सरकार ने टेक्सटाइल के लिए PLI आवेदन का समय बढ़ाया, इस तारीख तक जमा कर सकते हैं एप्लिकेशन
Textile PLI extension टेक्सटाइल सेक्टर में PLI के लिए आवेदन जमा करने का नया राउंड अगस्त 2025 में शुरू हुआ था। टेक्सटाइल मंत्रालय का कहना है कि इस राउंड में बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं। इसे देखते हुए अंतिम तारीख बढ़ाने का फैसला किया गया है ताकि ज्यादा संख्या में कंपनियां इसमें भाग ले सकें।

उद्योग जगत की तरफ से मिली उत्साहजनक प्रतिक्रिया को देखते हुए सरकार ने टेक्सटाइल इडंस्ट्री
के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इन्सेंटिव (PLI) योजना के तहत नए आवेदन प्राप्त करने की अंतिम तिथि दिसंबर तक बढ़ाने (textile PLI extension) का निर्णय लिया है। टेक्सटाइल मंत्रालय (Ministry of Textiles) की तरफ से जारी एक बयान के अनुसार एप्लिकेशन पोर्टल अब 31 दिसंबर, 2025 तक खुला रहेगा। इससे संभावित निवेशकों को योजना में भाग लेने और लाभ उठाने का एक और अवसर मिलेगा।
मैन मेड फाइबर (एमएमएफ) से बने वस्त्र, एमएमएफ फैब्रिक और टेक्निकल टेक्सटाइल समेत विभिन्न क्षेत्रों से अगस्त 2025 से शुरू हुए नए आमंत्रण राउंड (new applicants) में बड़ी संख्या में आवेदन प्राप्त होने के बाद समय सीमा बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इच्छुक आवेदक आधिकारिक ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से अपने प्रस्ताव जमा कर सकते हैं। आधिकारिक पोर्टल https://pli.texmin.gov.in/ है।
घरेलू टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग में बढ़ा विश्वास
मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एप्लिकेशन विंडो को फिर से खोलना PLI स्कीम के तहत निवेश के लिए उद्योग की निरंतर रुचि का प्रत्यक्ष परिणाम है। यह बाजार की बढ़ती मांग और घरेलू टेक्सटाइल मैन्युफैक्चरिंग में विश्वास को दर्शाता है।
सितंबर 2021 में 10,683 करोड़ रुपये व्यय के लक्ष्य के साथ टेक्सटाइल के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी गई थी। इसका उद्देश्य देश में एमएमएफ अपैरल, एमएमएफ फैब्रिक और टेक्निकल टेक्सटाइल प्रोडक्ट के उत्पादन को बढ़ावा देना है, ताकि इस सेक्टर को विस्तार और प्रतिस्पर्धी बनने में सक्षम बनाया जा सके।
वित्त वर्ष 2024-25 में मैन मेड फाइबर का लगभग 525 करोड़ रुपये का निर्यात हुआ, जो वित्त वर्ष 2023-24 में 499 करोड़ रुपये था। टेक्निकल टेक्सटाइल का निर्यात 200 करोड़ रुपये से बढ़कर 294 करोड़ रुपये हो गया।
पीएलआई योजना में अब तक 1.76 लाख करोड़ का निवेश
केंद्र सरकार ने 14 सेक्टर के लिए पीएलआई योजना घोषित कर रखी है। इस योजना से आयात पर निर्भरता कम हुई है और साथ ही इसने वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग में भारत के एक गंभीर प्रतियोगी के रूप में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस योजना के तहत अब तक करीब 1.76 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ है। इन योजनाओं के कारण उत्पादन, निर्यात और रोजगार सृजन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
उभरते क्षेत्रों की मदद, इनोवेशन को बढ़ावा और घरेलू स्तर पर वैल्यू चेन स्थापित करके पीएलआई योजनाएं रणनीतिक रूप से भारत में मैन्युफैक्चरिंग के आधार को मजबूत कर रही हैं। इससे देश में उत्पादन भी बढ़ा है। पीएलआई के तहत कंपनियों की कुल बिक्री 16.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक रही। कपड़ा, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्यूटिकल्स और ऑटोमोटिव जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
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