सेमीकंडक्टर उद्योग में कुशल पेशेवरों की कमी को पूरा करेगी सरकार; हर साल बनते 15 लाख इंजीनियर, पर दक्ष 3% ही!
सेमीकान इंडिया फ्यूचर स्किल्स टैलेंट कमेटी की रिपोर्ट दावा करती है कि भारत में सालाना 15 लाख से अधिक इंजीनियर तैयार होते हैं जिनमें से 3% से भी कम को सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए कुशल माना जाता है। एक तरफ तो स्किल्ड वर्कफोर्स की यह कमी और दूसरी ओर आकलन यह है कि 2032 तक वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन चिप डिजाइन क्षेत्र में अनुमानित 2.75 लाख कर्मचारियों की जरूरत होगी।

नई दिल्ली | semiconductor industry in India : सेमीकंडक्टर उद्योग का आकार तो भारत में भी तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उसके अनुरूप यहां कुशल पेशेवरों की भारी कमी है। सेमीकान इंडिया फ्यूचर स्किल्स टैलेंट कमेटी की रिपोर्ट दावा करती है कि भारत में सालाना 15 लाख से अधिक इंजीनियर तैयार होते हैं, जिनमें से मात्र तीन प्रतिशत से भी कम को सेमीकंडक्टर उद्योग (semiconductor industry) के लिए कुशल माना जाता है।
एक तरफ तो स्किल्ड वर्कफोर्स की यह कमी और दूसरी ओर आकलन यह है कि 2032 तक वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन (वीएलएसआइ) चिप डिजाइन क्षेत्र में अनुमानित 2,75,000 अतिरिक्त कर्मचारियों की आवश्यकता होगी। साथ ही अगले दस वर्षों में फैब (फैब्रिकेशन प्रोसेस) और एटीएमपी (असेंबली, टेस्टिंग, मार्किंग एंड पैकेजिंग) सुविधाओं के लिए भी क्रमश: 25,000 और 29,000 कुशल कर्मचारियों की आवश्यकता होगी।
लिहाजा, भविष्य के अवसरों को भुनाने के लिए भारत सरकार ने कमर कस ली है। कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय ने 'इंडिया सेमीकंडक्टर ईकोसिस्टम वर्कफोर्स डेवलपमेंट स्ट्रेटजी रिपोर्ट-2025' तैयार की है।
इसमें तमाम संस्तुतियों के साथ रोडमैप सुझाया गया है, जिस पर अमल करने के लिए सरकार तैयार है।भारतीय सेमीकंडक्टर उद्योग की वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाओं को लेकर यह रिपोर्ट पिछले दिनों कौशल विकास एवं उद्यमिता राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) जयंत चौधरी ने लांच की।
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत ने चिप डिजाइन में बीते कुछ वर्षों में काफी प्रगति की है, जिसके परिणास्वरूप 1,25,000 से ज्यादा इंजीनियर डिजाइन सेवाओं में लगे हैं, फिर भी फैब आपरेटरों, प्रोसेस टेक्नीशियन और एटीएमपी इंजीनियरों की भारी कमी है।
यह कौशल समूची सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन के लिए आवश्यक है। दरअसल, विशेषज्ञों ने माना है कि भारत सबसे तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। सेमीकंडक्टर उद्योग में इसकी भूमिका बहुत बड़ी हो सकती है।
2026 तक 6400 करोड़ डॉलर का हो जाएगा बाजार
इलेक्ट्रानिक्स और इमर्जिंग टेक्नोलाजी की बढ़ती मांग के साथ भारत का सेमीकंडक्टर बाजार 2021 में 2700 करोड़ डालर से बढ़कर 2026 तक 6400 करोड़ डालर होने की उम्मीद है। इसी क्षमता को पहचानते हुए भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर डिजाइन, निर्माण और अनुसंधान को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से 76,000 करोड़ रुपये के बजट के साथ सेमीकान इंडिया कार्यक्रम शुरू किया है।
110 अरब डॉलर हो जाएगा सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य
भारत सरकार की इस रिपोर्ट में मैकेंजी की रिपोर्ट 'द सेमीकंडक्टर डिकेड: ए ट्रिलियन-डालर इंडस्ट्री' का भी उल्लेख किया गया है, जिसके अनुसार सेमीकंडक्टर उद्योग में यह उछाल आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (AI), इंटरनेट आफथिंग्स (आइओटी), रोबोटिक्स और 5जी जैसी उन्नत तकनीकों के व्यापक रूप से अपनाए जाने और बढ़ी हुई डाटा प्रोसेसिंग, स्टोरेज और ट्रांसमिशन क्षमता की मांग के कारण है।
माना जा रहा है कि भारतीय सेमीकंडक्टर बाजार का मूल्य 2020 में 15 अरब डालर था और इसके 2025 तक 64 अरब डालर और 2030 तक 110 अरब डालर तक बढ़ने की उम्मीद है, जो वैश्विक मांग का लगभग 10 प्रतिशत है।
स्कूल स्तर से तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव
कौशल विकास से जुड़े विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में कहा है कि सेमीकंडक्टर उद्योग के लिए किसी को भी तैयार करने के लिए विभिन्न विषयों में एक मजबूत आधार की आवश्यकता होती है।
फिजिक्स, केमिकल साइंस, इलेक्टि्रकल इंजीनियरिंग और कंप्यूटर साइंस के मूल सिद्धांतों को समझकर एक शिक्षार्थी सेमीकंडक्टर उपकरणों, निर्माण प्रक्रियाओं, डिजाइन तकनीकों की खोज के लिए तैयार हो सकता है और धीरे-धीरे नैनो टेक्नोलाजी, मैटेरियल साइंस और सर्किट डिजाइन जैसे विशिष्ट क्षेत्रों में भी आगे बढ़ सकता है।
इस स्ट्रेटजी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने स्कूल स्तर से ही कुछ तकनीकी पाठ्यक्रम शुरू करने का सुझाव दिया है। चूंकि, इसका संबंध विभिन्न मंत्रालयों से है, इसलिए कौशल विकास मंत्रालय इन सभी मंत्रालयों के साथ मिलकर इस रणनीति और रोडमैप पर आगे बढ़ने की तैयारी कर रहा है।
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