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    IIT Delhi के दो लड़कों ने गांव वालों को लगाया ऑनलाइन शॉपिंग का चस्का, 10 साल में बनाई 77 हजार करोड़ की कंपनी

    Updated: Wed, 10 Dec 2025 12:04 PM (IST)

    Meesho Founders Success Story: सोशल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो शेयर बाजार में लिस्ट हो चुकी है, जिसकी लिस्टिंग 46 फीसदी से अधिक प्रीमियम पर हुई। IIT दिल ...और पढ़ें

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    IIT Delhi के दो लड़कों ने गांव वालों को लगाया ऑनलाइन शॉपिंग का चस्का, 10 साल में बनाई 77 हजार करोड़ की कंपनी

    नई दिल्ली। भारत का सोशल ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म मीशो शेयर बाजार में लिस्ट हो चुका है। इसकी लिस्टिंग धमाकेदार रही। अपने आईपीओ प्राइस से यह 46 फीसदी से अधिक पर लिस्ट हुआ। मीशो के शेयर नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर 162.50 रुपये प्रति शेयर पर लिस्ट हुए। 5,421 करोड़ रुपये के इस इश्यू का प्राइस बैंड 105-111 रुपये प्रति शेयर था। लिस्ट होते ही इसमें तेजी भी देखी गई है और मीशो के शेयर 177.49 रुपये के अपने उच्चतम स्तर तक गए। इस खबर को लिखते वक्त मीशो के शेयर NSE पर 170.75 रुपये (Meesho Share Price) के स्तर पर ट्रेड कर रहे हैं। आईपीओ के सफलता के बीच चर्चा हो रही है कंपनी के को-फाउंडर्स की। मीशो को किसने बनाया और कैसे बनाया? आइए जानते हैं। 

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    मीशो के शेयरों ने बुधवार को स्टॉक मार्केट में शानदार डेब्यू किया और अपने इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) प्राइस से 46 प्रतिशत प्रीमियम पर लिस्ट हुए। यह इश्यू 3 से 5 दिसंबर के बीच प्राइमरी मार्केट में 79 गुना सब्सक्राइब हुआ था। शेयरों ने इंट्राडे में 177.49 रुपये प्रति शेयर का हाई बनाया, जो IPO प्राइस से 60 प्रतिशत ज्यादा था।

    IIT Delhi के लड़कों ने 'भारत' के लिए बनाया Meesho

    मीशो की स्थापना 2015 में विदित आत्रे (संस्थापक और CEO) और संजीव बर्नवाल (संस्थापक और CTO) ने की थी। उन्होंने ई-कॉमर्स के लिए सोशल नेटवर्क का इस्तेमाल करके छोटे बिजनेस और रीसेलर को सशक्त बनाने के लिए भारत का लीडिंग सोशल कॉमर्स प्लेटफॉर्म बनाया। दोनों IIT दिल्ली के पूर्व छात्र हैं जिन्होंने कंपनी बनाने के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी और भारत में असंगठित रिटेल पर ध्यान केंद्रित किया। लेकिन यह सफर इतना आसान नहीं था। कहानी शुरू होती है 2015 में।

    और इसी के साथ शुरू हुई भारत की कहानी। भारत को हम यहां छोटे शहरों से रेफर कर रहे हैं। क्योंकि आज के समय में मीशों का अधिकतम बिजनेस छोटे शहरों, टियर 2 , टियर 3  और टियर 4 जैसे शहरों से आता है। इसलिए हमने अपने हेडलाइन में लिखा है कि आईआईटी दिल्ली से पढ़े दो लड़कों ने भारत को ऑनलाइन शॉपिंग का चस्का लगाया। कहानी पर वापस आते हैं।

    दिल्ली के रहने वाले विदित और झारखंड के रहने वाले संजीव IIT दिल्ली से ही दोस्त थे। इंजीनियरिंग करने के बाद विदित ITC में जॉब करने लगे और संजीव का कॉलेज प्लेसमेंट के जरिए सोनी में नौकरी पा गए। संजीव नौकरी करने टोक्यो चले गए। उन्होंने यहां 3 साल तक नौकरी की। वहीं, दूसरी और भारत में रहकर नौकरी कर रहे विदित ने ITC छोड़कर InMobi ज्वाइन कर ली थी। यहीं से विदित को आइडिया आया। यह आइडिया था शॉपिंग का। खुद का बिजनेस शुरू करने का। इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त को टोक्यो से बुला लिया। संजीव भी दोस्त का आइडिया सुनकर भारत लौट आया।

    2015 में दोनों ने अपना पहला स्टार्टअप फैशनियर खोला। यह  लोकल वेंडर्स को कस्टमर्स से जोड़ने का काम करता था। लेकिन इसमें दोनों को सफलता नहीं मिली। इस दौरान दोनों ही दोस्तों को यह एहसास हुआ कि भारत में ऐसे बहुत से महिलाएं हैं जो शादी के बाद अपना खुद का बिजनेस शुरू करना चाहती होंगी। खासकर गांव की महिलाएं। और इस तरह दोनों ने 2015 में ही मीशो यानी मेरी शॉप की शुरुआत की।

    आम लोगों को अपना खुद का डिजिटल स्टोर बनाने का प्लेटफॉर्म देना। छोटे शहरों की हाउसवाइव्स से शुरू करके, जो WhatsApp और Facebook के जरिए सामान बेचती थीं, मीशो ने लोगों की जिंदगी बदलने का सफर शुरू किया। मीशो के पीछे का आइडिया सिंपल लेकिन पावरफुल था। ऑनलाइन कॉमर्स को सभी के लिए आसान बनाना और इसे हर किसी के लिए सुलभ बनाना, चाहे उनका बैकग्राउंड या रिसोर्स कुछ भी हो। एक ऐसे देश में जहां लाखों लोग फाइनेंशियल आज़ादी का सपना देखते हैं लेकिन उसे पाने के साधन नहीं हैं, मीशो उम्मीद की किरण बन गया।

    2016 में मीशो को मिली पहली फंडिंग

    मीशो को पहली फंडिंग 2016 में मिली जब यह Y कॉम्बिनेटर के समर बैच में शामिल हुआ, और सीड फंडिंग में $120,000 जुटाए, बाद में VH कैपिटल और राजुल गर्ग जैसे भारतीय एंजेल इन्वेस्टर्स से भी सीड सपोर्ट मिला, जिससे शुरू में बूटस्ट्रैपिंग के बाद उन्होंने इन्वेस्टर इकोसिस्टम में एंट्री की।

    मीशो का बिजनेस मॉडल जल्दी ही पॉपुलर हो गया। अप्रैल 2021 में इसकी वैल्यूएशन $2.1 बिलियन तक पहुंच गई, लेकिन उसी साल सितंबर तक मीशो लगभग दोगुनी होकर $4.9 बिलियन हो गई। यह तेज़ ग्रोथ इसलिए हुई क्योंकि ज्यादा लोग ऐप का इस्तेमाल करने लगे, डिमांड बढ़ गई, और सॉफ्टबैंक, फेसबुक और सिकोइया कैपिटल जैसे बड़े इन्वेस्टर्स ने इसमें बहुत सारा पैसा लगाया।

    कब-कब मीशों ने जुटाई फंडिंग

    • सीड (2016): $120k (Y Combinator)
    • सीरीज B (जून 2018): $11.5M (पीक XV पार्टनर्स)
    • सीरीज C (नवंबर 2018): $50M (DST पार्टनर्स, शुनवेई कैपिटल)
    • कॉर्पोरेट (जून 2019): $25M (मेटा)
    • सीरीज D (अगस्त 2019): $125M (प्रोसस/नैस्पर्स)
    • सीरीज E (अप्रैल 2021): $300M (सॉफ्टबैंक विज़न फंड, B कैपिटल, प्रोसस)
    • सीरीज F (सितंबर 2021): $570M (फिडेलिटी, B कैपिटल, सॉफ्टबैंक, प्रोसस, फेसबुक)
    • वेंचर राउंड (मई 2024): $275M (टाइगर ग्लोबल, पीक XV पार्टनर्स, सॉफ्टबैंक)
    • सेकेंडरी मार्केट (जनवरी 2025): (टाइगर ग्लोबल, थिंक इन्वेस्टमेंट्स)

    और Meesho बन गई 77 हजार करोड़ की कंपनी

    शहरी, ब्रांड-कॉन्शियस खरीदारों के पीछे भागने के बजाय, इस स्टार्टअप ने छोटे शहरों में एक बड़ी डिमांड को पूरा किया, और सस्ते, बिना ब्रांड वाले लेकिन ट्रेंडी प्रोडक्ट बेचे। जैसे-जैसे इनकम बढ़ी और खरीदने की पावर भारत के बड़े शहरों से बाहर फैली, मीशो ने एक ऐसा मार्केटप्लेस दिया जो इस उभरते कंज्यूमर बेस की पसंद, प्राथमिकताओं और बजट की जरूरतों को दिखाता था। इस समय मीशो का मार्केट कैप NSE पर करीब 77 हजार करोड़ रुपये है।

    कंपनी के प्रॉस्पेक्टस में बताया कि कैसे इस बड़े बदलाव, खासकर टियर-2+ इलाकों में मिडिल-इनकम सेगमेंट के विस्तार ने, इसकी तरक्की को बढ़ावा दिया है। अनुमान है कि 2030 तक इन शहरों में भारत के कुल रिटेल खर्च का लगभग एक-तिहाई हिस्सा होगा, जिससे सिर्फ भारत के मेट्रो शहरों के बजाय पूरे भारत के लिए बने प्लेटफॉर्म को लंबे समय तक फायदा होगा।

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