जा सकता है। ये बैंक और वित्तीय संस्थान पर निर्भर करता है।
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