क्या IDBI बैंक को किसी पीएसयू के साथ मर्ज करने की है तैयारी? आ गया सरकार का आधिकारिक जवाब
सरकार ने स्पष्ट किया है कि सरकारी बैंकों के विलय या मर्ज करने का कोई प्रस्ताव नहीं है। सरकारी बैंकों में एफडीआई की सीमा 20% है, जबकि प्राइवेट बैंकों म ...और पढ़ें

क्या देश में जल्द ही सरकारी बैंकों का कोई बड़ा मर्जर होने वाला है?
नई दिल्ली। क्या देश में जल्द ही सरकारी बैंकों का कोई बड़ा मर्जर होने वाला है? इन सवालों पर सरकार ने विराम लगा दिया है! संसद में सोमवार को सरकार ने साफ कहा कि अभी किसी भी पब्लिक सेक्टर बैंक (PSB) के मर्जर या कंसॉलिडेशन पर कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है। लोकसभा में लिखित जवाब देते हुए वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि अभी जिस तरह सरकारी बैंक काम कर रहे हैं, उसी तरह चलते रहेंगे, इनमें कोई नई मर्जर वेव नहीं आने वाली है।
PSU और प्राइवेट बैंकों की FDI लिमिट में क्या फर्क है?
एक और सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि सरकारी बैंकों में FDI लिमिट 20% है, जबकि प्राइवेट बैंकों में यह सीमा 74% तक है। उन्होंने कहा कि FDI देश में पूंजी लाने, टेक्नोलॉजी ट्रांसफर, इनोवेशन, प्रतियोगिता और रोजगार सृजन जैसे कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सरल भाषा में कहें तो विदेशी निवेश से अर्थव्यवस्था में नई ताकत आती है।
IDBI बैंक का डिसइन्वेस्टमेंट में कितना हिस्सा बिकेगा?
सरकार ने IDBI बैंक की हिस्सेदारी बेचने पर पहले ही मंजूरी दे दी थी, और अब मंत्री पंकज चौधरी ने उसकी डिटेल भी साझा की। इसकी कुल 60.72% हिस्सेदारी स्ट्रैटेजिक डिसइन्वेस्टमेंट के लिए पेश की जा रही है। इसमें से सरकार 30.48% शेयर बेचेगी। बिक्री के बाद सरकार के पास 15% हिस्सा बचेगा। वहीं LIC 30.24% हिस्सेदारी बेचेगा।बिक्री के बाद LIC के पास 19% हिस्सा बचेगा।
उन्होंने यह भी बताया कि मार्च 2025 तक IDBI बैंक की कुल देनदारियां और एसेट्स दोनों लगभग 4.11 लाख करोड़ रुपये के बराबर थीं। मतलब बैंक अपनी वित्तीय स्थिति को देखते हुए डिसइन्वेस्टमेंट के लिए तैयार है।
RRBs ने रिकॉर्ड प्रॉफिट कमाया
मंत्री ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (RRBs) पर भी जानकारी दी और बताया कि यहां खबर अच्छी है RRBs का प्रदर्शन लगातार बेहतर हो रहा है। FY24 में 7,571 करोड़ रुपये का अब तक का सबसे बड़ा प्रॉफिट हासिल हुआ। वहीं FY25 में 6,825 करोड़ रुपये का दूसरा सबसे बड़ा प्रॉफिट हुआ।
हालांकि, FY25 में प्रॉफिट थोड़ा कम इसलिए हुआ क्योंकि 1993 से लागू पेंशन स्कीम के बकाया भुगतान और कंप्यूटर इन्क्रीमेंट की देनदारियां चुकानी थीं। इसके बावजूद, RRBs ने पूंजी पर्याप्तता (CRAR), डिपॉजिट, लोन, NPA, CD रेशियो जैसे हर महत्वपूर्ण पैमाने पर सुधार दिखाया है। इस तरह गांवों में बैंकिंग की स्थिति अब पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो रही है।

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