कारोबारियों को अब सात दिनों में मिलेगा GST रिफंड, तीन दिनों में ही करा सकेंगे पंजीयन
जीएसटी काउंसिल के फैसले के अनुसार कारोबारियों को अब इनकम टैक्स रिफंड की तरह 7 दिनों के भीतर जीएसटी रिफंड मिलेगा बशर्ते कोई धोखाधड़ी न हो। नए व्यवसायी अब 3 दिनों में जीएसटी पोर्टल पर पंजीकरण करा सकते हैं। विभाग जल्द ही अधिसूचना जारी करेगा। 22 सितंबर से जीएसटी की नई दरें लागू होने पर भुगतान और बिल जनरेट होने के समय के अनुसार जीएसटी दर लागू होगी।

नई दिल्ली। जीएसटी काउंसिल की बैठक में बुधवार को लिए गए फैसले के मुताबिक अब कारोबारियों को इनकम टैक्स रिफंड की तरह काफी कम दिनों में जीएसटी रिफंड भी मिल जाएंगे।
अप्रत्यक्ष कर विभाग के मुताबिक, जिन मामलों में किसी धोखाधड़ी और रिफंड को लेकर शक की गुंजाइश नहीं है, उन्हें सात दिनों के भीतर जीएसटी रिफंड दे दिया जाएगा। इससे कारोबारियों के पास कार्यशील पूंजी की उपलब्धता बनी रहेगी। नए कारोबारियों के वास्ते जीएसटी नंबर लेने के लिए पंजीयन कराना भी बिल्कुल आसान कर दिया गया है।
नए फैसले के मुताबिक नए कारोबारी अब तीन दिनों में जीएसटी पोर्टल पर अपना पंजीयन करा सकेंगे। विभाग का कहना है कि अगले सप्ताह जीएसटी काउंसिल की 56वीं बैठक में लिए गए फैसले की अधिसूचना जारी हो सकती है।
कारोबारियों के पास जीएसटी दरों में बदलाव के हिसाब से अपने बही खाते तैयार करने के लिए 15 दिनों का समय है। जीएसटी का भुगतान ग्राहक करता है, कारोबारी सिर्फ उसे ग्राहक से वसूलकर सरकार को देने का काम करते हैं।
भुगतान और बिल जेनरेट के मुताबिक लगेगा जीएसटी
22 सितंबर से जीएसटी की नई दरें लागू होने जा रही हैं और 300 से अधिक आइटम की दरों में बदलाव किया गया है। कारोबारियों के पास पुराने स्टाक भी हैं। ऐसे में कारोबारियों में इस बात को लेकर असमंजस है कि माल पहले भेजने और भुगतान 22 सितंबर के बाद लेने पर उन्हें किस दर से जीएसटी का भुगतान करना होगा।
कारोबारी अक्सर ऐसा करते हैं कि माल पहले भेज देते हैं और भुगतान बाद में लेते हैं। कई बार भुगतान पहले ले लेते हैं और माल बाद में भेजते हैं। अप्रत्यक्ष कर विभाग ने इस मामले में कारोबारियों को स्पष्ट किया है कि अगर उन्होंने माल पहले भेज दिया है और उसका भुगतान या बिल जेनरेट 22 सितंबर के बाद हो रहा है तो नई दर से जीएसटी लागू होगा।
अगर भुगतान पहले कर लिया है और माल 22 सितंबर के बाद भेजते हैं तो ऐसी स्थिति में वर्तमान दर पर जीएसटी लागू होगा। वहीं 22 सितंबर से पहले किसी कारोबारी ने कच्चे माल की खरीदारी की जिस पर 12 प्रतिशत का टैक्स है। 22 सितंबर से 12 प्रतिशत की जगह उस कच्चे माल पर पांच प्रतिशत जीएसटी हो जाएगा। ऐसी स्थिति में वह व्यापारी 22 सितंबर के बाद भी अपना इनपुट टैक्स क्रेडिट लेता है तो उसे 12 प्रतिशत के हिसाब से इनपुट टैक्स क्रेडिट मिलेगा।
वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने जीएसटी पर ऐतिहासिक निर्णय को मोदी सरकार द्वारा करों का बोझ करने के सतत प्रयास का परिणाम बताया है।
मोदी सरकार में लगाए गए करों के बोझ को ही कम करने के कांग्रेस के आरोपों का जवाब देते हुए गोयल ने कहा कि 2017 में भी जीएसटी लागू कर मोदी सरकार ने जनता को करों के मकड़जाल से निकालने का काम किया था।
सरकार यह सुनिश्चित करने में जुटी है कि जीएसटी की दरों में कमी का फायदा उपभोक्ताओं तक पहुंचे। भाजपा मुख्यालय में पीयूष गोयल ने कहा कि एक देश-एक टैक्स का प्रयास अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के दौरान शुरू हुआ था। लेकिन 2004 में पराजय के कारण वह इसे लागू नहीं कर पाए थे।
अगले 10 वर्षों तक संप्रग सरकार ने इसे लागू करने की हिम्मत नहीं दिखाई। मोदी सरकार ने तीन वर्षों में इसे लागू करके दिखाया। राज्यों के राजस्व में घाटे को पूरा करने के लिए वार्षिक 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी के साथ क्षतिपूर्ति देने का फैसला किया। यही नहीं, जीएसटी लागू करने के बाद 2018 में ही 100-150 वस्तुओं पर टैक्स दरें कम कर दी गईं। यह प्रक्रिया जारी रही। कांग्रेस शासन का हवाला देते हुए गोयल ने कहा कि उस जमाने में टैक्स पर टैक्स लगाया जाता था। 30-35 तरह से टैक्स, ड्यूटी और लेवी वसूले जाते थे।
पहले एक्साइज ड्यूटी लगाई जाती थी, उस पर सेल्स टैक्स लगाया जाता था। इन दोनों के ऊपर चुंगी लगाई जाती थी। यदि बीच में चार प्रतिशत केंद्रीय कर लग जाता था, तो उस पर भी चुंगी ली जाती थी। मोदी सरकार ने बेहद परेशान करने वाली इस व्यवस्था से निजात दिलाई।
उन्होंने ने कहा कि केंद्र सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि जीएसटी में कमी का लाभ पूरी तरह उपभोक्ताओं को मिले। उद्योग जगत ने आश्वस्त किया है कि विभिन्न वस्तुओं पर करों में पूरी कमी उनकी कीमतों में प्रदर्शित होगी।
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